जयशंकर प्रसाद पाठ के प्रश्न उत्तर कक्षा 10-आत्मकथ

तो भाई या बहन अगर आप class 10 के छात्र हैं और आप भी google पर जयशंकर प्रसाद पाठ के प्रश्न उत्तर कक्षा 10-आत्मकथ को बेसब्री से ढूंढ रहे हैं तो अब आप बिल्कुल ही सही पोस्ट पर आ चुके हैं क्योंकि हमने यहां आत्मकथ के प्रश्न उत्तर को ही बताया हैं तो चलिए शुरु करते हैं

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आत्मकथ

आत्मकथ

अभ्यास के प्रश्न

प्रश्न 1. कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है ?

उत्तर- कवि आत्मकथा लिखने से इसलिए बचना चाहते हैं क्योंकि उनका कहना है की भौंरा गुनगुनाकर न जाने किस कथा को कहता है गिरती हुई पत्तियाँ भी एक कहानी अपने में छुपाये हुए हैं।

इस विस्तृत नीले आकाश की नीलिमा में अनेक जीवन इतिहास छुपे हुए हैं जो स्वयं अपनी कहानी कह रहे हैं। कवि बीते जीवन की दुर्बलताओं, कष्टों और अभावों के विषय में कुछ नहीं कहना चाहता ।

प्रश्न 2. आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में ‘अभी समय भी नहीं’ कवि ऐसा क्यों कहता है ?

उत्तर – आत्मकथा को सुनाने के संदर्भ में कवि ‘अभी समय भी नहीं ऐसा इसलिए कहता हैं क्योंकि वह अपने जीवन के दु:खद प्रसंगों की पुनः स्मृति नहीं करना चाहता। और वर्तमान को खराब नहीं करना चाहते हैं।

प्रश्न 3. स्मृति को ‘पाथेय’ बनाने से कवि का क्या आशय है ?

उत्तर- स्मृति को पाथेय बनाने से कवि का आशय यह है कि उसकी प्रिय पत्नी जिसका देहान्त हो चुका है, कवि का पुरा जीवन उसी की मधुर और यादगार जीवन के प्रति समर्पित है।

प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया। आलिंगन में आते-आते मुस्क्या कर जो भाग गया।

(ख) जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में। अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।

उत्तर- (क)इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि उनका जीवन दुखो और कष्टों से भरा रहा और सुख आया भी तो ज्यादा समय तक टीक नहीं पाया।

(ख)यहां पर कवि कहना चाहते हैं की मेरी पत्नी जिसके सुंदर कपोलो का सौंदर्य इतना मादक और शीतल था की अनुराग की स्वामिनी उषा अपनी मधुरिम माया में स्वयं उससे सौभाग्य अर्जित करती थीं

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प्रश्न 5. ‘उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की’ – कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है ?

उत्तर- कवि के जीवन में जो सुख के क्षण थे, उन्हीं की ओर इशारा करते हुए कहना चाहते हैं कि उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की यहाँ न गा सकने की विवशता कवि के दुःख को द्योतित करती है।

प्रश्न 6. ‘आत्मकथ्य’ कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर- आत्मकथ्य कविता की भाषा नए शब्दों और बिंबों से युक्त हैं, प्रौढ़ तथा प्रांजल है।

जो प्रसाद जी की प्रचलित भाषा शैली के सर्वथा अनुरूप है।

प्रश्न 7. कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है ?

उत्तर-कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे उसने कविता की निम्नलिखित पंक्तियों में व्यक्त गया किया है-‘मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया। आलिंगन में आते-आते मुस्क्या कर जो भाग गया। जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में। अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।’

प्रश्न 8. इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व की जो झलक मिलती है. उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- इस कविता के आधार पर प्रसाद जी का झलक एकदम निश्छल, करुणामय व्यक्त हो रहा हैं।

प्रश्न 9 आप किन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे और क्यों?

उत्तर : हम जयशंकर प्रसाद जैसे व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना पसन्द करेंगे क्योंकि इनके जैसे लोग अपनी पुरानी दुःख भरी यादों को भुला कर आगे की ओर चलते हैं।

FAQ :

(1 )आत्मकथ्य कविता का मुल भाव क्या है?

उत्तर-इस कविता का मूल भाव यह है कि कवि अपने धोखेबाज दोस्तों कि असलियत सामने लाना चाह रहे हैं और उन्हें शर्मिंदा भी नहीं करना चाह रहे है।

(2)आत्मकथ्य के कवि का नाम क्या है?

उत्तर-आत्मकथ्य कवि का नाम जयशंकर प्रसाद है

(3) आत्मकथ्य की भाषा शैली कौन सी है?

उत्तर – कविता कि भाषा ललित, सुंदर और मधुर गुण युक्त है

(4) आत्मकथ्य कविता में कवि ने किसे खाली करने वाला कहा है और क्यों?

उत्तर – कवि अपने दोस्तों को खाली करने वाला कहा है और कवि कहना चाहते है कि मेरी आत्मकथा मे मेरे जीवन के दुखी अनुभवो को सुनकर यह नही समझना किया। कि हमारे जीवन को खराब तुमने ही किया हैं