आनुवंशिकी किसे कहते हैं ?| अनुवांशिकी के जनक कौन हैं ? | अनुवांशिकता क्या है ? |

 आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे की  अनुवांशिकी किसे कहते है ? साथ में हम ये भी जानेंगे  की अनुवांशिकी के जनक कौन है ? तथा आज हम इस पोस्ट पर अनुवांशिकी की पूरी कहानी जानने वाले है यानि अनुवांशिकी क्या है ? इसके बारे में भी समझेंगे। 

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आनुवंशिकी से सम्बंधित कुछ आवश्यक टॉपिक जो इस पोस्ट में है

. आनुवंशिकी  

. आनुवांशिक  लक्षण 

. फीनोटाइप 

. जीनोटाइप 

 . एकसंकंरिय क्रॉस 

. द्विसंकारीय  क्रॉस 

मेण्डल के नियम 

. जैव विकास 

. समजात अंग 

. समरूप अंग 

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. आनुवंशिकी :-जीवविज्ञान के जिस भाग के अंतर्गत जीवों के अनुवांशिकी लक्षणों के बारे में अध्ययन किया जाता है उसे आनुवंशिकी कहते है। 

इस आनुवंशिकी  के बारे में सर्वप्रथम हमें ऑस्ट्रिया के निवासी ग्रेगर जोहान मेण्डल   के द्वारा दी गई थी जिसने इसके बारे में हमें लगभग 1822 -1824 ई० में दिया था  इसी के वजह से मेण्डल को आनुवंशिकी का पिता कहा जाता है। 

w . वाटसन नामक वैज्ञानिक से सर्वप्रथम जेनेटिक शब्द का प्रयोग किया तथा जॉहन्सेन ने 1909 में सबसे पहले जीन शब्द का प्रयोग किया था। 

आनुवंशिकी लक्षण :-  वह लक्षण जो पीढ़ी दर पीढ़ी अगले वंश में स्थानांतरित होता है उसे अनुवांशिक लक्षण कहते हैं

. फीनोटाइप :-सभी जीव धारियों के विशिष्ट लक्षण जो प्रत्यक्ष रुप से दिखलाई पड़ते हैं फिनो टाइप का लाते हैं

. जीनोटाइप:- जीवधारियों के शरीर के आनुवंशिक संगठन को जिनोटाइप कहते हैं और यह जीनोटाइप जीवधारियों के जीन से बना होता है

 एकसंकंरिय क्रॉस :-मेण्डल  ने एकसंकरणीय क्रॉस के लिए लंबे एवं बने पौधे के बीच क्रॉस कराया था

मेंडल ने मटर के पौधे के अनेक विकल्प लक्षणों का अध्ययन किया जो कि स्थूल रूप से दिखाई देते हैं उन्होंने विभिन्न विकल्प लक्षणों वाले पौधों का चयन कर उनसे पौधे उगाए


जैसे :- लंबे पौधे और बोने पौधों का संकरण कराया प्राप्त का संकरण कराकर प्राप्त संपत्ति पीढ़ी में लंबे व घने पौधों का पूर्ण अध्ययन किया।


प्रथम संतति पीढ़ी या फिर यह फोन में कोई पौधे बीच की ऊंचाइयों का नहीं था सभी पौधे लंबे थे इसका मतलब यह हुआ कि 2 लक्षणों में से केवल 1 लक्षण ही दिखाई देता है तो अगला प्रश्न आया कि क्या प्रथम पीढ़ी के पौधे अपने पैतृक लंबे पौधे के विकल्प समान में दोनों प्रकार के पैतृक पौधा एवं प्रथम पीढ़ी के पौधों को स्वपरागण द्वारा गाया पैतृक पीढ़ी के लंबे पौधे से प्राप्त सभी संतति भी लंबे पौधे की थी परंतु प्रथम पीढ़ी के सभी पौधे लंबे नहीं थे उनमें एक चौथाई संतति बोने पौधे थे जो कि यह दर्शाता है कि प्रथम पीढ़ी द्वारा लंबाई एवं वन अपन दोनों के विकल्प लक्षणों की वंशागति हुई है परंतु केवल लंबाई वाला विकल्प अपने आप को व्यक्त कर पाता है अतः किसी भी लक्षण के दो विकल्प लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न होने वाले जीवो में किसी भी लक्षण के दो विकल्प वंशानुगत होती है या दोनों एक समान हो सकते हैं अथवा अलग-अलग हो सकते हैं जो कि उनके जनक पर निर्भर करता है

. द्विसंकारीय  क्रॉस :-मेंडल ने द्विसंकारीय  क्रॉस के  लिए गोल तथा पीले बीज हरे एवं झुर्रीदार बीज से उत्पन्न पौधों के बीच क्रॉस कराया तो इनमें गोल तथा पीला बीच प्रभावी थे

अतः f2 पीढ़ी के पौधे का फिनो टाइप अनुपात 9 :3 : 3: 1 प्राप्त हुए जबकि एक पीढ़ी के पौधों का जीनोटाइप अनुपात 1 : 2 :1 : 2:4 :2 :1 :2 :1 प्राप्त हुए

इसलिए उपयुक्त दोनों प्रकार के प्रयोगों के आधार पर मेंडल ने आनुवंशिकता संबंधित कुछ नियम दिए जिन्हें मेंडल के आनुवंशिकता का नियम के नाम से जाना जाता है इस नियमों में से पहला एवं दूसरा नियम एकल संक्रमणीय क्रोध का आधार पर तथा तीसरा नियम व संक्रॉस के आधार पर आधारित है


. . मेण्डल के नियम:-मेंडल के प्रभाविता के नियम इस प्रकार हैं

1 प्रभाविता का नियम

2 पृथकरण का नियम

3 स्वतंत्र अव्यूहन का नियम


1 प्रभाविता का नियम

मेंडल के इस नियम के अनुसार एक जोड़ा विपर्यायी गुणों वाले शुद्ध पिता या माता में संकरण करने से प्रथम पीढ़ी में प्रभावि गुण प्रकट होते हैं जबकि अप्रभावी गुण छिप जाते हैं प्रथम पीढ़ी में केवल प्रभावी गुण ही दिखाई देता है लेकिन अप्रभावी उपस्थिति अवश्य रहता है यह गुण दूसरी पीढ़ी में प्रकट होता है


2 पृथक्करण का नियम

इस नियम के अनुसार लक्षण कारकों के जोड़ों के दोनों कारक युग्म बनाते समय पृथक हो जाते हैं और इनमें से केवल एक कारक ही किसी एक युग्मक में पहुंचाता है इस नियम को युग्मकों की शुद्धता का नियम भी कहते हैं


3 स्वतंत्र अव्यूहन का नियम :-

मेण्डल ने बताया कि जब 2 जोड़ी विपरीत लक्षण वाले पौधों के बीच संकरण कराया जाता है तो दोनों लक्षणों का पृथक्करण स्वतंत्र रूप से होता है एक लक्षण की वंशागति दूसरे को प्रभावित नहीं करती है



 जैव विकास :-.निम्ण   वर्ग के जीवो के क्रमिक परिवर्तनों द्वारा अधिकाधिक जीवो की उत्पत्ति को जैविकास विकास कहते हैं

जीव-जंतुओं की रचना कार्यक्रम रासायनिक की भ्रूण विकास वितरण इत्यादि में विशेष क्रम व आपसी संबंध के आधार पर सिद्ध किया गया है कि जैव विकास हुआ है

लैमार्क, डार्विन, वेले वैलेट, डीपब्रिड आदि ने जो विकास के संबंध में अपनी अपनी परिकल्पना को सिद्ध करने के लिए इन्हीं संबंधों को दर्शाने वाले निम्नांकित प्रमाण प्रस्तुत किए हैं


 समजात अंग:- वैसे अंग जो विभिन्न कार्यों के लिए उपयोजित हो जाने के कारण काफी और असमान दिखाई दे सकते हैं परंतु मूल रचना एवं भ्रूणीय परिवर्धन समान होते हैं समजात अंग कहलाते हैं

जैसे-: सील के फ्लिकर , चमगादड़ के पंख, रेडियो अन्ना ,कार्पेल आदि अस्थियां होती है इनका भ्रूणीय विकास भी एक सा ही होता है परंतु इन सभी का कार्य अलग-अलग होता है

सील का फ्लिकर तैरने करने के लिए, चमगादड़ का पंख उड़ने के लिए, घोड़े की टांग दौड़ने के लिए तथा मनुष्य का हाथ वस्तु को पकड़ने के लिए अनुकूलित होती है।



समरूप अंग :-वैसे आप जो समान कार्य करने के लिए उपायोजित हो जाने के कारण समान दिखलाई देते हैं परंतु मूल संरचना एवं भ्रूण यह परिवर्तन में विभिनता होती है समरूप समरूप अंग कहलाते हैं

जैसे:- तितली ,पंक्षिया और चमगादड़ के पंखों के लिए कार्य करती है तथा देखने में भी एक समान लगते हैं परंतु इन सभी की उत्पत्ति अलग-अलग ढंग से होती है यानी तितलियों के पंत की रचना शरीर की भित्ति भंज द्वारा, पंछियों की पंखी रचना इनके अग्रपाद पर परो द्वारा, चमगादड़ के पंख की रचना हाथ की चार लंबी उंगलियों तथा छड़ के बीच फैली त्वचा से हुई है



धन्यबाद ,मुझे आशा है आप आनुवंशिकी किसे कहते हैं ?| अनुवांशिकी के जनक कौन हैं ? | अनुवांशिकता क्या है ? | के बारे में अब जान चुके है और यदि आप और जानना चाहते है तो आप इस पोस्ट को जरूर शेयर करे