ऊतक की परिभाषा ।। ऊतक के कार्य।। पादप ऊतक के प्रकार।।

सारांश:-

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Hellow दोस्तों तो आज के इस पोस्ट में हम जानेगे की ऊतक की परिभाषा क्या होता है और इसके बाद हम ऊतक के कार्य क्या होते है उसको समझेंगे तब फिर हम पादप ऊतक के प्रकार के बारे में जानेगे ।


इस पोस्ट पर के Topics इस प्रकार है  :

●ऊतक की परिभाषा

●पादप ऊतक 

●पादप ऊतक का प्रकार 

●विभज्योतक 

●स्थायी ऊतक

●शीर्षस्थ विभज्योतक 

●पाश्र्र्व विभज्योतक 

●अंतर्विष्ट विभज्योतक 

●पैरेन्काइमा ऊतक 

●कोलेनकाइमा ऊतक 

●स्केलेरेनकाइमा




ऊतक की परिभाषा

कोशिकाओं का वैसा समूह जिसकी आकार तथा आकृति समान होते हैं तथा जो मिलकर किसी एक कार्य को संपन्न करता है, ऊतक कहलाते  हैं।


                   एक ही उत्तक की सभी कोशिकाएं लगभग समान प्रकार की होती है, लेकिन कुछ उत्तक अलग-अलग प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं।


विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं आपस में सनियोजित होकर जीवो के शरीर में अलग-अलग प्रकार के ऊतकों का निर्माण करती है जिसके अंतर्गत पादप एवं जंतुओं के शरीर में पाए जाने वाले विभिन्न उत्तक उनकी क्रियात्मक तथा संरचनात्मक कार्यों का इकाई होता है।



एक कोशिकीय तथा कुछ निम्न वर्गों के जीवो के अलावा सभी जीवो में कोशिकाएं आपस में मिलकर उत्तक का निर्माण करती है जो किसी विशेष प्रकार के कार्यों को विधि पूर्वक संपन्न करते हैं।


उत्तक को बनाने वाली कोशिकाएं की संरचना,प्रकार तथा अलग-अलग कार्यों के आधार पर विभिन्न प्रकार के ऊतकों की संरचना भी अलग-अलग होती है।

ऊतक की परिभाषा




●पादप ऊतक 

जब पादपों पर पूर्ण अध्ययन किया गया तब जाकर पता चला कि पौधों में भोजन का संग्रहण कहां और कैसे होता है


 पादप के कौन-कौन से भाग मजबूत और कौन-कौन से भाग नाजुक होते हैं। पौधों की तनों में पत्तियां कैसे निकलती है जैसे कई प्रश्न का उत्तर सामने आ पाया।


पादपों के विभिन्न अंगों में संपन्न होने वाली विभिन्न प्रकार की क्रियाओं तथा इनकी वृद्धि विभिन्न प्रकार के पादप उत्तक के अलग-अलग स्थानों पर उपस्थित उतको के कारण संपन्न होता है।

                                पादप ऊतक को दो भागों में बांटा गया है 

1.विभज्योतक         

2.स्थायी ऊतक 



1.विभज्योतक 

  पादप उत्तक के इस भाग में उसको की कोशिकाओं में विभाजन की क्षमता बहुत अधिक होती है।


पादपों में विकास सभी भागों में नहीं होता। यह केवल जड़ों की लंबाई में, पादप के जोड़ों की लंबाई में तथा पर्व संधि उनसे नई शाखाएं तथा पत्तियों निकलती है। जैसे भागों में विकास होता है।


और इन सभी भागों में विभाजित तक की संख्या सबसे अधिक होती है। विभज्योतक में विभाजन करने की अपार क्षमता होती है जिसके कारण वे कोई कार्य न करकर हमेशा विभाजित होती रहती है जिससे पादप की लंबाई और चौड़ाई बढ़ती रहती है।


विभज्योतक की विशेष लक्षण होते है जो इस प्रकार है :-

इनमें कोशिका द्रव्य की मात्रा बहुत ज्यादा होती है।


● इनके कोशिका द्रव में रसधानी नहीं पाई जाती है क्योंकि यह उत्तक अत्यधिक क्रियाशील होने के कारण इनकी कोशिकाओं को अत्यधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। इसलिए इनमें जमा करने के लिए भोजन उपलब्ध नहीं होता है।


●इन ऊतकों की कोशिकाओं में कोशिका भित्ति बहुत ज्यादा पतली होती है जिसके कारण विभाजन के समय नई कोशिकाओं के उत्पन्न होने की प्रक्रिया आसान होती है।



विभज्योतक तीन प्रकार के होते है ।


1.शीर्षस्थ विभज्योतक 

2.पाश्र्र्व विभज्योतक 

3.अंतर्विष्ट विभज्योतक



1.शीर्षस्थ विभज्योतक :-

इस प्रकार के विभज्योतक पौधों की जड़ों के शीर्ष में पाए जाते हैं और हरदम विभाजित होकर पौधों की लंबाई बढ़ाने में अपना सहयोग करते।

2.पाश्र्र्व विभज्योतक:-

इस प्रकार का उत्तक विभज्योतक पौधे मुख्यतः जड़ों के आधार तथा तनों में पाए जाते हैं जो पौधों की चौड़ाई को बढ़ाने में सहायक होते हैं।  

 

3.अंतर्विष्ट विभज्योतक:-

इस प्रकार के विभज्योतक पत्तियों के आधार तथा तनों  की  पर्वसंधिया में पाए जाते हैं

       
             इनके द्वारा पौधों की नई पत्तियां तथा तथा शाखाओं के उत्पन्न होने में अपना योगदान निभाते हैं। विभज्योतक का कार्य तक समाप्त हो जाता है


                                     जब यह विभाजित होकर नई कोशिकाओं का निर्माण कर देते हैं जिसके बाद विभज्योतक अपनी विभाजन की क्षमता खो देती है। अनेकों प्रकार के स्थाई उत्तक में विभेदित  हो जाती है।



2.स्थायी ऊतक:-

   पादप में कोशिकाओं के निरंतर विभाजन के फल स्वरुप, उनके आकार आकृति तथा आयतन में वृद्धि विकास होता है, परंतु पौधों के अन्य सभी कार्यों का निर्वहन अन्य ऊतकों के द्वारा संपन्न होता है।


जैसे:-पादपों में भोजन का वाहन, परिवहन संग्रह तथा अन्य सभी प्रकार के कार्यों को स्थाई उत्तक के द्वारा संपन्न किया जाता है। स्थायी ऊतक में विभज्योतक की तरह विभाजन की क्षमता नहीं होती है ।


विभज्योतक को दो भागों में बांटा गया है 

a. सरल स्थायी ऊतक

b. जटिल स्थायी ऊतक



a.सरल स्थायी ऊतक

यह ऊतक एक ही प्रकार के कोशिकाओं से मिलकर बना होता है और इन कोशिकाओं की संरचना तथा विशेष कार्यों के लिए उनके विशिष्ट लक्षणों के आधार पर सरल उत्तक को फिर से तीन भागों में विभाजित किया गया है।


क) पैरेन्काइमा

ख)कोलेनकाइमा

ग)स्केलेरेनकाइमा


क) पैरेन्काइमा:-

                यह सरल स्थाई उत्तक कोशिका भित्ति वाली जीवित कोशिकाओं से बना होता है। इनके कोशिकाओं के बीच में अत्यधिक रिक्त स्थान पाया जाते हैं


यह उत्तके ऊतकों  का मुख्य आधार बनाता है जो की अधिक मात्रा में पादपों में पाया जाता है। साथ में यह पौधों को सहारा प्रदान करता है और भोजन का संचयन जल संग्रहण का भी काम करता है।


जिस पौधों में हरित लवक युक्त पैरेंकाइमा उत्तक पाए जाते हैं, वे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करके भोजन के निर्माण में भी अपना योगदान निभाते हैं।


 जलीय पौधों के पैरेंकाइमा उत्तक की कोशिकाओं के बीच में बहुत ज्यादा रिक्त स्थान पाए जाते हैं, जिसमें हवा भरी रहती है और इसी के कारण जलीय पौधे को पानी में तैरने में सहायता मिलती है।



ख)कोलेनकाइमा:-

यह ऊतक पैरेंकाइमा की तरह जीवित कोशिकाओं से बना होता है। इसका आकार और नियमित रूप से कोनों पर मोटी होती है।


 इनके कोशिकाओं के बीच काफी कम रिक्त स्थान पाया जाते हैं जिसके कारण इसके उत्तक मजबूत होते हैं। इन उसको का मुख्य कार्य पौधों को यांत्रिक सहायता प्रदान करना होता है।


               पौधों में लचीलापन लाना, पौधों को तेज हवाओं तथा अन्य विपरीत परिस्थितियों में टूटने से बचाने का कार्य करती है तथा यह पौधों की पत्तियों के कोनों पर पाए जाते हैं जिससे इनकी पतिया तेज हवा में नहीं फट पाती है।


ग)स्केलेरेनकाइमा:-

इस ऊतक की कोशिकाएं मृत होती है और इनकी कोशिकाएं लंबी तथा पतली होती है।


 जिसकी कोशिका भिति पर लिग्निन की मोटी परत होती है जिसके कारण यह कठोर हो जाती है और जल के आवागमन के लिए कोशिका अपारगम्य बना देती है। 


इनके कोशिकाओं के मध्य रिक्त स्थान नहीं पाए जाते हैं जिसके कारण यह बहुत ही ज्यादा सशक्त होती है यह उतक मुख्य रूप से तनो में ,संवहन ऊतक में , उत्तक बीजो तथा फलों में पाए जाते हैं। 


इस प्रकार की जगह पर इनका कार्य पौधों को कठोरता तथा मजबूती प्रदान करना होता है।


2.जटिल स्थायी ऊतक :-

वैसे स्थाई उत्तक जो दो या दो से अधिक कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं। जटिल स्थाई उत्तक कहलाते हैं


जटिल ऊतक दो प्रकार के होते है ।

1.जाइलम  ऊतक

2.फ्लोएम ऊतक


1.जाइलम ऊतक 

जाइलम उत्तक के द्वारा पौधों में जल तथा खनिज लवण का परिवहन होता है। 


इस कार्य को करने के लिए एक कोशिका नहीं हो सकती। यानी जाइलम उत्तक को कार्य के लिए चार प्रकारों कोशिकाओं से मिलकर बना होता है।


a)जाइलम वाहिनिकाए

b)वाहिका 

c)जाइलम पैरेन्काइमा

d)जाइलम फाइबर


जाइलम के द्वारा जड़ों से पानी को पौधों के पतियों में पहुंचाया जाता है जो कि गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध कार्य होता है। 


इसलिए इस ऊतकों को मजबूत तथा सक्षम होना चाहिए। इनमें वाहिनिकाए तथा वाहिका मुख्य रूप से संवहन उत्तक होता है और इसकी लगभग अधिकांश कोशिकाएं मृत होती है।


2.फ्लोएम ऊतक:-

इस ऊतक  के द्वारा पौधों में बने भोजन को पादपों के सभी भागों में पहुंचाया जाता है यह क्रिया गुरुत्वाकर्षण के विपरीत और गुरुत्वाकर्षण की ओर होता है।


यह फ्लोएम उत्तक भी चार प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बना होता है।

a) चालनी नलिका

b) साथी कोशिकाएं 

c)फ्लोएम पैरेंकाइमा

d) फ्लोएम रेशे


आपने क्या सीखा:-

●ऊतक कोशिकाओं का समूह होता है जिसका कार्य और आकार लगभग समान होती हैं।

●अलग-अलग कोशिकाओं की ऊतक भी अलग -अलग होता है  ।

●विभज्योतक की विभाजन क्षमता सबसे अधिक होती है ।

●विभज्योतक में कोशिका द्रव्य की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है ।

●जाइलम के द्वारा जल और खनिज लवण का परिवहन होता है ।

●फ्लोएम के पतियों में बने भोजन का परिवहन होता होता है ।

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पौधों में परिवहन

मानव में परिवहन