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Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!एही ठैया झूलनी हैरानी हो रामा question answer 2023
अभ्यास के प्रश्न
प्रश्न 1. हमारी आजादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है। इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्रकार उभारा है?
उत्तर – वैसे तो देश की आजादी की लड़ाई में समाज के हर वर्ग का महत्वपूर्ण योगदान रहा। सब लोगों ने तन-मन-धन से मदद की थी। इस पाठ में यह लिखा गया है कि देशभक्तों की अपील पर नगर में पूर्णरूप से हड़ताल रहा। यहाँ तक कि खोमचे वाले ने भी उस दिन फेरी नहीं लगाई दुलारी ने फेंकू सरदार द्वारा दी गई
विदेशी मिलों में तैयार की हुई मखमल की डिजाइनदार नई साड़ियों का बंडल खिड़की से बाहर नीचे फैली हुई चादर पर फेंक दिया। विदेशी वस्त्रों का संग्रह कर जलाने वाले दल के चार व्यक्तियों ने चादर पकड़े थे। इस तरह वह जुलूस विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार कर रहे थे।
दुलारी ने भी इसका पूर्ण रूप से बहिष्कार किया। कजली गायक के रूप में मशहूर टुन्नू की हत्या एक जुलूस के दौरान कर दी गई थी।
प्रश्न 2. कठोर हृदय समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?
उत्तर- कठोर हृदय समझी जाने वाले दुलारी टुन्नू पर इसलिए विचलति हो उठी क्योंकि वह दुन्नू से प्यार करती थी तथा उसकी भावनाओं का इज्जत करती थी। झींगुर द्वारा टुन्नू की हत्या का समाचार सुनाने पर उसकी आँखें बादलों की जैसी बरसने लगी थीं। उस समय उसने सबके सामने अपनी भावनाओं को प्रकट किया।
दुलारी ने झींगुर से दुल्लू की हत्या की जाने वाले स्थान के बारे में जानकारी ली। उसकी मृत्यु पर फूट-फूटकर रोने लगी थी। जमदार अली सगीर ने उसे उसी जगह पर नाचने-गाने के लिए मजबूर किया था। उसकी आँखों में आँसू थे। उसकी नजर उसी स्थान पर जमी भी जहाँ अली सगीर ने बूट से ठोकर मारकर टुन्नू की हत्या की थी।
प्रश्न 3. कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा? कुछ और परंपरागत लोक आयोजनों का उल्लेख करें।
उत्तर- कलजी दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन मनोरंजन के लिए हुआ करता होगा। भादो में तीज के अवसर गाए जाने वाले गीतों में लोग दो दंगल बनाते थे तथा प्रत्येक दंगल में एक-एक मशहूर कजली गायक खड़े होते थे। हर बोल पर दुक्कड़ पर चोट मारकर जीत का इशारा किया जाता था। इस गायकी में जवाब सवाल करना एक महत्वपूर्ण अंग होता था।
इस तरह के कुछ और परंपरागत लोकगीत का आयोजन होता है होली के त्योहार पर ढोल-नगाड़े बजाकर फगुआ (होली गीत) गाया जाता है। सावन में झूले की गीत गाया जाता है। इसके अतिरिक्त वर्षा ऋतु में आल्हा गीत, और शिव विवाह गीत गाने की परंपरा वर्तमान समय में भी है।
प्रश्न 4. दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-दुलारी बाई एक नाचने वाली महिला है। मजबूरी के कारण वह फेंकू सरदार की रक्षिता है लेकिन वास्तव में एक स्वाभिमानी औरत है। उसकी चारित्रिक विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
(क) दुलारी एक मशहूर कजली गायिका है। उसे इस गायकी में सवाल-जवाब करना बहुत ही अच्छी तरह आता है। उसके समक्ष बड़े-बड़े गायक कलाकार गाने से डरते हैं।
(ख) वह एक साहसी व बलवान औरत है। प्रतिदिन वह नियमित व्यायाम करती एवं पौष्टिक आहार लेती हैजिसके बल पर फेंकू सरदार को झाड़ू से अच्छी तरह मरम्मत करती है।
(ग) दुलारी एक स्वाभिमानी स्त्री है वह अपनी सुरक्षा खुद करना अच्छी तरह जानती है। वह अपने ऊपर लांछन लगने नहीं देती। वह बिट्टो के दोषारोपण पर क्रोधित हो जाती है। फेंकू सरदार की पिटाई भी करती है।
(घ) दुलारी टुन्न की भावनाओं को भली-भाँति समझती है तथा उसे उसके पिता के प्रति कर्त्तव्य स्मरण दिलाने के उद्देश्य से भला-बुरा कहती है। वह टुन्नू को अपनी तथा उसकी उम्र का ख्याल करने की बात कहकर उसे वहाँ से भगा देती है।
(ङ) दुलारी प्रेम की साक्षात मूर्ति है। उसके हृदय में टुन्नू के लिए अत्यधिक प्रेम है।
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प्रश्न 5. दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ?–
उत्तर : दुलारी की टुन्नू से पहली बार परिचय खोजवों और बजरडीहा के बीज कजली दंगल में हुआ। खोजवा की तरफ से दुलारी बाई मधुर स्वर में दुन्नू पर दोषारोपण कर रही थी तो बजरडीहा वालों की तरफ से टुन्नू दुलारी के प्रति अपना प्यार प्रकट कर रहा था।
इस दंगल में खोजवों वाले हार रहे थे। इसी दौरान फेंक सरदार लाठी लेकर दुन् को मारने के लिए दौड़ा लेकिन दुलारी ने टुन्नू की रक्षा की। लोगों के काफी कहने-सुनने के बाद भी दोनों ने उसे दंगल में गाना नहीं गाया। यहीं उन दोनों का पहला परिचय हुआ।
प्रश्न 6. दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था-” तै सरबउला बोल जिन्नगी में कब देख ले लोट ?…।’ दुलारी के इस आक्षेप में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- दुलारी बाई टुन्नू से कहती है कि “तैं सरबडला बोल जिन्नगी में कब देखले लोट उसने यह बात सोलह-सत्रह साल का लड़का टुन्नू पर लगाया था। टुन्नू ने दुलारी को अपने गीत में कहा था…” रनिया लड परमेसरी लोट।” यानी तुम प्रामिसरी नोट लेकर यहाँ से चली जा । दुलारी के कथन का भाव यह था कि तुम तालाब में तैरने वाले सफेद बगुले की भाँति हो।
तुम्हारा पिता पंडिताई करके एक-एक पैसा जोड़कर बड़ी मुश्किल से घर का खर्च चला रहा है और तू मुझे प्रामिसरी नोट देने की बातें कह रहा है। क्या तुम अपने जीवन में कभी नोट देखा है दुलारी के इस बात में आज के युवा पीढी के लिए यह संदेश छिपा है कि उन्हें अपने माता-पिता के, घर-परिवार के कार्यों में हाथ बँटाना चाहिए।
अपने माता-पिता की परिश्रम से कमाएँ गए धन-दौलत को व्यर्थ के कार्यों में खर्च नहीं करना चाहिए। जिस तरह टुन्नू दुलारी को प्रामिसरी नोट देने को कह रहा था। लफंगों व निकम्मों के साथ रहा। आज के युवाओं के लिए यह जरूरी नहीं है कि उनकी जिंदगी में दुलारी की तरह समझदार व सुलझी औरतें ही मिले।
प्रश्न 7. भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?
उत्तर- भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी ने अपना योगदान विदेशी कपड़ो का बहिष्कार करके दिया। देशभक्त नेताओं के अपील पर नगर में पूर्ण रूप से हड़ताल चल रही थी
उसी दौरान एक जुलूस विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करते हुए उसके घर के समीप आया। फेंक सरदार द्वारा उसे दी गई साड़ियों का एक बंडल नीचे फैली हुई चादर पर डाल देती है।
प्रश्न 8. दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी? यह प्रेम दुलारी को प्रेम तक कैसे पहुँचाता है?
उत्तर- दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला है। यह प्रेम दुलारी को देशप्रेम तक पहुँचाता है। जब टुन्नू दुलारी के घर जाकर उसके यहाँ बैठता तथा उसकी बातों को बड़े ध्यान से सुनता था। भादो की तीज के अवसर पर टुन्नू दुलारी के लिए खद्दर की एक धोती लाकर देता है
और अपनी भावना को व्यक्त करता है कि वह दुलारी को बेहद प्यार करता है। दुलारी अपने साथ तथा उसके बीच उम्र का अन्तर बताते हुए उसे बुरा-भला कहकर डाँटती फटकारती है। दुलारी अपने घर पर कभी न आने की बात कहकर उसे भगा दिया। लेकिन जैसे ही टुन्नू उसके यहाँ से चला गया तो दुलारी को इस बात का अहसास हुआ कि
टुन्नू उसके शरीर से नहीं बल्कि उसकी कला से प्रेम करता है। दुलारी के वजह से ही वह कजली गाया करती था। टुन्नू दुलारी की फटकार से दुःखी और निराश होकर देशप्रेम के पथ पर चलने लगा । दुलारी भी फेंकू सरकार द्वारा प्रदान दिए गए सुख-सुविधाओं को त्याग कर विदेशी साड़ियों का बंडल फेंक देती है और खद्दर को धोती पहन लेती है।
प्रश्न 9. जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर से अधिकांश वस्त्र फटे-पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना किस मानसिकता को दर्शाता है?
उत्तर : स्वतंत्रता आंदोलन में लेने वाले देश भक्तों का एक जुलूस, जो विदेशी वस्त्रों का संग्रह करके जला रहे थे, भैरवनाथ की पतली गली में प्रवेश किया। उस जुलूस के आगे चार आदमी एक चद्दर के चारों कोनों को जोर से पकड़ रखे थे। उस चद्दर में लोग फटे-पुराने विदेशी वस्त्रों को डाल रहे थे।
फेंकू सरदार द्वारा लाकर दी गई विदेशी मिलों में बनी साड़ियों का एक बंडल दुलारी ने खिड़की से बाहर उस चादर में डाल दिया। वह बंडल खोला भी नहीं गया था। इस तरह दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना उसकी इस मानसिकता को दर्शाता है कि दुलारी अपने स्तर के जीवन की सुख सुविधाएं को त्यागकर देशप्रेम और देश-भक्ति की ओर उन्मुख हो गई थी।
प्रश्न 10. “मन पर किसी का बस नहीं; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।” टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा?
उत्तर- दुन्नू, दुलारी से बेहद प्यार करता था। वह होली के त्योहार पर एक खद्दर की धोती लेकर दुलारी को देना व अपने प्यार की भावना को प्रकट करना चाहता था लेकिन दुलारी दरवाजा खोल उसे देखते ही भला-बुरा कहने लगी और उसे बुरी तरह डाँट फटकार लगाई। दुलारी की डाँट फटकार सुनकर टुन्नू रोने लगा और अपने घर की ओर चल दिया। टुन्नू का दुलारी के प्रति यह किशोर जनित प्रेम था।
इसका कारण यह था कि उसे अच्छे-बुरे का पता नहीं था। उसने दुलारी से कहा कि मन पर किसी का बस नहीं; वह रूप या उम्र का कायल नहीं होता। जब दुलारी ने उसे अपने दरवाज़े पर फटकार कर भगाया तो उसका विवेक जाग गया। उसने अपने प्रेम भावना को देश की ओर उन्मुख किया तथा स्वाधीनता आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लेने लगा।
प्रश्न 11. ‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा।” का प्रतीकार्थ समझाइए ।
उत्तर- जिस समय दुलारी को अमन सभा में नाचने गाने के लिए टाउन हॉल में बुलाया गया तो उस समय वह वही खद्दर की धोती पहनकर आई जिसे टुन्नू ने उपहार में दी थी। दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर अत्यंत दुखी थी। सभा में उसने दर्द भरी आवाज में गाया “एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामाः कासों पूछ”, इसका अर्थ यह है की है-
हे राम! इसी जगह पर मेरी नाक की झुलनी (लौंग) खो गई है मैं इसके बारे में किससे पूछें। हिन्दू समाज में लोग या नथनी को सौभाग्य की निशानी मानी जाती है। इसका मतलब टुन्नू की मृत्यु से है । दुलारी जब गाने लगती है तो उसकी दृष्टि उसी स्थान पर जम जाती है जिस स्थान पर जमदार अली सगीर ने टुन्नू को अपने बूट से ठोकर मारकर उसको मौत के घाट सुला दिया था ।
दुलारी भी टुन्नू को दिलों जान से चाहती थी और टुन्नू दुलारी से बेहद प्यार करता था। टाउन हॉल में दुलारी टुन्नू को ही अपनी सुहाग की निशानी मानकर गीत गा रही थी।
प्रश्न 12. कोकिला की तरह दुलारी का भी दूसरों द्वारा पोषण होने से क्या अभिप्राय है? स्त्रियों के संबंध में यहाँ हमारी किन सामाजिक-मानसिक पतनशीलता का संकेत मिलता है?
उत्तर- कोकिला की तरह दुलारी का भी दूसरों द्वारा पोषण होने से अभिप्राय है कि जिस तरह कोयल को कौए द्वारा पालन किया जाता है ठीक उसी तरह दुलारी को फेंकू सरदार द्वारा रक्षिता बनाकर वेश्यावृती कराता था तथा वही उसका पोषण भी करता था।
हमारे समाज के लोगों ने दुलारी को पतिता औरत बनाया था। कोई भी स्त्री पतिता व निम्न स्तर की जिन्दगी जीना नहीं चाहती लेकिन समाज के कुछ बेकार लोग असहाय स्त्रियों को रक्षिता बनाकर उन्हें पतित जीवन जीने के लिए मजबूर कर देते हैं।
एही ठैया झूलनी हैरानी हो रामा question answer के अन्य प्रश्न
FAQ :
(1) एही ठैया झूलनी हेरानी हो रामा का अर्थ क्या हैं
उत्तर: इस कथन का अर्थ यह है कि इसी जगह पर मेरी नाक की लौंग खो गई है मैं किससे पूँछ ?
(2) टुन्नू दुलारी के लिए क्या उपहार लाया है
उत्तर: खद्दर का साड़ी
(3)एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा की नायिका का क्या नाम था लिखिए ?
उत्तर: दुलारी और टुन्नू
(4) आबरवां की जगह कौन सा कुर्ता टुन्नू ने पहना था
उत्तर: खद्दर का कुर्ता।
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