कक्षा 10 हिंदी पाठ 2 के प्रश्न उत्तर -Ncert

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कक्षा 10 हिंदी पाठ 2 के प्रश्न उत्तर

कक्षा 10 हिंदी पाठ 2 के प्रश्न उत्तर

अभ्यास के प्रश्न

प्रश्न 1. परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए ?

उत्तर- परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष टूटने के पक्ष में तर्क देते हुए कहा कि हे मुनिराज हमने तो बहुत धनुसे बचपन में तोड़ डाली हैं और यह शिव का धनुष तो पुराना था जिसे श्रीराम जी के द्वारा छूते ही टूट गया। आप इसपर व्यर्थ ही क्रोध कर रहे हैं 

प्रश्न 2. परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुई उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- परशुराम के क्रोध करने पर राम-लक्ष्मण की प्रतिक्रियाओं को देखने से मालूम चलता है कि राम धीर, गंभीर और कोमल स्वभाव के थे जबकि लक्ष्मण तीक्ष्ण, मजाकिया और क्रोधित स्वभाव के थे

प्रश्न 3. लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का जो अंश आपको सबसे अच्छा लगा उसे अपने शब्दों में संवाद शैली में लिखिए।

उत्तर- लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का सबसे अच्छा प्रसंग उस वक्त का है जब परशुराम ने विश्वामित्र से कहा कि- परशुराम- विश्वामित्र यह बालक मंद बुद्धि का है।

यह कुटिल काल के वशीभूत तथा अपने कुल का नाश करने वाला है। तुम इससे हमारे बल प्रताप और क्रोध का कथन करके यदि इसे बचा सकते हो तो बचा लो।

लक्ष्मण हे मुनि! आपके अलावा कौन बता सकता है। यदि इतना कहने पर भी आपको संतोष न हुआ हो तो फिर कुछ कहिए,

क्योंकि इस प्रकार क्रोध को रोककर बहुत दुख होगा; आप यह कष्ट मत करिए। परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा,

प्रश्न 4: निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए-

बाल ब्रह्मचारी अति कोही विश्वविदित क्षत्रियकुल दोही ।

जब भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही विपुल बार महिदेवन्ह दोन्ही ॥

सहस्रबहुभुज छेदनीहारा। परसू बिलोकु महीपकुमारा ॥

मातु पितहि जनि सोच बस करसि महीसकिसोर। गर्भन्ह के अभर्क दलन परसु मोर अति घोर।।

उत्तर- इन पक्तियो के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं की परशुराम ने अपने विषय में बताते हुए सभा में कहा कि मैं बाल ब्रह्मचारी अत्यंत क्रोधी और क्षत्रिय कुल का विश्व प्रसिद्ध शत्रु हूँ।

अपनी भुजाओं के बल पर मैंने इस पृथ्वी को राजाओं से विहान करके अनेक बार ब्रह्मणों को दान में दे दिया। सहस्रबाहु की भुजाओं का छेदन करने वाले मेरे इस फरसे को देख राजपुत्र घबरा जाता हैं

ऐ राजा के राजकुमार अपने माता-पिता को सोच के वशीभूत न कर क्योंकि मेरा यह फरसा गर्भस्थ शिशुओं का भी विनाश करने वाला है।

 

प्रश्न 5 लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या क्या विशेषताएँ बताई ?

उत्तर- लक्ष्मण ने वीर योद्धा की विशेषताएँ बताते हुए कहा कि वीर युद्ध भूमि में अपनी वीरता दिखलाते हैं केवल स्वयं के मुख से कहते नहीं।

प्रश्न 6. साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर- साहस और शक्ति के साथ यदि विनम्रता हो तो इसका अर्थ ये हैं की व्यक्ति का चरित्र सर्वथा अनुकरणीय बन जाता है। इसके सबसे बड़े उदाहरण राम हैं

क्योंकि उनमें उनके विपरीत परिस्थितियों में भी साहस है, कार्य सम्पन्न करने की शक्ति और इन दोनों के अनुरूप विनम्रता भी है। इसी कारण राम का चरित्र सर्वथा अनुकरणीय है और अपने-आप में आदर्श है यही एक विनम्र पुरुष की पहचान हैं।

प्रश्न 7. भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी ।। पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू । चहत उड़ावन फूँकि पहारू ।।

(ख) इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं । जे तरजनी देखि मरि जाहीं ।। देखि कुठारु सरासन बाना । मैं कछु कहा सहित अभिमाना ।।

(ग) गाधिसू नु कह हृदय हंसि मुनिहि हरियरे सूझ । अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ ||

उत्तर- (क) लक्ष्मण जी हंसकर मधुर आवाज में बोले की, हे मुनिराज आप अपने को बड़ा योद्धा समझ रहे हैं और बार-बार मुझे कुठार दिखा रहे हैं; आप फूँक कर पहाड़ को उड़ाना चाहते हैं। लक्ष्मण ने इस कथन के माध्यम से परशुराम की वीरता पर प्रश्न किया है।

(ख) यहाँ कोई कुम्हड़े की बतिया नहीं जो तर्जनी अंगुली के दिखाने मात्र से ही मर जाती है। आपके इस कुठार और धनुष-बाण को देखकर ही मैंने कुछ गर्व पूर्वक कहा है।

(ग) विश्वामित्र जी सोचने लगे कि क्रोध में मुनि को सब कुछ हरा हरा दिखाई देता है। ये नहीं समझ पा रहे कि लोहे का टुकड़ा लोहे का टुकड़ा ही रहता है वह ईख का टुकड़ा नहीं हो सकता।

प्रश्न 8. पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौंदर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।

 

उत्तर- तुलसी की भाषा का सौन्दर्य अर्थ है की उनकी भाषा भाव के अनुसार रहती हैं कहा जा सकता है कि भाव के अनुरूप भाषा में भावों के संवहन की जो क्षमता होनी चाहिए

उस तरीके से तुलसी की भाषा अपूर्व और अद्वितीय है। व्यंग्य हमेशा मितकथन में अपनी ऊँचाइयों को छूता है। लक्ष्मण का हँसना, जहाँ तुलसीदास ने प्रयोग किया है-‘बिहसि लखन बोले मृदु बानी – एक और व्यंग्यपूर्ण हंसी और दूसरी तरफ कोमल वाणी दोनों मिलकर परशुराम के क्रोध को बढ़ा देते हैं।

यह भाषा की मितकथन की सौन्दर्य का ही नमूना है। अंततः तुलसी भाषा के नायक हैं। इसमें कोई शक नहीं।

प्रश्न 9. इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौन्दर्य विद्यमान है। लक्ष्मण जी और परशुराम जी का पूरा संवाद व्यंग्यप्रधान शैली में है। परशुराम द्वारा शिवधनुष को तोड़ने वाला शत्रु कहा जाने पर लक्ष्मण जी मुस्कराते हुए परशुराम पर योग्य करते हुए कहते हैं- “बहु धन हीं तोरी लरिकाई। कबहु न असि रिस कीन्हि गोसाई।

यह उत्तर सुनकर परशुराम जी क्रोध से जल उठते हैं और कुठार उठा लेते हैं रे नृप बालक काल यस बोलत तोहि न संभार कहकर लक्ष्मण पर क्रोध करते हैं। लक्ष्मण जी भी उनके व्यंग्य बाणों को सुनकर ‘भृगुसुत समुझि जनेउ विलोकी।

जो कछु कहहु सहाँ रिस रोकी। कहकर व्यंग्य कर अपने क्रोध को रोकने का कारण बताते हैं। लक्ष्मण जी परशुराम की वीरता का मजाक उड़ाते हुए कहते हैं-

‘सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहि आपु इस लक्ष्मण के व्यंग्य कथन को सुनकर परशुराम आग बबूला होकर कह उठते हैं ‘वाल विलोकि बहुत मैं यांचा अब यहु – मरनिहार भा साँचा।’ इस प्रकार सम्पूर्ण पठित राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद व्यंग्यपूर्ण शैली में लिखित है।

प्रश्न 10. निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए-

(क) बालकु बोलि बधौं नहीं तोही ।

(ख) कोटि कुलिस सम वचनु तुम्हारा।

(ग) तुम्ह तौ कालु जनु लावा।

बढ़त बार मोहि लागि बोलावा ।।

(घ) लखन उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु । बढ़त देखि जल सम वचन बोले रघुकुलभानु।।

उत्तर-(क) अनुप्रास अलंकार

(ख) उपमा अलंकार

(ग)उपमा अनुप्रास

(घ) उपमा अलंकार

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Note: तो आपने देखा की हमने आज कक्षा 10 हिंदी पाठ 2 के प्रश्न उत्तर को अच्छे से जाना आशा करता हूं कि आपकों ये पोस्ट पसंद आया होगा