जैव प्रक्रम प्रश्न उत्तर कक्षा 10 ll कक्षा 10 विज्ञान पाठ 6 के प्रश्न उत्तर ll

 तो दोस्तों एक बार फ़िर मैं आपका स्वागत करता हूं इस पोस्ट पर अगर आप  जैव प्रक्रम प्रश्न उत्तर कक्षा 10  को खोज रहे है तो आप बिलकुल सही पोस्ट पर आए है क्योंकि मैंने इस पोस्ट पर  कक्षा 10 विज्ञान पाठ 6 के प्रश्न उत्तर को बताया हैं तो चलिए शुरु करते हैं   

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जैव प्रक्रम प्रश्न उत्तर कक्षा 10


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1.) हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवो में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है 

उत्तर : क्योंकि हमारे शरीर की कोशिकाएं अनेकों परतो के मिलने से त्वचा तथा अंगों का निर्माण करती है जिसके कारण इस कोशिका को सीधा संपर्क संभव नहीं हो पाता है। 

2.)कोई वस्तु सजीव है। इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदंड का उपयोग करेंगे। 

उत्तर : जैविक क्रियाओं के क्रियाशीलता के आधार पर हम सजीव व निर्जीव में विभेद कर सकते हैं। 

3.) किसी जीव द्वारा किन कच्चे सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। 

उत्तर : किसी के द्वारा उपयोग किए जाने वाले कच्ची सामग्री इस प्रकार है। जल, वायु, सूर्य का प्रकाश 

4.)जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रम को आवश्यक मानेंगे। 

उत्तर : जीवन का अनुरक्षण के लिए आवश्यक प्रक्रम श्वशन, उत्सर्जन गमन और भोजन है।

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1.) स्वयंपोषि पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अंतर है? 

उत्तर : स्वपोषी पोषण 

•पोषण कि वह विधि जिसमें कोई जीव अपना भोजन स्वयं बनाता है, उसे स्वपोषी पोषण करते हैं। 

•सभी हरे पौधे अपना भोजन स्वपोषी पोषण से प्राप्त करते हैं। 

विषमपोषी पोषण 

•पोषण की विधि जिसमें कोई जीव अपना भोजन स्वयं नहीं बनाता है, उसे विषमपोषी पोषण करते हैं। 

•इसमें प्रत्यक्ष रूप से प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती है। 

2.)प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहां से प्राप्त होता है? 

उत्तर : प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री इस प्रकार है। 

•जल :- जल मिट्टी के द्वारा प्राप्त होता है। 

•CO2:- CO2 वायुमंडल से प्राप्त होता है।

3.)हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है? 

उत्तर : अमाशय में जठर ग्रंथि से जठर रस तथा HCL निकलता है जो भोजन को अम्लीय कर देता है। साथ में भोजन के साथ आए हुए सूक्ष्मजीव को भी नष्ट कर देता है। 

4.)पाचक एंजाइमों का क्या कार्य है? 

पाचक रसों में कुछ प्रकार के रसायन कम मात्रा में उपस्थित होते हैं जो भोजन में उपस्थित पोषक तत्व को सरल अणुओं में तोड़ता है जिसे एंजाइम कहते हैं।

5.) पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रांत्र को कैसे अभीकल्पित किया गया है। 

उत्तर : मानव की आहार श्रृंखला में क्षुद्रांत्र की प्रमुख भूमिका है। जब अधपचा भोजन क्षुद्रांत्र में पहुंचता है तो उसकी आंतरिक दीवारों से आंत्र रस निकालकर भोजन के साथ मिल जाता है और अधपचे भोजन को पूर्णतः पचा देता है तथा क्षुद्रांत्र की आंतरिक दीवारों के पीछे रुधिर वाहिका व तथा लसीका वाहिनियों का घना जाल बिछा रहता है। 

वसीय अम्ल और गिलसरौल आंत की दीवारों से अवशोषित होकर लसिका में पहुंच जाता है। फिर लसीका के साथ शरीर के सभी भागों तक पहुंच जाता है तथा ग्लूकोस और अमीनो अम्ल दीवारों में विसरित होकर रुधिर वाहिका में पहुंच जाता है। फिर रुधिर के द्वारा विभिन्न भागों तक पहुंचाया जाता है।

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1.)श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जो किस प्रकार लाभप्रद है 

उत्तर : क्योंकि जलीय जीव जल में घुली हुई ऑक्सीजन से श्वसन की क्रिया को संपन्न करते हैं तथा जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है, 

जबकि स्थलीय जीव वायुमंडल से ऑक्सीजन को ग्रहण करते हैं। और श्वसन की प्रक्रिया पूरा करते हैं तथा वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है।

2.) ग्लूकोज के ऑक्सीजन से भिन्न जीवो में उर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ क्या है 

उत्तर : क्योंकि कार्बोहाइड्रेट के पाचन के फलस्वरूप ग्लूकोज का निर्माण होता है और फिर यह ग्लूकोज आक्सीजन की उपस्थिति में औकसिकृत होकर ऊर्जा का उत्पादन करता है 

जिससे शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाया जाता है और सभी इसे ग्रहण करके अपना कार्य करते हैं। विभिन्न जीवो में ऑक्सीजन को ग्रहण करने का पथ भी अलग अलग ही होता है।

3.) मनुष्य में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है? 

मनुष्य में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन रुधिर के द्वारा होता है जिसमें RBC में उपस्थित हिमोग्लोबिन फेफड़ों की कोशिकाओं के द्वारा वायु में उपस्थित ऑक्सीजन का अवशोषण करके शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाता है 

तथा सभी अंगों के द्वारा उपापचय क्रिया के बाद उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड को रुधिर अपने प्लाज्मा के साथ बहाकर फेफड़ों में छोड़ देता है।

4.) गैसों के विनिमय के लिए मानव फूफफुस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अभीकल्पित किया है। 

उत्तर : मानव का प्रत्येक फेफड़ा लाखों कुपिकाओ में बटा होता है। वायु की अनुपस्थिति में कुपिकाएं सिकुड़कर परस्पर निकट आ जाती है और अपने आकार को संकुचित कर लेती है। 

लेकिन जब वायु फेफड़ों में प्रवेश करती है तो कूपिताएं फूलकर अधिक आकार घेर लेती है जिसके चलते फेफड़े का क्षेत्रफल भी बढ़ जाता है जिससे वायु के आदान-प्रदान में सुविधा होती है।

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1.)मानव में वाहन तंत्र के घटक कौन से हैं, इन घटकों के क्या कार्य हैं। 

उत्तर : मानव मे वहन तंत्र के घटक तीन है जिनके कार्य इस प्रकार है। 

i.)ह्रदय :ह्रदय का मुख्य कार्य रुधिर को शरीर के सभी भागो तक पहुंचाना तथा सभी भागों से रुधिर को एकत्रित करना। 

ii.) रुधिर वाहिनिया : रुधिर वाहिनी के द्वारा ही शरीर के सभी भागों तक रुधिर को पहुंचाया जाता है। 

iii.) रुधिर : रुधिर एक प्रकार का संयोजी उत्तक होता है जो भोजन, जल और वायु को शरीर के विभिन्न भागों की कोशिकाओं में वितरित करता है। 

2.) स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजन रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है? 

उत्तर : इन जीवों में ऑक्सीजनित और विऑक्सीजन रुधिर को अलग करना अति आवश्यक है क्योंकि इन में ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत होती है जबकि रुधिर इतनी आवश्यकता की भी पूर्ति नहीं कर पाता और अगर दोनों प्रकार के रक्त मिल जाएंगे तो ऑक्सीजन की पूर्ति और भी नहीं हो पाएगा। 

इसलिए स्तनधारी और पंक्तियों में ऑक्सिजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना आवश्यक है।

3.)उच्च संगठित पादप में वाहन तंत्र के घटक क्या है? 

उत्तर : उच्च संगठित पादपों में वहन तंत्र के घटक, फ्लोएम और जाइलम उत्तक हैं जिसमें फलोएम के द्वारा भोजन का तथा जाइलम के द्वारा जल और खनिज लवण का परिवहन होता है।

4.) पादप में जल और खनिज लवण का वह कैसे होता है। 

उत्तर : पादपों के जड़ों में उपस्थित मुलरोम के द्वारा मिट्टी से जल तथा खनिज लवण को अवशोषित परासरण क्रिया के द्वारा होता है। 

जब एपीब्लेमा की कोशिका मूलरोम के संपर्क में आती है तो कोशिका द्रव की सांद्रता की असमानता के कारण अवशोषित खनिज विलयन अंतः परासरण क्रिया द्वारा एपीबलेमा में पहुंचता है।

5.) पादप में भोजन का स्थानांतरण कैसे होता है? 

उत्तर : पौधों के पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण क्रिया के फलस्वरूप बना भोजन फ्लोएम उत्तक के द्वारा पौधे के सभी भागों तक पहुंचता है। 

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1.) वृकाणु की रचना तथा क्रियाविधि का वर्णन कीजिए। 

उत्तर : मानव के शरीर में देहगुहा के उदर भाग में एक जोड़ी वृक्क होती है जो मेरुदंड के दोनों ओर स्थित होते हैं। प्रत्येक वृक्क में लगभग 10 लाख वृक्कानु होते हैं जोकि महीन धागे के संरचना जैसी होती है जिसके सिर पर प्याले के आकार की संरचना होती है, जिसमें एफरेंट तथा इफरेंट नामक रुधिर कोशिकाओं का गुच्छा उपस्थित होता है, जिसे कोशिका गुच्छ कहते हैं। दोनों को मिलाकर मालपिघियन का संपुट कहते हैं। इस संपूट से जुड़ी नलिका मूल नलिकाका कहलाती है। 

इसका नीचे का पतला मुड़ा हुआ भाग हेनले का लूप कहलाता है। यही लूप लंबी नलिका के रूप में आगे बढ़कर अन्य इसी प्रकार की नलिकाओं से मिलकर एक सामान्य नलिका के रूप में वृक्क से बाहर निकलती है जिसे मूत्रनालिका कहते हैं। मूत्र का निर्माण वैमेन संपुट में रुधिर में उपस्थित ठोस अशुद्ध छानती है तथा जल की आवश्यकता से अधिक मात्रा मूत्र निर्वाहिक में विसरित होती है। इसी नलिका में ठोस वर्ज्य पदार्थ जल में घुलकर मूत्र का निर्माण करता है जो मूल नलिका द्वारा मूत्राशय में आता है जिसके बाद मूत्रमार्ग द्वारा निष्कासित कर दिया जाता है।

 

2.)उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप में किन विधियों का उपयोग करते हैं? 

उत्तर : पौधों में गोंद, रेजीन तथा दूध जैसे पदार्थ उनके उत्सर्जी उत्पाद होते हैं जो विभिन्न पदार्थ पादपों में विभिन्न प्रकार से उत्पन्न होते हैं तथा तना एवं शाखाओं के बाह्य भागों से बाहर निष्कासित किए जाते हैं। यह पदार्थ विशेष रूप से गांठों से बाहर निकलते हैं।

3.)  मूत्र बनने की मात्रा किस प्रकार नियंत्रित की जाति है? 

उत्तर : मानव के शरीर में मूत्र वृक्को में बनता है जिसमें रुधिर द्वारा लाए गए हानिकारक पदार्थ तथा ग्लूकोस, यूरिया अम्ल, लवण आदि जल की प्रचुर मात्रा में छनकर मूत्र नलिका में परस्पर मिलकर मूत्र की रचना करते हैं। 

यह मूत्र मूत्रवाहिनी द्वारा मूत्राशय में भंडारित होता है। मूत्राशय से मूत्र तब तक भंडारित रहता है जब तक कि फैले हुए मूत्राशय का दाब मूत्रमार्ग द्वारा उसे बाहर न कर दे। मूत्राशय पेशीय होता है अतः यह तंत्रिका द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

  अभ्यास के प्रश्न

1.) मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का भाग है जो संबंधित है।

a)पोषण से b)स्वसन से c)उत्सर्जन से d)परिवहन से 

उत्तर : c 

 2.) पादप में जाइलम उत्तरदाई है।
a)जल के वाहन के लिए
b)भोजन के वाहन के लिए
c)अमीनो अम्ल के वाहन के लिए
d)ऑक्सीजन के वाहन के लिए 

उत्तर : a 

3.)स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है। 
a.)कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल 
b.)क्लोरोफिल 
c.)सूर्य का प्रकाश 
d.)उपयुक्त सभी 

उत्तर : d 

4.) पायरुवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है। a.)कोशिका द्रव्य में
b.)माइट्रोकांड्रिया में
c.)हरित लवक में
d.) केंद्रक में 

5.) हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है। यह प्रक्रम कहां होता है?

उत्तर : मानव शरीर में वसा का पाचन यकृत में होता है। जब भोजन और अर्धठोस के रूप में यकृत में पहुंचता है तो यकृत के पिताशय से पित्त रस निकलता है जो भोजन के साथ मिलकर उसे छोटे-छोटे कणों में तोड़ देता है जिसे पायसीकरण कहते हैं। 

फिर पयसीकृत वसा अग्न्याशय में चला जाता है। जहां से आंतरिक रस निकलता है जो पयसीकृत वसा को वसीय अम्ल और गिलसरौल में बदल देता है।

6.) स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियां कौन सी है और उसके उत्पाद क्या है? 

उत्तर : स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक पर स्थिति यह है कि सभी पौधे हरे होते हैं जोकि स्वपोषी होते हैं। यह अपना भोजन प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया से संपन्न करते हैं।

7 .) वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अंतर है? कुछ जीवो के नाम लिखिए जिनमें वायवीय स्वसन होता है। 

उत्तर : वायवीय और अवायवीय श्वसन में अंतर 

वायविय स्वसन 

•इस प्रकार के स्वसन वायु की अनुपस्थिति में होता है।

•इसमें उत्पाद के रूप में इथेनॉल और कार्बन डाइऑक्साइड निकलता है। 

•इसमें ऊर्जा 2ATP उत्पन्न होता है। 

अवायवीय श्वसन 

•इस प्रकार के स्वसन वायु की उपस्थिति में होता है। •इसमें उत्पादन के रूप में CO2 तथा जल निकलता है। इसमें ऊर्जा 3ATP उत्पन्न करता है।

8.)गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएं किस प्रकार अभीकल्पित हैं 

उत्तर : मानव में दो फेफड़े होते हैं, जिसमें अनेकों कोशिकाएं होती है और उच्छावास की प्रक्रिया में कूपिकाएं में भरी वायु नासिका रंध्र के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाती है जिससे कूपिकाएं संकुचित हो जाती है और क्षेत्रफल कम हो जाता है, 

जबकि प्रश्वास के दौरान वायु फेफड़े में आती है और कोशिकाओं में वायु भर जाती है जो रुधिर कोशिकाओं के द्वारा इनका आदान-प्रदान होता है।

9.) हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं। 

उत्तर : शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी से हो जाने से एनीमिया रोग हो सकता है तथा ऑक्सीजन की अवशोषण की कमी से शरीर के विभिन्न भागों में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाएगा। 

जिससे व्यक्ति को शीघ्रता से लंबे लंबे श्वास लेने में परेशानी होगी और वह थक जाएगा जिससे कमजोरी फील करेगा।

10.) मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। 

उत्तर : हमारा हृदय 4 कक्षाओं में बटा होता है। दांया अलिंद ,बाया अलिंद , दाया निलय, बाया निलय जब अशुद्ध रक्त शिरा के द्वारा शरीर के सभी भागों से दाया अलिंद में आता है तो फिर वह दाया निलय में चला जाता है 

और यहां से शुद्ध होने के लिए फेफड़ा में चला जाता है और शुद्ध होने के बाद बाया अलिंद से होते हुए बाया निलय में चला जाता है और इस शुद्ध रक्त को धमनी के द्वारा शरीर के सभी भागो तक पहुंचा दिया जाता है और इस प्रकार रक्त दो बार हृदय में आ जाता है जिसे दोहरा परिसंचरण कहते हैं। 

11.) जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अंतर है? 

जाइलम और फ्लोएम में पदार्थों के वहन में अंतर 

जाइलम

•यह वाहिनीया पौधों में जल तथा खनिज लवण का परिवहन करते हैं।

•यह कच्चे पदार्थ होते हैं। 

•यह पौधे के ऊतकों के निर्माण तथा मरम्मत का भी कार्य करते हैं। 

फ्लोएम 

•यह वाहिनी पौधों में भोजन का परिवहन करते हैं। 

•यह उत्पादित पदार्थ होते हैं। 

•यह पदार्थ प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा बनते हैं?

12.) फूफफुस में कुपिकाओं तथा वृक्क में वृक्राणु की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना करें। 

उत्तर : कुपिका ये फेफड़ों में गोला आकृति की जैसी होती है जो कि दोहरी दीवार वाली कुपीका होती है। इनके बीच रुधिर कोशिकाओं का जाल होता है जिनमें बाहर की वायु प्रवेश करती है। 

नेफ्रॉन यह वृक्क की संरचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई होती है जो महीने आगे के जैसा होता है। इसमें अशुद्ध रक्त प्रवेश करता है जो जल के द्वारा मिलकर मूत्र के रुप में शरीर से बाहर मूत्रमार्ग के द्वारा निकलता है।

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