दोहरा परिसंचरण किसे कहते हैं।दोहरा परिसंचरण के बारे में।परिसंचरण तंत्र क्या है दोहरा परिसंचरण की क्रियाविधि ।

 हेलो दोस्तो ,आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे कि  दोहरा परिसंचरण किसे कहते हैं तथा मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की क्रियाविधि को समझेंगे । साथ में हम मानव शरीर मे रक्त का पंप कैसे होता है उसे भी समझेगे ।

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दोहरा परिसंचरण 

                                       रक्त को एक चक्कर में दो बार हृदय से गुजरने पर पहली बार में शरीर का समस्त अशुद्ध रक्त ह्रदय में दाहिने अलिंद में जमा होकर फेफड़े में चला जाता है तथा दूसरी बार में ह्रदय के बाएं अलिंद में फेफड़े फुफ्फुस से शिराओं द्वारा एकत्रित होकर शुद्ध रुधिर महाधमनी द्वारा पूरे शरीर में पंप किया जाता है |


परिसंचरण तंत्र

 दोहरा परिसंचरण में भाग लेने वाले सभी अंग सम्मिलित रूप से मिलकर परिसंचरण तंत्र बनाते हैं




दोहरा परिसंचरण की क्रियाविधि

 रक्त के द्वारा ही ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन होता है इसलिए ऑक्सीजन युक्त रक्त और कार्बन डाइऑक्साइड युक्त को मिलने से रोकने के लिए ह्रदय को चार किष्ठो में बांटा गया है

दाँया अलिंद , बाँया अलिंद ,दाँया निलय ,बाँया निलय

कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रक्त को कार्बन डाइऑक्साइड को छोड़ने के लिए फुफ्फुस में जाना होता है तथा फुफ्फुस से पुनः ऑक्सीजन युक्त रक्त को हृदय में लाना होता है और फिर शरीर के पूरे भाग में जाना होता है |


जब ऑक्सीजनहिन रक्त फुफ्फुस में आता है तो रुधिर को एकत्रित करते समय बाया अलिंद हृदय में बाई ओर स्थित बाया ओर स्थित बाँया अलिंद सिकुड़ता रहता है

और जब अगला बाँया अलिंद फैलता है तब यह संकुचित होता है जिससे रुधिर इसमें चला जाता है और फिर जब पेशीय बाँया निलय संकुचित होता है तब रुधिर पूरे शरीर में पंप हो जाता है


 ऊपर वाला दाँया अलिंद जब फैलता है तो शरीर से CO2 युक्त रक्त इसमें आता है और जैसे दाँया अलिंद संकुचित होता है तो दाँया फैल फ़ैल जाता है और फिर रक्त दाँया निलय चला जाता है जोकि रक्त को ऑक्सीजीनीकरण हेतु अपनी बारी पर फुफ्फुस में पंप कर देता है


 

 अलिंद की अपेक्षा निलय की पेशियों भित्ति मोटी होती है क्योंकि निलय को पूरे शरीर में रुधिर को भेजना होता है



 और जब  अलिंद या निलय संकुचित होता है तो उलटी दिशा में रुधिर के प्रभाव को रोकना सुनिश्चित  होता है इस प्रकार रक्त एक बार रुधिर से हृदय में तथा हृदय से शरीर के पूरे भाग में चला जाता है तथा पूरे शरीर से अशुद्ध रक्त ह्रदय में जाता है इस प्रकार मानव ह्रदय में रुधिर या रक्त दो बार चला जाता है जिसे दोहरा परिसंचरण कहते हैं


दोहरा परिसंचरण किसे कहते



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मैं आशा करता हु की अब आप मनुष्य में दोहरा परिसंचरण किसे कहते है को अच्छे से समझ गए होंगे की साथ में अब आप दोहरा परिसंचरण के बारे में जान गए हो

thank you