नौबत खाने में इबादत पाठ का प्रश्न उत्तर -2023

तो दोस्तों अगर आप भी क्लास 10th के छात्र हैं और आप भी गूगल पर नौबत खाने में इबादत के प्रश्न उत्तर को ढूंढ रहे है तो आप बिलकुल ही सही जगह पर आए हैं तो चलिए शुरु करते है…

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नौबत खाने में इबादत

नौबत खाने में इबादत पाठ का प्रश्न उत्तर

अभ्यास के प्रश्न

प्रश्न 1. शहनाई की दुनिया में दुमरांव को क्यों याद किया जाता है

उत्तर : शहनाई और डुमरांव के एक अलग ही प्रकार का संबंध है। डुमरांव में सोन नदी के किनारों पर पाई जाने वाली नरकट घास से रीड बनाई जाती है। यह रीड अंदर से खाली होती है जिसके सहारे शहनाईको फूंका जाता हैं और भारत के प्रसिद्ध शहनाई वादक बिसीमल्ला खां का जन्म भी डुमराव मे ही हुआ था।

प्रश्न 2. बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा गया है ?

उत्तर-बिस्मिल्ला खाँ अपनी अस्सी वर्ष की अवस्था में भी सच्चे सुर के लिए ख़ुदा से विनती करते रहे। अपनी प्रत्येक नमाज में इसी सुर को पाने की प्रार्थना करते। उनकी यही इच्छा रहती थी कि लोगों के मांगलिक कार्यों में उनकी शहनाई बजती रहे।

इसलिए बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक कहा गया है।

प्रश्न 3. सुधिर वाद्यों से क्या अभिप्राय है ?शहनाई को ‘सुषिर वाचों में शाह की उपाधि क्यों दी गई होगी?

उत्तर-इसका अभिप्राय यह है कि फूँककर बजाये जाने वाले वाद्य यंत्रों को ‘सुषिर वाद्य’ कहा जाता है। वैदिक इतिहास में शहनाई का उल्लेख नहीं मिलता।

अरब देश में फूँककर बजाए जाने वाले वाद्य जिसमें ‘नाड़ी’ होती है, ‘उसे ‘नय’ कहते हैं। इसी आधार पर शहनाई को शाहेनय यानी, ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि दी गई है।

प्रश्न 4. आशय स्पष्ट कीजिए-

(क) ‘फटा सुरन बख्यों लुंगिया का क्या है, आज फटी है, तो कल सी जाएगी।’अनगढ़ आँसू निकल आएँ रहे। लुंगी का क्या फट जाने पर फिर सिल जाएगी लेकिन सुर एक बार फटने के बाद उसमें सुधार नहीं हो सकेगा?

(ख) ‘मेरे मालिक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि से सच्चे मोती की तरह अनपढ़ आंसू निकल आए।

उत्तर- (क) इस पंक्तियों का आशय यह है कि बिस्मिल्ला खाँ भगवान से प्रार्थना करते थे कि उनकी लुंगी भले ही फट जाए किंतु शहनाई का स्वर कभी न फटे, वह हमेशा पूर्ण और सच्चा बना रहें क्योंकि लुंगी फट जानें पर दोबारा सिल जाएगी लेकीन सुर फट जानें पर उसमे सुधार नहीं किया जा सकता।

(ख) इस पंक्ति का कहने का आशय है कि बिस्मिल्ला खाँ जब भी नमाज पढ़ते थे तो खुदा से सच्चे सुर की प्रार्थना करते थे। वे अपने सुर में ऐसा प्रभाव पाना चाहते थे कि जिसके प्रभाव से भाव-विभोर होकर प्रत्येक आँख से सच्चे मोतियों के समान चमकते हुए आँसू बहने लगे।

प्रश्न 5. काशी में हो रहे कौन-से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे ?

उत्तर- काशी जो संगीत, साहित्य और आदर की परंपराओं के लिए प्रसिद्ध थी अब वहाँ की परंपराओं में परिवर्तन आ गया था।

गायकों के मन में संगतकारों के प्रति आदर नहीं रहा, घंटों किए जाने वाले रियाज को कोई नहीं पूछता था संगीत, साहित्य, आदर की अधिकतर परंपराएँ समाप्त हो गई थीं। इन सबको देखकर बिस्मिल्ला खाँ व्यथित हो उठते।

प्रश्न 6. पाठ में आए किन प्रसंगों के आधार पर आप कह सकते हैं कि-

(क) बिस्मिल्ला खाँ मिली जुली संस्कृति के प्रतीक थे।(ख) वे वास्तविक अर्थों में एक सच्चे इन्सान थे।

‘उत्तर- (क) ‘अपने मजहब के प्रति अत्यधिक समर्पित बिस्मिल्ला खाँ की श्रद्धा विश्वनाथ जजी के प्रति भी अपार थी।’ इस प्रसंग के आधार पर कह सकते हैं कि बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे।

(ख) धत ! पगली इ भारतरन हमको शहनाइया पे मिला है, लुगिया पे नाहीं। तुम लोगों की तरह बनाव सिंगार देखते रहते, तो उमर ही बीत जाती ,हो चुकती शहनाई। तब क्या खाक रियाज हो पाता ? ठीक बिटिया, आगे से नहीं पहनेंगे, मगर इतना बताए देते हैं कि मालिक से यहाँ दुआ है, ‘फटा सुर ने ना दे।, लुंगी का क्या हैं आज फटी है, तो कल मिल जाएगी।

प्रश्न 7. बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से जुड़ी उन घटनाओं और व्यक्तियों का उल्लेख को उनकी साधना को समृद्ध किया ?

उत्तर-बिस्मिल्ला खाँ का जन्म संगीतमय माहौल में हुआ था। बाद में उनका बचपन भी शहनाइयों की गूंज में व्यतीत हुआ। रसूलनबाई और बतूलनबाई नामक दो गायिका बहनों ने विस्मिल्ला खाँ की संगीत के प्रती और भी प्रेरित किया।

बिस्मिल्ला खाँ जब काशी के पुराने बालाजी के मंदिर नौबतखान में रियाज के लिए जाते तो उन दोनों गायिका बहनों द्वारा गाये गए ठुमरी, टप्पे, दादरा आदि सुनते थे। उनके समारोह, उत्सव आदि में भी वे अपनी शहनाई की मंगलध्वनि निकालते थे। मुहर्रम में वे अपनी शहनाई बजा पैदल जाते थे।

वे कई घंटों तक रियाज करते थे। संगीत और सच्चे सुर की चाह में लगे रहते थे। इस तरह अनेक घटनाओं और व्यक्तियों ने उनकी संगीत साधना को समृद्ध किया।

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रचना और अभिव्यक्ति 

प्रश्न 8 बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया ? 

उत्तर – बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की ऐसी अनेक विशेषताएँ हैं जिन्होंने हमें प्रभावित किया। इनमे अनेकों विशेषताएं थी जिनमे कुछ इस प्रकार हैं

•मैं उनके अपने लक्ष्य अपने उद्देश्य के प्रति समर्पण की भावना ने प्रभावित किया।

•उन्होंने अन्य बातों को छुपा कर संगीत को ही अपना लक्ष्य बनाकर प्राथमिकता दी।

•शहनाई वादक के रूप में विख्यात होने और भारतरत्न जैसे पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद भी किसी प्रकार का कोई दिखावा आदि न करके सादे में रहना उनकी सहजता को प्रदर्शित करता

•हिन्दू-मुस्लिम संप्रदाय में सामंजस्य स्थापित करने की भावना भी उनमें प्रबल थी।

•उन्होंने सदैव भाईचारे की भावना पर बल दिया।

प्रश्न 9 मुहर्रम से विस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव को अपने शब्दों में लिखिए

उत्तर- ‘मुहर्रम’ विस्मिलता खाँ और शहनाई के साथ जुड़ा हुआ एक मुस्लिम पर्व है। मुहर्रम को महीने में शिया मुसलमान हजरत इमाम हुसैन एवं उनके वंशजों के प्रति शोक मानते हैं। पूरे दस दिन चलने वाले इस शोक में किसी प्रकार का कोई संगीत नहीं बजाया जाता है।

आठवें दिन बिस्मिल्ला ख़ां खड़े होकर शहनाई बजाते थे और दालमंडी में फातमान से करीब आठ किलोमीटर की दूरी पैदल रोते हुए शोक धुन बजाते हुए जाते थे। ये इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों की कुर्बानी में रहते। मुहर्रम के इस गमगीन माहौल में बिस्मिल्ला खाँ का विशेष जुड़ाव था।

प्रश्न 11. कला के अनन्य उपासक थे, तर्क सहित उत्तर दीजिए ।

उतर-बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे। अस्सी वर्ष की आयु में भी वे सच्चे सुर लिए खुदा से प्रार्थना करते रहे। ये शहनाई बजाने का घंटों रियाज करते रहते थे। उन्हें कुलसुम नामक पकवान संगीतमय लगती थीं 

नौबत खाने में इबादत से संबंधित कुछ और प्रश्न

FAQ :

(1)नौब तखाने मे हबादत का क्या अर्थ है?

उत्तर- नौबत खाने में इबादत में लेखक ने शहनाई के विद्वान बिसिमल्ला खाँ के जीवन चरित्र को बताया है?

(2)नौबत खाने में इबादत पाठ के लेखक का क्या नाम है?

उत्तर – नौबत खाने में इबादत के लेखक श्री यतींद्र मिस्र हैं 

(3) नौबत खाने में इबादत पाठ के आधार पर लिखिए बालाजी का मंदिर कहाँ स्थित है

उत्तर -बालाजी का मंदिर शहर के दक्षिण में लंका पर स्थित है

(4)काशी में कौनसी परम्परा लुप्त हो गई ?

उत्तर- काशी मे संगीत, साहित्य और अदब की बहुत सी परंपराएँ लुप्त हो गई।

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बाल गोबिंद भगत

नेता जी का चश्मा

Note : तो दोस्तों देखा मैने इस पोस्ट पर नौबत खाने में इबादत से संबंधित कुछ और भी प्रश्नों को बताया अअगर आपके मन में कोई और सवाल हो तो comment करके जरूर पूछे।