फ़्रांसीसी क्रांति नोट्स इन हिंदी ll इतिहास कक्षा 9 पाठ 1 Notes ll

1774 इस बीमे लुई सोलहवा फ्रांस का राजा था। उस समय उसकी उम्र 20 साल का था और उसका विवाह ऑस्ट्रेलिया की राजकुमारी…. 

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Hellow दोस्तों, तो आज के इस पोस्ट मे आपका स्वागत हैं जँहा हम फ़्रांसीसी क्रांति नोट्स इन हिंदी  के बारे मे पढ़ेंगे… तो चाहिए शुरू करते हैं

फ़्रांसीसी क्रांति नोट्स इन हिंदी ll इतिहास कक्षा 9 पाठ 1 Notes ll

इस पोस्ट पर के Topics… 

18 वीं सदी के शुरुआत में फ्रांस

प्राचीन राजतंत्र 

18वीं सदी में नए समूह का उदय 

क्रांति की शुरुआत 

फ्रांस में संविधान 

सक्रिय नागरिक 

फ्रांस में राजतंत्र का उन्मूलन और गणतंत्र की स्थापना

जैकोलिन क्लब 

आतंक राज 

गिलोटिन 

महिलाओं की क्रांति 

दास प्रथा 

त्रिकोणीय व्यापार 

नेपोलियन का उदय।


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    18 वीं सदी के शुरुआत में फ्रांस

1774 ईस्वी में लुई सोलहवा फ्रांस का राजा था। उस समय उसकी उम्र 20 साल का था और उसका विवाह ऑस्ट्रेलिया की राजकुमारी मेरी एंटोएनित से हुआ था।

 राजरोहन के समय उसने राजकोष खाली पाया। लंबे समय तक युद्ध चलने के कारण फ्रांस का वित्तीय संसाधन नष्ट हो चुका था और राज्य की शान शौकत बनाए रखने के लिए फिजूलखर्ची का बोझ अलग से था। लुई सोलहवा के शासनकाल में फ्रांस ने अमेरिका का साझा शत्रु ब्रिटेन से आजाद कराने में सहायता की जिससे उस पर 10 अरब लिब्रे से भी अधिक का बोझ जुड़ गया।


 18वीं सदी में फ्रांस तीन स्टेट में बटा हुआ था। 

पादरी वर्ग 

कुलीन वर्ग

आम जनता


                 प्राचीन राजतंत्र

  प्राचीन राजतंत्र का प्रयोग फ्रांसीसी समाज एवं संस्थानों के लिए होता है। पूरे फ्रांस में लगभग 90% लोग किसान थे और यहां के ज्यादातर जमीन पर पादरी और कुलीन वर्ग के लोगों का अधिकार था।

 कुलीन वर्ग और पादरी वर्ग के लोगों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त है और सबसे महत्वपूर्ण अधिकार था। राज्य को दिए जाने वाले कर्ज से छुटकारा 


कुलीन वर्ग किसानों से संपत्ति कर वसूला करता था। पादरी वर्ग किसानों से टाईद वसूल तथा और तीसरे स्टेट के लोगों को सरकार को टाइट और अप्रत्यक्ष कर देना पड़ता था। अप्रत्यक्ष कर नमक और तंबाकू जैसी रोजाना की वस्तुओं पर लगाया जाता था।

        18वीं सदी में नए समूह का उदय 

 18 वीं सदी में एक नए सामाजिक समूह का उदय हुआ जिसे मध्यवर्ग कहा गया, जिसने सामुदायिक व्यापार और उनी तथा रेशमी कपड़ों के बदौलत संपत्ति इकट्ठा किया था। 

तीसरे वर्ग में वकील जैसे लोग भी शामिल थे जिनका मानना था कि समाज के किसी भी वर्ग के पास जन्म अधिकार नहीं होनी चाहिए और यह परिकल्पना जॉन लॉक और ज्या जाक रुसो जैसे दार्शनिक ने प्रस्तुत किया था। जॉन लॉक न ट्री टाइजेज ऑफ गवर्नमेंट किताब में राजा के निरंकुश सिद्धांत का खंडन किया। 

उन्होंने स्प्रिटि ऑफ द लॉज नामक रचना में सरकार के अंदर विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सता विभाजन की बात कही।

               क्रांति की शुरुआत

पुराने राजतंत्र के तहत सम्राट अपनी मर्जी से कर नहीं लगा सकता था। इसके लिए उसे स्टेट जनरल की बैठक बुलानी पड़ती थी। 

स्टेट जनरल एक राजनीतिक संस्था थी, जिसमें तीनों स्टेट अपने-अपने प्रतिनिधित्व भेजते थे। लुई सोलहवा ने 5 मई 1781 को स्टेट जनरल की बैठक बुलाई स्टेट का अनुसार प्रत्येक वर्ग को एक मत देने का अधिकार था।

 तीसरे स्टेट के लोगों ने मांग की प्रत्येक नागरिक को मत का अधिकार होगा एक लोकतांत्रिक सिद्धांत था जिसे रूसो ने अपनी पुस्तक द सोशल कॉन्ट्रैक्ट में प्रस्तुत किया था। जब सम्राट ने इसे और सभी कार्य किया तो 3 स्टेट के लोग विरोध जताते हुए बाहर चले गए 20 जून को ये प्रतिनिधि टेनिस कोर्ट में जमा हुए उन्होंने अपने आप को नेशनल असेंबली घोषित किया और सम्राट की शक्तियों को कम करने की शपथ ली।

 इस नेशनल असेंबली का नेतृत्व भिराष्यो और आबेसिय ने किया भी भिराष्यो कुलीन परिवार से था और आबेसिय पादरी था 

 14 जुलाई को उन्होंने बास्तिल पर धावा बोल दिया। कई जिलों में किसानों भय से डरकर ग्रामीण किलो पर आक्रमण कर दिया। इसे देखकर लुई सोलहवा ने नेशनल असेंबली को मान्यता दे दी और यह भी मान लिया कि आप से उसकी सता पर संविधान का अंकुश रहेगा।

                    फ्रांस में संविधान

 1741 ईस्वी में नेशनल असेंबली ने संविधान का प्रारूप पूरा कर लिया। अब इन शक्तियों को विभिन्न संस्थाओं में विभाजित किया। कार्यपालिका न्यायपालिका विधायिका 

                   सक्रिय नागरिक  

जिनको मताधिकार प्राप्त हो, 
 

                     असक्रिय नागरिक

जिन को मताधिकार प्राप्त नहीं हो यानी जिनकी उम्र 25 वर्ष से कम हो

 और 25 वर्ष से अधिक उम्र के उन्हीं लोगों को मताधिकार का अधिकार है जो कम से कम 3 दिन की मजदूरी कर चुकाते हो 

फ्रांस में राजतंत्र का उन्मूलन और गणतंत्र की स्थापना


लुई सोलहवा ने संविधान पर हस्ताक्षर कर दिए। लेकिन प्रशा के राजा के साथ उसकी नेशनल असेंबली के खिलाफ गुप्त रूप से बात भी चल रही थी। इसलिए 1784 के बाद इन राजाओं ने सेना भेजना की योजना बना ली। लेकिन जब तक इन योजनाओं पर अमल होता तब तक असेंबली ने प्रशा और ऑस्ट्रिया के खिलाफ युद्ध का प्रस्ताव पारित कर दिया।


 फ्रांस का राष्ट्रगान मार्सिले रोलेट द लाइल ने लिखा था। 1791 के संविधान में सिर्फ अमीरों को ही राजनीतिक अधिकार मिले थे। इसलिए लोग अपने-अपने क्लब बनाकर आपस में इस बात का बहुत बहस करते थे। इन क्लबों में जैकलिन क्लब सबसे सफल था।

                 जैकलिन क्लब

 जैकलिन क्लब का नेता मैक्सिमिलियन था। इस क्लब में मुख्यता जूता बनाने वाले नौकर दिहाड़ी मजदूर शामिल थे। यह खुद को कुलीन वर्ग से अलग करना चाहते थे। इसके लिए जैकोबिन को बाद में सौ कुलावक के नाम से जाना जाता है जिसका मतलब था बीन घुटने वाला 


बाद में असेंबली ने अमीर परिवार को जेल में डालने का प्रावधान किया और नई चुनाव करवाएं।21 वर्ष से अधिक उम्र वाले पुरुषों को चाहे उनके पास संपत्ति हो या नहीं, सभी को मत देने का अधिकार दिया गया है। चुनाव वाले इस असेंबली को क्वेश्चन का नाम दिया गया। 21 सितंबर 1788 को असेंबली में राजतंत्र को समाप्त कर दिया और गणतंत्र को घोषित किया।

 1 जनवरी 1793 को लुई सोलहवा को न्यायालय द्वारा देशद्रोही के आरोप में मौत की सजा दे दी गई।

                    आतंक राज

1793 से 1794 तक के समय को आतंक का युद्ध कहा गया 

असेंबली के नेता रोबेस्पेयर ने दंड की सशक्त नीति अपनाई उसके हिसाब से गणतंत्र का जो भी शत्रु या कुलीन या पादरी को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया और न्यायालय द्वारा उन पर मुकदमा चलाया गया तथा न्यायालय उन्हें दोषी बताता हूं। उसे गिलोटिन पर चढ़ाकर उनका सिर काट दिया जाएगा। दो खंभों के बीच लटकाने वाली मशीन की जिस पर अपराधी का सिर काट दिया जाता था।

                    गिलोटिन

 केवल कुलीन और तीसरे स्टेट के धनी परिवार की लड़कियां ही कान्वेंट में पढ़ पाती थी।

 महिलाओं की मजदूरी पुरुषों की तुलना में कम थी। इसलिए महिलाओं ने अपने हितों के लिए अपना क्लब बनाए जिनका नाम द सोसाइटी ऑफ रेवलूशनरी और रिपब्लिकन विमेन था। 

इसके कारण सरकार ने महिलाओं के जीवन में सुधार लाने वाले कानून बनाएं तथा सभी लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा अनिवार्य किया। तब जाकर महिलाएं व्यवस्थाएं प्रशिक्षण ले सकती थी। कलाकार बन सकती थी और छोटे-मोटे व्यवस्थाएं कर सकती थी। क्रांतिकारी महिलाओं मे ओलंब द गुज सबसे महत्वपूर्ण थी

                  दास प्रथा 

दास प्रथा 17वीं शताब्दी से शुरू हुआ था। बागानों में काम करने वाले लोगों की कमी को पूरा करने के लिए यूरोप, अफ्रीका तथा अमेरिका के बीच त्रिकोणीय व्यापार चल रहा था।

                   त्रिकोणीय व्यापार

 फ्रांसीसी सौदागर अफ्रीका में जाकर सरदारों के दास खरीदते थे और अंटार्कटिक महासागर के पार कैरेबियाई देशों में बेचते थे।

 इसी व्यापार के कारण चीनी, कॉफी और नील की बढ़ती मांग को पूरा करना आसान हुआ। 

सन 1794 को दासो की मुक्ति का कानून लगा, लेकिन नेपोलियन ने 10 साल बाद इसको दोबारा लागू कर दिया। फ्रांसीसी उपनिवेश मे अंतिम रूप से दास प्रथा का उन्मूलन 1848 इसवी में हुआ 

                 नेपोलियन का उदय

1804 में नेपोलियम ने खुद को फ्रांस का सम्राट बना लिया। पुराने राजवंशों को हटाकर नए राजवंश बनाएं और उनकी बागडोर अपने खानदान के लोगों के हाथों में दे दी। नेपोलियन खुद को अनुकरण को दूत मानता था। अपने निजी संपत्ति के लिए कानून बनाए, 

लेकिन 1815 ईस्वी में उसकी हार हुई स्वतंत्रता और जनवादी अधिकारों के विचार फ्रांसीसी क्रांति की सबसे महत्वपूर्ण विरासत थी।

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भूमंडलीकृत विश्व का बनना

भारत में राष्ट्रवाद क्लास 10 इन हिंदी।


आपने क्या सिखा.. 

•1774 ईस्वी में लुई सोलहवा फ्रांस का राजा था

•18वीं सदी में फ्रांस तीन स्टेट में बटा हुआ था। 

•18 वीं सदी में एक नए सामाजिक समूह का उदय हुआ

• 1741 ईस्वी में नेशनल असेंबली ने संविधान का प्रारूप पूरा कर लिया।

• 1793 से 1794 तक के समय को आतंक का युद्ध कहा गया&

फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत कब हुई ?

5 मई 1789

फ्रांसीसी क्रांति के दो महिला क्लबों के नाम बताइए ?

द सोसाइटी ऑफ रिवाल्युषनरी एंड रिपब्लिकन उमन क्लब

फ्रांसीसी क्रांति के बाद यूरोप के बारे में कौन सा कथन कहा जाता था?

क्रांति के फलस्वरूप राजा को गद्दी से हटा दिया गया और एक गणतंत्र की स्थापना हुई।


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