महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में ll महात्मा गांधी का जीवन परिचय पर निबंध

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इस पोस्ट पर के Topics :

• परिचय

• गाँधी जी कि जन्म स्थल और परिवार

• गांधी जी की शिक्षा

• गांधी जी के आन्दोलन

• गांधी जी  के सिद्धांत

• गांधी जी को दी गई उपाधिया

• गांधी जी  के अंतिम समय

• गांधी जी  के कथन 

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में l

 

 

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में ll महात्मा गांधी का जीवन परिचय पर निबंध 

             परिचय

हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी अहिंसा के पुजारी थे। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। इस महान पुरुष का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थल पर हुआ था, जिनके पिता श्री का नाम करमचंद गांधी था और यह पोरबंदर के दीवान थे तो वही माता जी का नाम पुतलीबाई था जो एक गृहणी थी और 

हमारे महात्मा गांधी जी की धर्मपत्नी का नाम कस्तूरबा बाई था। गांधी जी का भारत की स्वतंत्रता में काफी ज्यादा भूमिका था। वह हमेशा से ही अहिंसा के पुजारी थे और वे चाहते थे कि हमारे लोग भी अहिंसा के पथ पर चलें और लोगों के द्वारा गांधी जी को बापू का कर पुकारा जाता था।

 राष्ट्रपिता गांधी जी को लोग दिमाग से कमजोर समझा करते थे और इनका रुचि पढ़ाई में भी नहीं लगता था। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा को पोरबंदर से पूरी की और आगे की पढ़ाई को पूरा करने के लिए राजकोट और अहमदाबाद गए और फिर वकालत करने के लिए लंदन गए थे। 

जब गांधीजी वकालत की पढ़ाई पूरी करके भारत वापस आए तो भारतीयों पर अंग्रेजों के द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने का मन बनाए और कई प्रकार के महत्वपूर्ण आंदोलन छेड़ दिया जिनमें उनकी सफलता भी हुई और भारतीय लोग गांधीजी के इरादा को भी समझ चुके थे, जिसके कारण ही उन्हें भारतीयों का पूरा समर्थन मिल पाया।

 इनका मृत्यु 30 जनवरी 1948 को दिल्ली में नाथूराम गोडसे ने बंदूक से मारकर कर दी थी।

      

  गांधी जी के जन्म स्थल और परिवार 

महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी एवं पिता जी का नाम करमचंद गांधी था और इनके माता जी का नाम पुतलीबाई था। हमारे महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 ईस्वी को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

 महात्मा गांधी जी का विवाह 13 वर्ष की आयु में ही हो गया था जो कि उनकी पत्नी कस्तूरबाई उनसे उम्र में छह माह की बड़ी थी। इनके पिता जी आपस में और इनके पत्नी के पिता जी आपस में पुराने मित्र थे और उन्होंने अपनी मित्रता को रिश्तेदारी में बदलना चाहा।

        गांधी जी की शिक्षा 

गांधीजी अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही किए और आगे की स्कूल की पढ़ाई के लिए राजकोट गए। यह पढ़ाई और ना ही किसी खेल में अच्छे थे। यह केवल एक आम छात्र की तरह ही थे। 

अपनी स्कूल की पढ़ाई को पूरा करने के बाद यह अपनी वकालत की शिक्षा लेने के लिए इंग्लैंड चले गए। जहां पर उन्होंने अपनी बैरिस्टर बनने का सफर तय किया है। साथ में यह इंग्लैंड की संस्कृति को भी काफी नजदीक से जाना और एक बार इन्हें किसी केस के कारण साउथ अफ्रीका जाने का अवसर प्राप्त हुआ और इन्हें केवल इनके रंग के कारण इंग्लैंड से साउथ अफ्रीका तक के सफर जाने के सफर में कई प्रकार के दिक्कतों का सामना करना पड़ा। 

यहां तक कि इनके पास टिकट होने के बावजूद भी ट्रेन के किसी खास हिस्से में सफर। करने से रोक दिया गया और इसके बाद एक शांति पूर्वक विचार का मन बना कर एक लंबे समय तक लड़ाई किए और अफ्रीका के अल्पसंख्यक भारतीयों को उनके हक दिलाने में कामयाब रहे। 

लेकिन जब यह भारत आया तो देखा कि यहां भी अंग्रेजों सरकार के द्वारा भारतीयों पर जुल्म किया जा रहा है। तभी गांधी जी ने सत्य और अहिंसा की रास्ता को अपनाकर इस देश को आजाद कराने का मन बना लिया और लोगों को समझाने में लग गए और इस दौरान उन्होंने कई प्रकार के महत्वपूर्ण आंदोलन भी किए

    गांधी जी के आंदोलन 

1.असहयोग आंदोलन
2.नमक सत्याग्रह
3.दलित सत्याग्रह
4.भारत छोड़ो आंदोलन
5.चंपारण आंदोलन 


1.असहयोग आंदोलन
 

जब अंग्रेज ने जालियांवाला बाग हत्याकांड को अंजाम दिया तो गांधीजी को समझ आ गया कि अंग्रेजों से न्याय की उम्मीद करना व्यर्थ है। तभी उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के बीच में राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन को चलाया, जिसमें लाखों भारतीयों का सहयोग मिला। जिस कारण यह आंदोलन सफल रहा और अंग्रेजी सरकार को बहुत बड़ा झटका का सामना करना पड़ा। 

2.नमक आंदोलन 

इस सत्याग्रह को काफी ज्यादा महत्व दिया जाता है जो कि 22 मार्च 1930 ईस्वी को साबरमती आश्रम से दांडी ग्राम तक कुल 24 दिनों तक चला था, जिसमें सभी लोग ने पैदल मार्च किया था और ब्रिटिश सरकार के नमक पर के एकाधिकार को छेड़ा गया था। 

3.दलित सत्याग्रह 

गांधी जी ने छुआछूत के खिलाफ दलित सत्याग्रह किया जो कि मई 1933 में कि भारत छोड़ो आंदोलन आंदोलन का मकसद केवल भारत को अंग्रेजों से आजाद कराना था जो कि दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को शुरू किया गया। 

4.चंपारण सत्याग्रह

इस आंदोलन को बिहार के चंपारण जिला में 1917 ईस्वी को शुरू किया गया, क्योंकि अंग्रेज के द्वारा यहां के किसानों से जबरन कम दाम पर नील की खेती कराई जाती थी जिसके कारण ढंग से दो वक्त का खाना का भी इंतजाम नहीं कर पाते थे और जब इस सत्याग्रह में सफलता मिली तो गांधीजी को राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी फायदा हुआ

                         गांधी जी के सिद्धांत 

सत्य और सत्याग्रह
अहिंसा
विश्वास
साहित्य कार्य


सत्य और सत्याग्रह
 

गांधी जी अपने पूरे जीवन में सत्य की खोज को पीछा करने में व्यतीत कर दिया है और अपने आंदोलन को सत्याग्रह कहा है जिसका शाब्दिक अर्थ सत्य के लिए आवाज उठाना होता है। 

अहिंसा 

गांधीजी अहिंसा के पुजारी थे हालांकि वे इस सिद्धांत को जन्म देने वाले नहीं थे, लेकिन बड़े पैमाने पर इसे राजनीतिक क्षेत्र में लागू करना चाहते थे। 

विश्वास 

महात्मा गांधी जी सभी धर्मों में विश्वास रखते थे। इसलिए सभी धर्म को करीब से जानने का प्रयास किया। इसलिए भी कहते हैं कि 

बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म हिंदू धर्म के परंपराएं हैं, जिनका साझा इतिहास है 

और इस्लाम धर्म के पवित्र पुस्तक कुरान को भी अच्छे से पढ़ा। इसलिए कहते हैं कि इस्लाम में शांति को सक्रिय रुप से बढ़ावा दिया और महसूस किए कि यह अहिंसा का प्रमुख प्रयास है 

प्रथा 

यह कुप्रथाओं का विरोध किया करते थे। जैसे : पर्दा ,बाल, विवाह ,दहेज की प्रथा गांधीजी महिलाओं की मुक्ति पर जोरों से समर्थन किया करते थे। 

साहित्य कार्य 

महात्मा गांधी जी एक अच्छे लेखक भी थे। इनके द्वारा लिखी गई पुस्तक हिंद स्वराज 1909 में गुजराती भाषा में प्रकाशित हुई।

महात्मा गांधी जी को दी गई उपाधियां 

महात्मा गांधी जी के महान कार्यों के बदौलत उन्हें कई प्रकार की उपाधियां दी गई। जैसे सबसे पहले रविंद्र नाथ टैगोर जी ने गांधी जी को महात्मा का कर संबोधित किया था। हालांकि कई विद्वानों का कहना है कि सबसे पहले उन्हें महात्मा श्रद्धानंद जी ने कहा था 

और इसी तरह साबरमती में वे जिन लोगों के साथ रहा करते थे, वे उन्हें बापू का कर पुकारते थे और 

इन सबों के अलावा इन्हें राष्ट्रपिता की उपाधि सर्वप्रथम सुभाष चंद्र बोस जी ने सिंगापुर रेडियो से 6 जुलाई 1944 को किया था।

महात्मा गांधी जी के अंतिम समय

 15 अगस्त 1947 के आजादी वाले दिन था, जिसके लिए गांधीजी के साथ क्रांतिकारी वीर इनके बताए राह पर अग्रसर थे और अपने पक्ष में सफलता को प्राप्त कर रहे थे लेकिन आजादी के कुछ दिनों के बाद 30 जनवरी 1948 को बिरला भवन में नाथूराम गोडसे ने इन्हें गोली मारकर हत्या कर दिया था। 

    महात्मा गांधी जी के कथन 

•हमेशा सत्य और अहिंसा की राह पर चलना है। 

•ताकत शारीरिक शक्ति से नहीं आती 

•व्यक्ति अपने विचारों के सिवाय कुछ नहीं है। 

•धैर्य का छोटा हिस्सा भी एक टन उपदेश से अच्छा है। 

•कमजोर कभी क्षमाशील नहीं हो सकता है।

 

नोट : दोस्तो अगर आपको इस महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में वाले पोस्ट से कुछ भी सीखने को मिला तो इसे अपने दोस्तों के बीच जरूर share करे क्योंकि ज्ञान को बाटने से बढ़ता हैं

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