तो दोस्तों अगर आप भी क्लास दसवी के छात्र हैं और आप भी google पर मानवीय करुणा की दिव्य चमक के प्रश्न उत्तर उत्तर ढूंढ रहे हैं तो आप बिल्कुल ही सही पोस्ट पर आए हैं क्योंकि हमने आज इसी के बारे में बताया हैं
अभ्यास के प्रश्न
प्रश्न 1. फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी ?
उत्तर- फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी इसलिए लगती थीं क्योंकि जब लेखक अपने बच्चे के अन्नप्राशन संस्कार को याद करता है,
तब फादर कामिल बुल्के के द्वारा उसके पुत्र के मुँह में पहली बार अन्न डाला था। उसकी नीली आँखों में चमकते, तैरते वात्सल्य भाव को देखकर वह ऐसा महसूस करता था, जैसे वह देवदारू के छाया में खड़ा हो। इसीलिए उसे फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती थीं
प्रश्न 2. फादर बुल्के भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है ?
उत्तर- फादर कामिल बुल्के अपने घर को छोड़कर भारत आए, यहीं पढ़े-लिखे, यहीं अध्यापन का कार्य भी किया, यहीं राष्ट्रभाषा की सेवा करते हुए उसके साहित्य की समृद्धि का प्रयत्न करते हुए उनकी मृत्यु हुई भारत की मिट्टी में वे दफनाए गए। ये सारे प्रसंग इस बात को पुष्ट करते हैं कि वास्तव में फादर कामिल बुल्के भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग हैं।
प्रश्न 3. पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है ?
उत्तर- फादर कामिल बुल्के ने हिंदी में स्नातक, परस्नातक और डी. फिल की उपाधियाँ भी प्राप्त की, हिंदी के अध्यापक बने और हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने के लिए हमेशा प्रयत्न भी करते थे । कई रचनाओं के हिंदी अनुवाद भी उन्होंने किए। इससे स्पष्ट होता है कि फादर कामिल बुल्के को हिंदी से अनन्य प्रेम था।
प्रश्न 4. इस पाठ के आधार पर फादर कामिल बुल्के की जो छवि उतरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
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उत्तर- इस पाठ के आधार पर देखने में ऐसा लगता है कि फादर बुल्के सहज मानवीय गुणों से भरे हिंदी सेवी थे, भारत भूमि से अनुराग करने वाले, उदार महामानव थे।
प्रश्न 5. लेखक ने फादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है ?
उत्तर- करुणा का जो सर्वाधिक उदात और सहज रूप होता है, वह फादर कामिल बुल्के के व्यक्तित्व में था। इसी कारण लेखक ने उन्हें ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक कहा है।
प्रश्न 6. फादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है,कैसे ?
उत्तर- फादर कामिल बुल्के ने समाजसेवी, साहित्य सेवी और संकल्पवान जैसे सन्यासी थे। उन्होंने अपने घर का त्याग, संसार से छुटकारा पाने के लिए नहीं बल्कि संसार को मानवीय आधार पर समझने और उसकी सेवा के लिए किया था। इस तरह वे संन्यासी से भिन्न थे।
प्रश्न 7. आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।(ख) फादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है।
उत्तर- (क) बहुत से लोग फादर की मृत्यु से दुखी थे, जिनके नाम को गिनना असंभव है
(ख) क्योंकि फादर का शांत, स्निग्ध, वात्सल्य से भरा व्यक्तित्व और उसकी स्मृति एक उदास शांतसंगीत जैसी है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 8. अपने विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा?
उत्तर : हमारे विचार से फादर बुल्के भारतीय सभ्यता और संस्कृति से प्रभावित होंगे। इसी कारण उन्होंने भारत आने का मन बनाया होगा। भारत के लोगों की सादगी, सभ्य व्यवहार, रहन-सहन,विचार, भाषा से फादर काफ़ी ज्यादा प्रभावित रहे होगे। इसलिए वे भारत आने के लिए तैयार हुए।
प्रश्न 8. ‘बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि – रेम्सचैपल इस पंक्ति में फादर बुल्के को अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन सी भावनाए अभिव्यक्त होती हैं आप अपनी जन्मभूमि के बारे में क्या गोधने
उत्तर- बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि- रेम्सचैपल।’ इस पंक्ति में फादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति प्रेम की भावना अभिव्यक्त होती है। वे अपनी जन्मभूमि पर पूरा जीवनकाल नहीं रहे किन्तु उनके मन में अपनी देश के प्रति बहुत प्रेम था।
हम अपने जन्मभूमि के प्रति मर-मिटने की भावना रखते हैं। आवश्यकता पड़ने पर अपना तन-मन-धन सब कुछ त्याग सकते हैं क्योंकि जन्मभूमि ही हमारी माँ है माँ की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।
मानवीय करुणा की दिव्य चमक प्रश्न उत्तर
FAQ :
1) मानवीय करुणा कि दिव्य चमक पाठ के लेखक क्या संदेश देना चाहते है ?
उत्तर : इस पाठ से हमे फादर के जैसा करुणामय और सहानुभूति व्यवहार अपनाने का ज्ञान मिलता है।
2) मानवीय करुणा का क्या अर्थ है
उत्तर: इसका अर्थ यह है कि वैसा व्यक्ति जो करुणा के प्रकाश मे प्रदिप्त होता हो।
3) मानवीय करुणा कि दिव्य चमक गद्य की कौन सी विद्या है?
उत्तर : इसमे कहानी स्मरण है।
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