सत्ता की साझेदारी ऐसी शासन व्यवस्था होती है जिसमें समाज के प्रत्येक समूह और समुदाय की भागीदारी होती है।
तो hellow दोस्तों, आज के इस पोस्ट पर हम सत्ता की साझेदारी notes के बारे मे चर्चा करेंगे जोकि ek बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है ये सत्ता की साझेदारी तो चलिए शुरू करते हैं
इस पोस्ट पर के topics
•बेल्जियम की कहानी
•श्रीलंका की कहानी
•श्रीलंका में बहुतलासंख्यवाद
•बेल्जियम की समझदारी
•बेल्जियम के मॉडल की मुख्य बातें
•सत्ता की साझेदारी
•सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है?
•सत्ता की साझेदारी के रूप
•भारत में सत्ता की साझेदारी
•सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता
•सत्ता की साझेदारी के लाभ
इसे जरूर पढ़े ( खास आपके लिए)
मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया
बेल्जियम की कहानी
बेल्जियम एक छोटा सा देश है जिसकी आबादी एक करोड़ से थोड़ी ज्यादा है। इस छोटे से देश में समाज की जातिया बनावट बहुत ही जटिल है। इस देश के कुल आबादी का 59% हिस्सा फ्लेमिश इलाके में रहता है जो कि डच भाषा बोलते हैं। बाकी के 1% लोग जर्मन भाषा बोलते हैं और राजधानी ब्रसेल्स के 80 फ़ीसदी लोग डच बोलते हैं
और 20 फ़ीसदी लोग डच भाषा बोलते हैं।
श्रीलंका की कहानी
यह एक द्वीपीय देश है जो भारत के दक्षिणी तट से कुछ दूरी पर स्थित है जिसकी आबादी दो करोड़ के आसपास हैं।
सबसे मुख्य रूप से सामाजिक समूह सिंहलियो का तथा तमिलों का है जिसमें तमिलों में भी दो समूह होते हैं। श्रीलंकन तमिल हिंदुस्तानी तमिल श्रीलंकन तमिल
श्रीलंका के मूल निवासी हैं, जबकि हिंदुस्तानी तमिल औनिवेशिक शासनकाल में बागानों में काम करने के लिए भारत से लाए गए लोगों के संतान हैं।
श्रीलंका की आबादी में ईसाई लोगों का हिस्सा 7 फ़ीसदी है जो सिंहली और तमिल दोनों भाषाएं बोलते हैं।
श्रीलंका में बहुतलासंख्यवाद
लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार ने सिंहली समुदाय की प्रभुता कायम करने के लिए अपने बहुसंख्यक परिस्थिति के तहत कई कदम उठाए जो इस प्रकार है।
1.)सिंहली को राजभाषा घोषित कर दिया गया।
2.)विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता देने की नीति भी चली।
3.)इन सरकारी फैसलों ने श्रीलंकाई तमिलों की नाराजगी और शासन को लेकर उनमें बेगानापन बढ़ाया।
4.)1980 के दशक तक उत्तर पूर्वी श्रीलंका में स्वतंत्र तमिल सरकार की मांग को लेकर अनेक राजनीतिक संगठन बने।
5.) शीघ्र ही यह टकराव गृह युद्ध में परिणत हो गया।
बेल्जियम की समझदारी
1970 और 1993 के बीच में बेल्जियम के संविधान में चार संशोधित सिर्फ इस बात पर लागू किया गया कि देश में रहने वाले किसी भी आदमी को बेगानेपन महसूस ना हो और सभी मिलजुल कर रहे
बेल्जियम के मॉडल की मुख्य बातें
1.)संविधान के इस बात का प्रावधान है कि केंद्रीय सरकार में 10 और फ्रेश भाषी मंत्रियों की संख्या समान रहेगी।
2.)केंद्र सरकार की अनेक शक्तियां देश के 2 इलाकों की क्षेत्रीय सरकारों को सुपुर्द कर दी गई
3.)ब्रिसेल्स में अलग सरकार है और इसमें दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व है।
सत्ता की साझेदारी
सत्ता की साझेदारी ऐसी शासन व्यवस्था होती है जिसमें समाज के समूह और समुदाय की भागीदारी होती है। सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र का मूल तंत्र है। लोकतांत्रिक सरकार में प्रत्येक नागरिक की हिस्सेदारी होती है जो भागीदारी के द्वारा संभल पाती है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में नागरिक के पास इस बात का अधिकार रहता है कि शासन के तरीकों के बारे में उनसे सलाह ली जाए।
सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है?
सत्ता का बंटवारा ठीक है क्योंकि इससे विभिन्न सामाजिक समूह के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है।
सत्ता की साझेदारी दरअसल लोकतंत्र की आत्मा है। लोकतंत्र का अर्थ होता है कि जो लोग शासन व्यवस्था के अंतर्गत हैं, उनके बीच तथा को बांटा जाए और यह लोग इसी तरह से रहे।
सत्ता की साझेदारी के रूप
आधुनिक समय के लोकतंत्र के सत्ता में की सत्ता की अनेक रूपों सकते हैं। शासन के विभिन्न अंग क्षैतिज वितरण, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बंटवारा जाता है।
जैसे भारत संघ सरकार सरकार के बीच भी विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बंटवारा हो सकता है।
सत्ता का बंटवारा विभिन्न सामाजिक समूह, भाषीय और धार्मिक समूहों के बीच भी हो सकता है। बेल्जियम में सामुदायिक सरकार इस व्यवस्था का एक अच्छा उदाहरण है।
सत्ता के बंटवारे का एक रूप हम विभिन्न प्रकार के दबाव समूह और आंदोलन द्वारा शासन को प्रभावित और नियंत्रित करने के तरीके में भी लक्ष्य कर सकते हैं।
भारत में सत्ता की साझेदारी
हमारे देश में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है इसलिए भारत के नागरिक प्रत्यक्ष मताधिकार का उपयोग करके अपने प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं जिसके बाद एक सरकार का चुनाव होता है और बनी हुई सरकार अपना कर्तव्य को पूरा करती है।
लोकतंत्र में जनता की हर तरह की राजनीतिक शक्ति का स्रोत होता है। यह लोकतंत्र का एक मूलभूत सिद्धांत है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में लोग स्वराज कि संस्थानों द्वारा अपने आप पर शासन करते हैं? ऐसी व्यवस्था में समाज के विभिन्न समूह और मतों को उचित सम्मान मिलता है।
सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता
1.)समाज में खुशी और शांति बनाए रखने के लिए
2.)बहुसंख्यक के आतंक से बचने के लिए
3.)लोकतंत्र की आत्मा का सम्मान रखने के लिए
सत्ता की साझेदारी के लाभ
1.)सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र का एक मूल मंत्र है जिसके बिना प्रजातंत्र की कल्पना नहीं किया जा सकता है।
2.)जब देश के सभी लोग देश की प्रशासनिक व्यवस्था में भागीदारी बनाए रखते हैं तो देश और भी मजबूत होता है।
3.)सत्ता की साझेदारी अपनों के विभिन्न समूहों के बीच आपसी टकराव तथा गृह युद्ध की संभावना को समाप्त कर देता है।
आपने क्या सिखा
•बेल्जियम एक छोटा सा देश
•ब्रसेल्स के 80 फ़ीसदी लोग डच बोलते हैं
•श्रीलंका की आबादी में ईसाई लोगों का हिस्सा 7 फ़ीसदी है जो सिंहली और तमिल दोनों भाषाएं बोलते हैं।
•सिंहली को राजभाषा घोषित कर दिया गया
•1980 के दशक तक उत्तर पूर्वी श्रीलंका में स्वतंत्र तमिल सरकार की मांग को लेकर अनेक राजनीतिक संगठन बने
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