जब किसी वस्तु पर लगाते हैं और वह वस्तू बल की दिशा में विस्थापित हो जाती है तो इसे कार्य कहते हैं कार्य को W द्वारा सूचित किया जाता है। कार्य एक प्रकार का अदिश राशि है जिसका S.I. मात्रक जुल या न्यूटन मीटर होता है।
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Hellow, दोस्तों तो क्या आप भी कार्य तथा ऊर्जा class 9 notes को ढूंढ रहे हैं तो आप एकदम बिल्कुल सही पोस्ट पर चुके हैं क्योंकि यँहा मैंने अपने इस पोस्ट पर कार्य तथा ऊर्जा को पुरी जानकारी के साथ बताया हैं साथ में मैंने इस पोस्ट पर कार्य तथा ऊर्जा में अंतर स्पष्ट कीजिए को भी बताया हैं
कार्य किसे कहते हैं
जब किसी वस्तु पर लगाते हैं और वह वस्तू बल की दिशा में विस्थापित हो जाती है तो इसे कार्य कहते हैं कार्य को W द्वारा सूचित किया जाता है। कार्य एक प्रकार का अदिश राशि है जिसका S.I. मात्रक जुल या न्यूटन मीटर होता है।
कार्य का सूत्र :-
कार्य = बल×विस्थापन
W =F×S
इन्हें जरूर पढ़े (खास आपके लिए)
कार्य का प्रभाव
जब किसी वस्तु पर कार्य होता हैं तो निम्न प्रभाव देखा जाता हैं…
a) एक गतिशील वस्तु विराम अवस्था में आ जाता है।
b) विराम अवस्था में स्थित वस्तु गतिशील अवस्था में आ जाता है।
c) गतिशील वस्तु के वेग में परिवर्तन हो जाता है।
d) वस्तु क्या स्थान में परिवर्तन हो जाता है
कार्य कि शर्ते
किसी भी वस्तु पर कार्य करने के लिए दो शर्ते का होना आवश्यक होता हैं..
a) वस्तु पर कोई बल लगना चहिए
b) वस्तु विस्थापित होना चहिए
1 जूल किसे कहते हैं
जब किसी वस्तु पर एक न्यूटन बल लगाकर उसे 1 मीटर की दूरी तक विस्थापित कर दिया जाता है तो उसे एक जुल कहते हैं।
1 जूल = 1न्यूटन × 1मीटर
कार्य का परिणाम का निर्भर
कार्य का परिणाम का निर्भर निम्न दशाओं पर निर्भर करता हैं…
a) बल का परिणाम
b) विस्थापन
a) बल का परिणाम :-
कार्य बल के परिमान पर निर्भर करता है इसलिए जिस भी वस्तु पर बल जितना ज्यादा लगता है उस पर उतना ही ज्यादा कार्य होता है।
b) विस्थापन :-
यदि वस्तु ज्यादा विस्थापन तय करती है तो वस्तु पर ज्यादा कार्य होता है।
कार्य का प्रकार
कार्य मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं..
a) धनात्मक कार्य
b) ऋणात्मक कार्य
c) शून्य कार्य
a) धनात्मक कार्य :-
जब किसी वस्तु पर बल लगाते हैं और वह वस्तु बल की दिशा में विस्थापित हो जाती है तो इसे धनात्मक कार्य करते हैं।
b) ऋणात्मक कार्य :-
जब किसी वस्तु पर बल लगाते हैं और वह वस्तु बल के विपरित दिशा में विस्थापित हो जाती है तो इसे धनात्मक कार्य करते हैं।
c) शून्य कार्य :-
जब किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है और वह वस्तु बल के किसी भी दिशा में विस्थापित नहीं होती है तो उसे शून्य कार्य कहते हैं।
ऊर्जा किसे कहते हैं
कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। ऊर्जा एक प्रकार का अदिश राशि है जिसका S.I.मात्रक जूल होता है तथा ऊर्जा का सबसे बड़ा मात्रक किलो जूल होता है।
ऊर्जा के रूप
ऊर्जा के निम्नलिखित रूप होते हैं जिनमे कुछ इस प्रकार से हैं..
a) गतिज ऊर्जा
b) उष्मीय ऊर्जा
c) विधुतीय ऊर्जा
d) ध्वनि ऊर्जा
e) स्थितिज ऊर्जा
F) रासायनिक ऊर्जा
g) प्रकाश ऊर्जा
h) नाभिकीय ऊर्जा
i) यांत्रिक ऊर्जा
गतिज ऊर्जा की परिभाषा
किसी वस्तु के गति के कारण जो ऊर्जा उत्पन्न होती है उसे गतिज ऊर्जा करते हैं
गतिज ऊर्जा के उदाहरण
• गतिशील वाहन
• चलता हुआ मनुष्य
• एक दौड़ता हुआ खिलाडी
• उड़ता हुआ हवाई जहाज
• एक चलता हुआ साइकिल
Note :- किसी भी वस्तु का गतिज ऊर्जा के द्रव्यमान और वेग के समानुपाती होता हैं
गतिज ऊर्जा का व्यंजक
यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान m है जो u प्रारंभिक वेग से गतिमान है तथा इस पर F बल लगता है तो वस्तु s दूरी तय कर लेता है जिससे वेग u से v हो जाता है और किया गया कार्य w है।
w = f×s
F = m×a
K. E. = 1/2mv^2
स्थितिज ऊर्जा की परिभाषा
किसी वस्तु के स्थिति के कारण जो ऊर्जा प्राप्त होता है, उससे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं। स्थितिज ऊर्जा को P.E. द्वारा सूचित किया जाता है।
स्थितिज ऊर्जा का उदाहरण
• नदी में रुका हुआ पानी
• खिलौना में बंधा हुआ स्प्रिंग
• धनुष में तनी हुई डोरी
स्थितिज ऊर्जा का सूत्र
माना m द्रव्यमान की कोई वस्तु है जो पृथ्वी के ऊपर h ऊंचाई तक उठाया जाता है तो पृथ्वी का गुरुत्व बल नीचे की दिशा में कार्य करता है।
P. E. = mgh
स्थितिज ऊर्जा को प्रभावित करने वाले कारक :-
a) द्रव्यमान
b) पृथ्वी तल से ऊंचाई
c) आकार में परिवर्तन
a) द्रव्यमान :-
किसी भी वस्तु का स्थितिज ऊर्जा उसके द्रव्यमान के समानुपाती होता है। यानी वस्तु का द्रव्यमान ज्यादा होगा तो स्थितिज ऊर्जा भी ज्यादा होगा।
b) पृथ्वी तल से ऊँचाई :-
वस्तु की पृथ्वी तल से ऊंचाई ज्यादा होगी तो स्थितिज ऊर्जा भी ज्यादा होगा
c) आकार में परिवर्तन :-
जिस भी वस्तु में जितना ही ज्यादा खिचाव होगा उसमे उतना ही ज्यादा स्थितज ऊर्जा होगा।
कार्य और ऊर्जा में अंतर
•किसी वस्तु पर बल लगाते हैं और वस्तु बल की दिशा में विस्थापित होती है तो उसे कार्य करते हैं जबकि ऊर्जा कार्य करने की क्षमता होती है।
•कार्य एक प्रकार का अदिश राशि है और ऊर्जा भी एक प्रकार का अदिश राशि ही है।
•कार्य और ऊर्जा दोनों का S.I.मात्रक जूल होता है।
आपने क्या सिखा :-
हमने अपने इस कार्य तथा ऊर्जा class 9 notes
वाले पोस्ट पर कार्य तथा ऊर्जा से संब्ंधित कई सारे टिप्पणी को बताया जो संक्षिप्त में इस प्रकार हैं…
• कार्य बल की दिशा में हो सकता हैं और नहीं भी
• कार्य एक प्रकार का अदिश राशि हैं
• कार्य का S. I. मात्रक जूल होता हैं
• कार्य वस्तु के बल के परिणाम और विस्थापन पर निर्भर करता हैं
• कार्य धनात्मक, ऋणात्मक और शून्य हो सकता हैं
• ऊर्जा कार्य करने की क्षमता होता हैं
• ऊर्जा का S. I. मात्रक जूल होता हैं
• ऊर्जा का सबसे बड़ा मात्रक किलो जूल होता हैं
• ऊर्जा के कई रूप होते हैं