मनुष्य में पोषण

 मै प्रिंस गुप्ता आपको मै अपने इस ब्लॉग मे स्वागत करता हूँ  जंहा पर हम आज मनुष्य में पोषण के बारे में जानेंगे 

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 आज के इस ब्लॉग में हम  मनुष्य में  होने   वाले जैविक क्रिया  के बारे में पूरी  गहन से जानेंगे जिसमे सबसे पहले पोषण आता है  हम  जानेंगे की  पोषण  क्या होता है तथा यह किस प्रकार से सम्पंन होता है इस क्रिया के दौरान हमारे  शरीर की कौन कौन से अंग भाग लेते है उसके बारे में समझेंगे 


मनुष्य में पोषण -:

                                      मनुष्य में पोषण पाचन तंत्र के माध्यम से  सम्पन्न होता है और इस पाचन तंत्र में भाग लेने वाले अंग मुख ,ग्रासनली ,अमाशय , छोटी आंत,बड़ी आंत ,मलाशय ,गुदा है जो आपस में सम्लित रूप से आहारनाल बनाते है जो लगभग 9 मीटर लम्बी  होती है जो अनेको प्रकार की ग्रंथियों से खुलती है जिससे पाचक रसो का भी स्राव होता है मनुष्य के अंदर पाचन तंत्र में होने वाले क्रियाएं  इस प्रकार है 

(1 )अंतग्रहण  (2 )पाचन  (3 )अवशोषण  (4 )परिपाचन  (5 )उत्सर्जन 

(1 )अंतग्रहण-:

                               मनुष्य के शरीर में  अंतग्रहण प्रक्रिया के दौरान भोज्य पदार्थो को ग्रहण किया जाता है 

2 )पाचन-:

                    वह जैविक प्रक्रम जिसके द्वारा शरीर के अंदर भोज्य पदार्थो को जटिल अणुओ से सरल अणुओ में तोड़ा जाता है तथा विलेय पदार्थो में परिवर्तित किया जाता है तो इस प्रक्रिया को पाचन कहते है 

                                मुख -:

                                मानव में पाचन मुख से ही आरंभ  हो जाता है जंहा पर भोजन को दांतो के द्वारा छोटे छोटे कणो  में तोड़ा   जाता है साथ में हमारे मुख में लाला ग्रंथि पाया जाता है जाता है जिससे लार स्रावित होता है यह लार तरल प्रकार का जलिये पदार्थ  होता है जो भोजन के कणो  को गीला तथा मुलायम बनाता है तथा हमारे मुख से एक एंजाइम जिसे सलाइवा एंजाइम कहते है स्रावित होता है जो भोजन में उपस्थित कार्बोहाइड्रेड को माल्टोस में बदलता है तथा  भोजन के कण हमारे मुँह में कुछ समय के लिए ही होता है इसलिए इसका पूर्ण पाचन नहीं हो पता है 



                   ग्रासनली -:

                                 अब भोजन के कण ग्रासनली के माध्यम से होते हुए संकुचन की क्रिया करते हुए धीरे धीरे आमाशय में प्रवेश कर जाती हैं


               आमाशय -:

                                         जब भोज्य  के कण आमाशय  में प्रवेश करती है तो यह तीन घंटे तक यंहा  इसका पाचन होता है जिसमे आमाशय से तीन प्रकार के एंजाइम स्रावित  होते है जिसे  HCL  पेप्सिन तथा म्यूक्स  कहते है 

जिसमे HCL के द्वारा भोजन को अम्लीकृत किया जाता है और भोजन के कणो  के साथ आये हुऐ बैक्टीरिया को मरता भी है 

              पेप्सिन के द्वारा प्रोटीन का पाचन किया जाता है यानि हम कह सकते है की प्रोटीन का पाचन आमाशय से प्रांरम्भ हो जाता है तथा अब आंशिक रूप से  पचा भोजन  छोटी आंत में चला जाता है जाता है 



      छोटी आंत -:

                          छोटी आंत आहारनाल का सबसे  बड़ा भाग है जिसकी लम्बाई एक  वयस्क  पुरुष में लगभग 6 . 5  मीटर  लम्बी होती है यही पर भोजन   के कणो  का पूर्ण   पाचन होता है 

                                                                                                      छोटी आत  दो ग्रंथियों से स्रावित होने वाले एंजाइमों पर कार्य करता है जिसमे यकृत ग्रंथि तथा अग्नाशय ग्रंथि आते है यकृत ग्रंथि में पित्ताशय पाया  जाता है जो पित्त  रस  को शार्वित करता है यह पित  रस हरापन लिए पीला तरल पदार्थ  होता है जो क्षारीय प्रकृति का होता है जो भोजन के कणो  को आमाशय से आने के बाद उसे क्षारीय प्रकृति में बदलता है तथा इसमें उपस्थित वसा और लिपिड को रासायनिक रूप में तोड़ता है 

                                                  अग्नाशय ग्रंथि पत्त्ति  की  आकार के जैसा होता है तथा इस ग्रंथि से पाचक रस स्रावित  होते है जिसे अग्नाशय रस कहते है जो एमिलेज ,ट्रिप्सिन और लाइपेज एंजाइम  होते है जिसमे एमिलेज के द्वारा कार्बोहाइड्रेड को, ट्रिप्सिन के द्वारा प्रोटीन को  और लाइपेज के द्वारा वसा  को रासायनिक अणुओ में तोड़ दिया जाता है जिससे कार्बोहाइड्रेड ग्लूकोस में ,प्रोटीन एमिनो में और वसा गिरसलोल में बदल  जाता है 



           (3 )अवशोषण -:

                                    पाचन क्रिया के बाद अब भोज्य पदार्थ छोटी आत  से होती हुए रक्त में चली जाती है यानी यंहा पर अवशोषण  की क्रिया  संपन्न होता है तथा छोटी आंत की दीवारे पर अंगुलीनुमा संरचना  पाई  जाती है जिसे दीर्घरोम  कहते है जो अवशोषण की क्षमता के लिए बड़ा  सतह प्रदान  करता है तथा  पचे हुए भोजन को रक्त में भेजता है 

        (4 )परिपाचन-: रक्त के द्वारा पचे  हुए भोज्य पदार्थ को शरीर के सभी अंग तक पहुंचाया जाता है जंहा पर कोशिका के द्वारा अवशोषित किया जाता है जिसक जिसका उपयोग शरीर के वृद्धि विकाश तथा मरम्मत में किया  जाता जाता है


            (5 )उत्सर्जन-:वह जैविक प्रक्रिया जिसके द्वारा शरीर में हानिकारक पदार्थो को शरीर के बाहर  निकाला जाता है तो इस प्रक्रिया को  उत्सर्जन कहते है 

                                                 जिसमे जब भोज्य पदार्थ में से अनपचे भोजन का पाचन नहीं हो पता है तो  वह छोटी  से  बड़ी  आंत में चला जाता है तथा बड़ी  आंत की दीवारों पर अधिकतर पानी को सोख लिया जाता है तथा गुदा के माध्यम   से मल को शरीर के बाहर त्याग दिया जाता  है           

मनुष्य में पोषण


                                             

आशा करता हूँ की आपको यह जानकरी समझ में आ चूका होगा तथा ऐसे ही और अधिक जानकरी प्राप्त करने के लिए आप इस लिंक पर क्लिक करेwww.heretotaly.blogspot.com 

                                                       धन्यबाद 🙏🙏