मानव नेत्र क्या है ।। मानव नेत्र का सचित्र वर्णन ।।

मानव नेत्र एक मूल्यवान  ज्ञानेंद्रिय है जो एक कैमरे के जैसा कार्य करता है तो आज हम इस पोस्ट में मानव नेत्र क्या है तथा मानव नेत्र का सचित्र वर्णन करेंगे ।

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इस पोस्ट पर पढ़े जाने वाले Topics:-

●मानव नेत्र क्या है 

●मानव नेत्र की समंजन क्षमता

●मानव नेत्र के भाग

●मानव नेत्र की आंतरिक संरचना 

●कॉर्निया के कार्य

●परितारिका का कार्य

●रेटिना का कार्य 

●दृक तंत्रिका के कार्य

●मानव नेत्र की क्रियाविधि

          मानव नेत्र क्या है

मानव नेत्र एक मूल्यवान ज्ञानेंद्रिय है जो कैमरे के जैसा कार्य करता है। यह हमें इस संसार तथा इसके चारों ओर के सभी रंगों को देखने में हमारी मदद करता है।


मानव नेत्र की समंजन क्षमता

अभिनेत्र लेंस की क्षमता वह क्षमता जिसके कारण वह अपने फोकस दूरी को समायोजित करता है उसे समंजन क्षमता कहते हैं
         अभिनेत्र लेंस रेशेदार जेली पदार्थ का बना होता है अभिनेत्र लेंस की वक्रता में  परिवर्तन  होने   पर     इसकी फोकस दूरी भी परिवर्तित हो जाती है और जब नेत्र की वक्रता बढ़ती है तो फोकस दूरी घट जाती है और जब नेत्र
की वक्रता घटती है तो फोकस दूरी बढ़ जाती है।
              वह न्यूनतम दूरी जहां से किसी वस्तु को स्पष्ट देखा जा सके, उसे न्यूनतम दूरी कहते हैं और किसी वस्तु का निकट बिंदु 25 सेंटीमीटर होता है 
                                     तथा वह अधिकतम दूरी जहां से किसी वस्तु को स्पष्ट देखा जा सके, उसे अधिकतम दूरी कहते हैं और किसी वस्तु का अधिकतम दूरी अनंत होता है।

  नेत्र की आंतरिक संरचना

हमारा नेत्र एक गोला के रूप में होता है जिस की आंतरिक भित्ति तीन प्रकार की परतों से मिलकर बनी होती है तथा इसका बीच का भाग एक गाड़े द्रव से भरा होता है।
 मानव नेत्र के आंतरिक भाग इस प्रकार निम्नलिखित हैं।

1.नेत्र गोलक की भित्ति
2.तरल कक्ष
3.कॉर्निया या स्वच्छ मंडल
4.कंजंक्टिवा
5.परितारिका
6.पुतली
7.अभिनेत्र लेंस
8.पक्षमाभी पेशियां
9.काचाभ द्रव
10.रेटिना
11.दृक तंत्रिका



1.नेत्र गोलक की भित्ति

मानव नेत्र की नेत्र गोलक तीन प्रकार की भित्तियों से मिलकर बनी होती है 

a. श्वेत पटल
b.रक्त पटल
c. दृष्टि पटल

a. श्वेत पटल :- 

यह भाग नेत्र गोलक की भित्ति का सबसे बाहरी भाग होता है जो सफेद परत की जैसा दिखलाइ पड़ता है यह श्वेत पटल नेत्र गोलक का 1/5 भाग बनाती है जबकि शेष बचा हुआ भाग तंतुमय संयोजी ऊतक से बना होता है 


b.रक्त पटल :- 

यह भाग नेत्र गोलक की भीति का बीच वाला भाग होता है जिसमे रुधिर वाहिकाओं का सघन जाल पाया जाता है यह भाग प्रकाश को परावर्तित होने से रोकता है ।


c. दृष्टि पटल :-

दृष्टि पटल को रेटिना भी कहा जाता है जो नेत्र गोलक की भित्ति के सबसे अंदर वाला संवेदी परत होता है 
                     दृष्टि पटल में दो प्रकार की कोशिकायें पाई जाती है 

1.श्लाकाय   2.शंकु कोशिकाएं

1.श्लाकाय :-

रेटिना का यह भाग लंबी व बेलनाकार कोशिकाएं की जैसी होती है जो धीमी प्रकाश के लिए संवेदी होती है इस भाग के द्वारा ही हमे मंद प्रकाश में किसी वस्तु को देख पाते है ।

2.शंकु कोशिकाएं :- 

रेटिना के इस भाग में छोटे आकार की कोशिकाएं होती है हमे जन्तुओ में रंगभेद करने में सहायता करती है साथ मे यह भाग हमे तीव्र प्रकाश में वस्तुओ को देखने मे सहायता प्रदान करती है ।

 

2.तरल कक्ष :-

तरल कक्ष कॉर्निया तथा लेंस के बीच का भाग होता है इसमें एक प्रकार का जलीय द्रव भरा रहता है जिसे नेत्रोद कहते है यह नेत्रोद लेंस को आघातों ओर झटको से बचाता है और तरल कक्ष का भीतरी भाग काचाभ द्रव से भरा रहता है जो नेत्र गोलक की आकृति को बनाये रखता है और रेटिना की रक्षा भी करता है 

3.कॉर्निया या स्वच्छ मंडल :- 

नेत्र में दिखाई देने वाला गोलाकार भाग ही कॉर्निया कहलाता है और इसी भाग से होकर प्रकाश आँख में प्रवेश कर पाता है ।

   
कॉर्निया के बारे में




  

4.कंजंक्टिवा :- 

नेत्र के आगे वाला सफेद भाग को स्कलेरा कहते है तथा कॉर्निया के चारो ओर फैला हुआ भाग को कंजंक्टिवा कहते है जो हमारे नेत्र को सुरक्षा करता है और नेत्र को चिकनाहट भी प्रदान करता है ।

5.परितारिका :- 

परितारिका कॉर्निया के पीछे स्तिथ होता है जो वलयाकार पेशीय डायाफ्राम जैसा होता है 
परितारिका का कार्य :-परितारिका का मुख्य कार्य पुतली के कार्य को नियंत्रित किया जाता है ।
परितारिका के बारे में




          

6.पुतली :-

यह परितारिका के केंद्र में स्तिथ होता है जो अभिनेत्र लेंस में जाकर खुलता है ।
पुतली के बारे में



7.अभिनेत्र लेंस :- 

अभिनेत्र लेंस एक लचीला और मुलायम पदार्थ से बना हुआ एक अपारदर्शी उत्तल लेंस होता है और इस लेंस द्वारा वास्तविक और उल्टा प्रतिबिंब बनता है यह लेंस अलग-अलग दूरियों की वस्तुओं को फोकसित करने के लिये अपना आकर बदलते रहता है ।

8.पक्षमाभी पेशियां :- 

इन पेशियों के द्वारा ही अभिनेत्र लेंस  को जकड़ कर रख पाता है जिसके कारण ही अभिनेत्र लेंस का आकार नियंत्रित रह पाता है यदि किसी कारण वश पक्षमाभी पेशियों में कमजोरी हो जाती है तो अभिनेत्र लेंस अपना आकार बदल नही पाता है जिसके कारण नेत्र की समंजन क्षमता घट जाती है।

9.काचाभ द्रव :- 

नेत्र गोलक का अधिकतर भाग काचाभ द्रव से भरा रहता है जो एक जैली जैसा पदार्थ का बना होता है यह अभिनेत्र लेंस से लेकर रेटिना तक पूरे आंख में भरा होता है ।

10.रेटिना :- 

रेटिना को दृष्टिपटल भी कहा जाता है जो नेत्र गोलक का 
पीछे वाला भाग होता है जोकि एक पर्दे के जैसा कार्य करता है और रेटिना पर ही किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनता है ।

रेटिना के कार्य :- 
●रेटिना पर ही किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनता है ।
●यह लेंस द्वारा बनने वाले प्रतिबिम्ब के लिए पर्दे के कार्य करती है ।

11.दृक तंत्रिका :-

यह नेत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है जो नेत्र गोलक के पिछले वाले भाग से निकलकर मस्तिष्क से जुड़ा रहता है 

दृष्टि तांत्रिका  के कार्य :- दृष्टि तंत्रिका के द्वारा रेटिना पर बनने वाले प्रतिबिम्ब की संवेदनाएं मस्तिष्क तक पहुँचाइ जाती है ।



 मानव नेत्र की क्रियाविधि

                    हमारे नेत्र के लेंस पर किसी भी वस्तु का प्रतिबिंब उल्टा तथा वास्तविक बनता है जिससे बनने के लिए निम्नलिखित क्रियाओं घटित होती है जो इस प्रकार है।

1.प्रकाश संप्रेक्षण
2.तांत्रिका आवेग का बनना और संप्रेक्षण
3.वस्तु का प्रतिबिंब बनना
4.फोकसित करना 

1.प्रकाश संप्रेक्षण :- 

                 जब किसी वस्तु से परावर्तित होकर प्रकाश किरण आंख के पारदर्शी भाग से नेत्रोद में तथा नेत्रोद से होते हुए काचाभ द्रव के बाद दृष्टिपटल पर पहुँचती है तो इस प्रक्रिया को प्रकाश संप्रेक्षण कहा जाता है ।

2.तांत्रिका आवेग का बनना और संप्रेक्षण :- 

                                                                   रेटिना पर पाए जाने वाले प्रकाशीय ऊर्जा रेटिना की कोशिकाओं में रासायनिक परिवर्तन उत्पन्न करते हैं, जिसके कारण तंत्रिका आवेग बन पाता है जो दृष्टि तंत्रिका से होते हुए मस्तिष्क तक आवेग को पहुचती है 

3.वस्तु का प्रतिबिंब बनना :- 

जब तंत्रिका आवेग मस्तिष्क तक पहुंचती है तो मस्तिष्क उस पर विश्लेषण करके उसका प्रतिबिंब रेटिना पर उल्टा तथा वास्तविक बनाता है।

4.फोकसित करना :- 

रेटिना पर बनने वाले प्रतिबिंब को फोकस किए जाने की प्रक्रिया को फोकसित करना कहलाता है।

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Q&A

1.मानव नेत्र की निकट बिंदु कितना होता है ?

उत्तर :- 25cm

2.मानव नेत्र की दूर बिंटू कितना होता है ?

उत्तर :- अनन्त 

3.आँख के किस भाग से प्रकाश नेत्र में प्रवेश करता है ?

उत्तर :- कॉर्निया या स्वच्छ मंडल 

4.परितारिका का मुख्य कार्य क्या होता है ?

उतर:- परितारिका पुतली के आकार को नियंत्रित करता है ।

3.मानव नेत्र में वस्तु का प्रतिबिंब कहाँ बनता है ?

उत्तर:- रेटिना पर 

4.मानव नेत्र में प्रतिबिंब कैसा बनता है ?

उत्तर :- मानव नेत्र में प्रतिबिंब उल्टा तथा वास्तविक बनता है।

5.पुतली के आकार को कौन नियंत्रित करता है ?

उत्तर :- परितारिका


अगर आपने इस पोस्ट को पूरे अंत तक पढ़ा होगा तो आपने अब मानव नेत्र के विभिन्न भागों के बारे में जान गए होंगे और आपको भी इस पोस्ट से फायदा हुआ हो तो इस पोस्ट पोस्ट आप अपने करीबी दोस्तों के साथ जरूर share करे और यह पोस्ट कैसी लगी आप comment करके के जरूर बताये ।

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