स्वागतम ,स्वागतम ,स्वागतम एक बार फिर हम इस www.heretotaly.blogspot.com के ब्लॉग पोस्ट पर आ गए है जंहा हमे सभी प्रकार की जानकारियों से अवगत होते है उसी को आगे करते हुए आज हम मानव में श्वषन यानी आज का हमारा टॉपिक है मानव श्वषन तंत्र है हम इसके बारे में पूरी तरह से जांनेगें की यह जैविक प्रक्रम मानव शरीर में कैसे कार्य करता हैं तथा इसमें भाग लेने वाले अंगो के बारे में भी समझेंगे /
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!मानव श्वषन तंत्र -:
मानव में श्वषन की क्रिया को सम्पंन करने के लिए कुछ अंग भाग लेते है जो सम्मलित रूप से मिलकर श्वषन तंत्र कहलाते है जिसमे भाग लेने वाले अंग इस प्रकार है
1 )नासिका
2 )स्वरयंत्र
3 )श्वासनली
4 )फेफ़ड़ा
5 )डायाफॉर्म
1 )नासिका-:
नासिका को हम प्रचलित भाषा में नाक के नाम से जानते है जो मुखद्वार के ठीक ऊपर स्थित होता है तथा जो अंदर में दो अलग अलग नासिका वेश्मो में खुलते है नाशिका के माध्यम से ही वायु हमारे शरीर में प्रवेश करता है तथा यह नासिका वेश्म अंदर की ओर कण्ठद्वार के नजदीक खुलता है
2 )स्वरयंत्र -:स्वरयंत्र श्वषन मार्ग का वह भाग है जंहा से ग्रसनी को श्वासनली से जोड़ता है इस अंग का मुख्य कार्य ध्वनि का उत्पादन करना होता है तथा इसके अतिरिक्त यह खाँसने ,श्वासोच्छ्स ,निगलने तथा श्वसन मार्ग की सुरक्षा भी करता है और स्वरयंत्र के दीवारों पर एक पतला तथा पत्ती के आकार का कपाट होता है जिसे एपिग्लॉटिस कहते है जो भोजन ग्रहण के समय बंद हो जाता है ताकि श्वासनली में भोजन का कण प्रवेश न का पाए |
3 )श्वासनली -:
श्वासनली लगभग 11 सेंटीमीटर और 16 सेंटीमीटर व्यास वाला नली होता है साथ में इस नली के दीवारों पर बहुत सारे उपास्थि वलय के क्रम में सजी होती है जो वायु के बाहर निकलते समय इसे चिपकने से रोकती है
प्रत्येक श्वसनी फेफ़ड़े में प्रवेश करके तुरंत श्वसननलिकाओ में विभाजित हो जाती है मनुष्य के दोनों फेफड़ो में करीब 300000000 वायुकोष पाए जाते है यानि हम कह सकते है की मनुष्य के फेफ़ड़े मे श्वशन क्रिया के दौरान गैसों के आदान प्रदान के लिए लगभग 400 -800 वर्ग फ़ीट सतह उपलब्ध होते है
4 )फेफ़ड़ा-:
मानव में फेफड़ा एक जोड़ी होता है जो शंक्वाकार तथा थैलीनुमा के आकार के जैसा होता है हमारा फेफड़ा हमारे शरीर के वहागुहा में सिथत होता है
हमारा दाँया फेफ़ड़ा हल्का लम्बा तथा तीन पालिया से बना होता है तो वंही बाँया फेफ्ड़ा छोटा तथा दो पालियो से बना होता है और यदि हम अपने श्वासनली में फूंक मारे तो गुब्बारे की तरह फैल जाता है
5 )डायाफॉर्म-:
हमारे शरीर के वक्ष गुहा का निचला सतह एक पतले पट्टे के द्वारा बंद रहता है जिसे हम डायाफॉर्म कहते हैं
जब अन्तः श्वषन के दौरान हमारी पसलियां ऊपर की और बहार की ओर जाती है तो हमारा डायाफॉर्म निचे की ओर गति करता है जिससे वायु हमारे फेफड़े में प्रवेश क्र जाता है जबकि जब उच्चवास क्रिया के दौरान पसलियां निचे तथा अंदर की ओर गति करता है जिससे डायाफॉर्म ऊपर की ओर चला जाता है और वायु बाहर निकल जाता है
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