विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव || विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव से आप क्या समझते हैं || चुंबकीय प्रभाव किसे कहते हैं ||

 जब  किसी  चालक  को  विद्युत  धारा  प्रवाहित हो  रहे चालक  के पास  ले जाया  जाता  है  तो  चुंबकीय   सुई विक्षेपित  हो  जाता  है  जिसे  विद्युत  धाराb का चुंबकीय प्रभाव कहते हैं।

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Hellow  दोस्तों, तो  यदि  आप  भी  विद्युत  धारा  के चुंबकीय प्रभाव की परिभाषा को ढूंढ रहे हैं तो आप एकदम सही पोस्ट पर आये हैं जंहा मैंने अपने इस पोस्ट पर विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव किसे कहते हैं को पुरी तरीके से बताया हैं तो चलिए शुरू करते हैं… 


• इस पोस्ट पर के Topics :-

चुंबक

चुंबक के गुण

चुंबकीय क्षेत्र 

चुंबकीय क्षेत्र रेखाए

चुंबकीय क्षेत्र रेखाए के गुण

विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

धारावाही चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र

दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम

परिनालिका

परिनालिका में प्रवाहित विधुतधारा के कारण चुंबकीय क्षेत्र

फ्लेमिंग का वामहस्त नियम


                     चुंबक


वैसे पदार्थ जो लोहे या लौह युक्त पदार्थों को अपनी ओर आकर्षित करता है, उसे चुंबक कहते हैं।

                  चुंबक के गुण

चुंबक के गुण निम्नलिखित है जो इस प्रकार से है।

1.)चुंबक के दो ध्रुव होते हैं। पहला उत्तरी ध्रुव और दूसरा दक्षिणी ध्रुव . 
2.)चुंबक के समान ध्रुव एक-दूसरे आकर्षित को करता है।
3.)चुंबक के असमान ध्रुव एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करता  है। 
4.)जब चुंबक को स्वतंत्र रूप से लटकाया जाता है तो वह उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर रुकता है।

               चुंबकीय क्षेत्र

किसी चुंबक के चारों ओर स्थित वह क्षेत्र जहां से उसके बल को अनुभव किया जाता है, उसे चुंबकीय क्षेत्र कहते हैं। चुंबकीय क्षेत्र का S.I मात्रक टेस्ला होता है और यह एक प्रकार का सदिश राशि है क्योंकि इसमें दिशा तथा परिमाण दोनों ही होता है।
विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव



            चुंबकीय क्षेत्र रेखाए

चुंबक के चारों ओर बहुत रेखाएं एक विशेष प्रकार की आकृति बनाकर चुंबक के उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश करती हुई प्रतीत होती है जिसे चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं कहते हैं।

       चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं के गुण

चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं  के गुण इस प्रकार हैं.

1.)चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं उत्तरी ध्रुव से निकलकर दक्षिणी ध्रुव में विलीन हो जाती है।

2.)चुंबक के अंदर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है। 

3.)चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं बंद वक्र बनाती हैं।

4.)चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं एक दूसरे को कभी भी प्रतिच्छेद नहीं करती है।

      विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

जब  किसी  चालक  को  विद्युत  धारा   प्रवाहित हो  रहे चालक  के पास  ले जाया  जाता  है  तो  चुंबकीय   सुई विक्षेपित  हो  जाता  है  जिसे  विद्युत  धाराb का चुंबकीय प्रभाव कहते हैं।
              चुंबकत्व और विद्युत एक दूसरे से संबंधित होते हैं और इनके इस संबंध को सर्वप्रथम डेनमार्क, वैज्ञानिक क्रिश्चियन ऑस्ट्रेड ने सन्  1920  ईo में बताया  था  और इन्हीं के सम्मान में  चुंबकीय क्षेत्र की  तीव्रता  का  मात्रक और ऑस्ट्रेड रखा गया था

धारावाही चालक के चारों और चु क्षेo 

विधुत धारावाही चालक दो प्रकार के हो सकते हैं

1. )सीधा चालक से प्रवाहित धारा के कारण चुंबकीय क्षेत्र 
2.) वृताकर पाशवाला चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र 


1. )सीधा चालक से प्रवाहित धारा के कारण चुंबकीय क्षेत्र :-

जब किसी सीधे चालक से विद्युत धारा को प्रवाहित किया जाता है तो इससे चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न होता है तथा धारा प्रवाहित होने के कारण चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं भी उत्पन्न होती है। तथा धारा प्रवाहित होने के कारण चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं भी उत्पन्न होती है जो सकेंद्रीय वृत्त के रूप में बनता है।

 चुंबकीय रेखाओं का सकेंद्रीय वृत्त चालक के निकट अधिक घने होते हैं, जबकि चालक से दूर जाने पर कम हो जाते हैं, जिससे है यह सिद्ध होता हैं की चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता चालक के निकट अधिक जबकि चालक से दूर जाने पर कम हो जाती है।

2.) वृताकर पाशवाला चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र

किसी विद्युत धारावाही पास के प्रत्येक बिंदु पर तथा उसके चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र सकेंद्रीय वृतों का साइज तार से दूर जाने पर निरंतर बड़ा हो जाता है 

        तथा जैसे ही हम वृत्ताकार पाश के केंद्र पर पहुंचते हैं तो वृतों के  चाप  सरल  रेखाओं  के   जैसा प्रतीत होने लगता है। यानी तार का प्रत्येक भाग चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं में योगदान देता है तथा पाश के भीतर सभी चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं एक ही दिशा में होती है।

         दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम

यदि आप अपने दाहिने हाथ में किसी विद्युत धारावाही चालक को इस प्रकार पकड़ते हैं कि आपका अंगूठा विद्युत धारा की दिशा तथा मुड़ी हुई उंगलियां चुंबकीय क्षेत्र को बताता है तो इस नियम को दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम कहते हैं। इस नियम को मैक्सवेल का कॉर्कस्क्रु नियम भी कहते हैं।

               परिनालिका

पास- पास लिपटे विद्युत रोधी तांबे के तार की बेलन की आकृति की अनेक फेरों वाली कुंडली को परिनालिका कहते हैं।

 परिनालिका में  प्रवाहित  विद्युत  धारा के  कारण चुंबकीय क्षेत्र :-

जब किसी परिनालिका के अंदर विद्युत धारा को प्रवाहित किया जाता है तो उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं समांतर रूप से सरल रेखा में गमन करता है। यानि किसी परिणाम का के भीतर सभी बिंदुओं पर चुंबकीय क्षेत्र का मान होता है।

      फ्लेमिंग का वामहस्त नियम

इस नियम के अनुसार यदि हम अपने हाथ की तर्जनी मध्यमा तथा अंगूठे को इस प्रकार तीनों को एक दूसरे के लंबवत रखे की तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र के दिशा मध्यमा विद्युत धारा की दिशा और अंगूठा चालक की गति या बल की दिशा को संकेत करेगा।

 विद्युत मोटर, विद्युत जनित्र ,माइक्रोफोन जैसी विद्युत युक्तियां फ्लेमिंग के वामहस्त नियम पर कार्य करती है।


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