तो दोस्तों अगर आप भी क्लास दसवी के छात्र हैं और आप भी google पर स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन प्रश्न उत्तर को ढूंढ रहे है तो आप बिलकुल सही पोस्ट पर आए हैं तो चलिए शुरु करते हैं…..
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन प्रश्न उत्तर
अभ्यास के प्रश्न
प्रश्न 1. कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी थे। द्विवेदी जी ने क्या क्या तर्क देकर स्वी- शिक्षा का समर्थन किया ?
उत्तर- द्विवेदी जी ने शिक्षा का समर्थन करते हुए तर्क दिया कि यह कहना कि प्राचीन काल में स्त्रियाँ पढ़ी-लिखी नहीं थी गलत है। ऐसा कहने वालों को नाटकों की प्राकृत बोलने वाली स्त्रियों को और ऋषियों को वेदान्त वादिनी पत्नियों को देखना चाहिए।
प्रश्न 2. ‘स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते है कुतर्कवादियों की इस दलील का खंडन द्विवेदी जी ने कैसे किया है, अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- स्त्री-शिक्षा से अनर्थ के परिप्रेक्ष्य में कुतर्कवादियों की दलील का उत्तर देते हुए द्विवेदी जी ने कहा कि इस प्रकार की दलीलों का सर्वाधिक प्रभावशाली उत्तर ऐसा कहने वालों की उपेक्षा करना ही है।
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प्रश्न 3. द्विवेदी जी ने स्त्री शिक्षा विरोधी कृत्तकों का खंडन करने के लिए व्यंग्य का सहारा लिया है जैसे यह सब पापी पढ़ने का अपराध है। न वे पड़तीं न वे पूजनीय पुरुषों का मुकाबला करतीं।’ आप ऐसे अन्य अंशों को निबंध में से छाँटकर समझिए और लिखिए।
उत्तर- इस प्रकार के कुछ अंश निम्नलिखित हैं-
•स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं। शकुंतला इतना कम पढ़ी-लिखी थी कि
• मुश्किल से एक छोटा-सा श्लोक लिख सकी थी।’
• अपढ़ गंवारों की भी भाषा पढ़ाना स्त्रियों को बरबाद करना है।
प्रश्न 4. पुराने समय में स्त्रियों द्वारा प्राकृत भाषा में बोलना क्या उनके अपढ़ होने का सबूत है? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- नहीं ऐसा नहीं है। द्विवेदी जी उपर्युक्त प्रश्न को उठाकर यही बताना चाहते हैं कि पुराने समय की स्त्रियों का प्राकृत बोलना उनके अशिक्षित होने का नहीं अपितु शिक्षित होने का प्रमाण है।
प्रश्न 5. परंपरा के उन्हीं पक्षों को स्वीकार किया जाना चाहिए जो स्त्री-पुरुष समानता को बढ़ाते हों, तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर- वस्तुतः यही सत्य है कि जो परंपरा स्त्री-पुरुष समानता को बढ़ाती हो वही समाज के लिए उचित और मंगलकारी हो सकती है। जो परंपराएँ स्त्री और पुरुषों के मध्य दूरी बनाएँ, वर्ग-विभेद पैदा करें उन्हें तरजीह नहीं देनी चाहिए
क्योंकि वे स्वस्थ परंपराएँ नहीं हैं। वास्तव में स्त्री-पुरुष के बीच अधिकाधिक समानता होने पर ही समाज का कल्याण हो सकता है।
प्रश्न 6. तब की शिक्षा-प्रणाली और अब की शिक्षा प्रणाली में क्या अंतर है ? स्पष्ट करें।
उत्तर : प्राचीनकाल में शिक्षा पर-परिवार से दूर जंगलों में दी जाती थी। धीरे-धीरे गुरुकुलों का निर्माण हुआ जहाँ गुरु विद्यार्थियों को शिक्षा देते थे बदले में गुरु की सेवा करता था।
शिष्य शिक्षा-प्राप्ति के साथ-साथ अपने सभी कार्य स्वयं करता था तथा व्यवहारिक शिक्षा, अस्त्र शस्त्र की शिक्षा भी प्राप्त करता था। किन्तु आधुनिक युग की शिक्षा केवल किताबी ज्ञान है। धन खर्च कर आज पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त होता है। यह व्यावहारिक नहीं है केवल इसका महत्व रोजगार प्राप्ति के दृष्टिकोण से ही है।
प्रश्न 7. महावीर प्रसाद द्विवेदी का निबंध उनकी दूरगामी और खुली सोच का परिचायक है, कैसे
उत्तर- हाँ, निश्चित रूप से द्विवेदी जी का यह निबंध उनकी खुली और दूरगामी सोच का परिचायक है। क्योंकि इस निबंध की रचना उन्होंने उस समय की थी, जब देश औपनिवेशिक गुलामी की गिरफ्त में था। हमारे भारतीय समाज में तो आज भी बहुत-सी जगहों पर स्त्री हमारे शिक्षा के विषय में लोगों की सोच बहुत सकारात्मक नहीं है।
ऐसी दशा में एक व्यक्ति का इस विषय पर इतने वर्षों पूर्व सोचना उसकी खुली और दूरगामी सोच का ही परिचायक हो सकता है।
प्रश्न 8. द्विवेदी जी की भाषा-शैली पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर- द्विवेदी जी की भाषा संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली है। विज्ञता और बहुज्ञता के साथ-साथ सरसता उनके भाषा चयन की विशेषता है। व्यंग्य की अपूर्व सामर्थ्य उनकी शैली को रोचक और विचारोत्तेजक बना देती है।
FAQ :
1) स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतुकों का खण्डन, पाठी लेखक स्त्री शिक्षा के विरोध को क्या मानता है ?
उत्तर : लेखक कहते हैं कि प्राचीन काल मे भी स्त्रीयाँ पढ़ी लिखी होती थी अगर कोई कहता है कि स्त्रीयाँ प्राचीन काल मे अनपढ़ थी तो उन्हे प्रदवियो को वेदान्त वादिनी पत्तियो को देखना चाहिए.
2) स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खण्डन कौन सी विधा है।
उत्तर – निबन्ध
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