पर्यावरण दो शब्द परि यानी आसपास और आवरण यानी घेरे हुए से मिलकर बना है यानी वैसा आवरण जो हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं, उसे हम पर्यावरण कहते हैं।
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Hellow, दोस्तों तो आज के इस पोस्ट पर हम हमारा पर्यावरण क्लास 10th के बारे मे बताया है साथ मे मैंने इसे हमारा पर्यावरण notes को एकदम आसान भाषा मे व्यक्त किया है जिससे आपको कोई परेशानी नहीं हो तो चलिए शुरू करते हैं…
इस पोस्ट पर के Topics :-
•पर्यावरण किसे कहते हैं
• परितंत्र का परिभाषा
• परितंत्र के प्रकार
• परितंत्र के घटक
• आहार के आधार पर जीवों का वर्गीकरण
• आहार श्रृखंला
• आहार जाल
• आहार श्रृखंला और आहार जाल मे अंतर
• जैव आवर्धन
• ओजोन परत
• अजैव निम्नीकरणीय
• जैव निम्नीकरणीय
पर्यावरण किसे कहते हैं
पर्यावरण दो शब्द परि यानी आसपास और आवरण यानी घेरे हुए से मिलकर बना है यानी वैसा आवरण जो हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं, उसे हम पर्यावरण कहते हैं।
परितंत्र का परिभाषा
किसी विशेष क्षेत्र में उपस्थित जैविक और अजैविक घटक मिलकर पारितंत्र का निर्माण कराते हैं।
जैविक घटक -: जीव, जंतु, कीड़ा, इत्यादि,
अजैविक घटक -: तापमान, वर्षा, वायु, मृदा इत्यादि।
परितंत्र के प्रकार
परितंत्र के दो प्रकार होते हैं
1.) प्राकृतिक परितंत्र
2.) मानव निर्मित परितंत्र
1.) प्राकृतिक परितंत्र:-
वैसे पारितंत्र जो प्रकृति से प्राप्त होते हैं, उसे प्राकृतिक पारितंत्र कहते हैं। जैसे जंगल, सागर, नदी, झील, इत्यादि
2.) मानव निर्मित परितंत्र
वैसे पारितंत्र जो मानव से प्राप्त या निर्मित किए जाते हैं, उसे मानव निर्मित पारितंत्र कहते हैं। जैसे खेत जलाशय बगीचा इत्यादि।
परितंत्र के घटक
परितंत्र के दो घटक होते हैं
1.) जैविक घटक
2.) अजैविक घटक
1.) जैविक घटक :-
वैसे घटक जिनमें जीवन नहीं है किंतु जीवन को आधार प्रदान करती है। उसे अजैविक घटक कहते हैं।
जैसे -: हवा पानी, भूमि, प्रकाश इत्यादि
2.) अजैविक घटक
वैसे घटक जिनमें जीवन होता है, उसे जैविक घटक कहते हैं। जैसे -: पशु पक्षी, जीव, जंतु, पेड़, पौधा इत्यादि।
आहार के आधार पर जीवों का वर्गीकरण
इस आधार पर जीव को तीन भागो मे विभाजित किया गया हैं
1.) उत्पादक
2.) उपभोक्ता
3.) अपघटक
1.) उत्पादक :-
वैसे जो अपना भोजन सूर्य के प्रकाश में अकार्बनिक पदार्थों के प्रयोग कर बनाते हैं, उसे उत्पादक कहते हैं।
2.) उपभोक्ता
वैसे जो अपने भोजन के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उत्पादों द्वारा निर्मित भोजन का उपयोग करते हैं, उसे उपभोक्ता कहते हैं।
उपभोक्ता को चार भागों में बांटा गया है।
1) शाकाहारी 2) मांसाहारी 3) परजीवी 4) सर्वाहारी
1) शाकाहारी
वैसे जीव जो अपने भोजन के लिए पेड़ पौधों पर निर्भर रहते हैं, उसे शाकाहारी करते हैं।
a) मांसाहारी
वैसे जो मांस खाते हैं, यानी अपने भोजन के लिए जीव–जंतुओं पर निर्भर रहते हैं। उसे मांसाहारी करते हैं।
b) परजीवी
वैसे जो जो किसी दूसरे जीव के शरीर पर रह कर अपना भोजन बनाते हैं, उसे परजीवी कहते हैं
c) सर्वाहारी
वह जो पौधे और मांस दोनों को खाते हैं। उसे सर्वाहारी कहते हैं।
3.) अपघटक
वे जीव जो मरे हुए जीव, पौधों या अन्य कार्बनिक पदार्थों के जटिल पदार्थों को सरल पदार्थों में विघटित करते हैं। उसे अपघटक कहते हैं।
वे जीव जो मृत जीवों के अवशेषों को अपघटित करते हैं, उसे अपमार्जक कहते हैं जैसे जीवाणु, कवक, फफूंद इत्यादि।
आहार श्रृखंला
वैसे श्रृंखला जिसमें एक जो दूसरे जो से भोजन के लिए एक दूसरे से जुड़े रहते हैं, उसे आहार से निकला कहते हैं।
जैसे -: घास – हिरण- शेर
आहार श्रृंखला के प्रत्येक स्तर को पोषित सर कहते हैं जिनमें ऊर्जा का प्रवाह एक ही दिशा में होता है आहार श्रृंखला में समानता तीन या चार चरण ही होते हैं।
आहार जाल
विभिन्न प्रकार के आहार श्रृंखला मिलकर एक आहार जाल का निर्माण कर आती है।
आहार श्रृखंला और आहार जाल मे अंतर
आहार श्रृखंला :-
1.)इसमें कई पोषी स्तर के जीव मिलकर एक श्रृंखला बनाते हैं
2.)आहार श्रृंखला के मुख्यतः तीन या चार चरण हो सकते हैं
3.)आहार श्रृंखला में जीव एक दूसरे से जुड़ा रहता है। 4.)इसमें ऊर्जा का प्रवाह सीधे दिशा में होता है।
आहार जाल :-
1.)इसमें कई प्रकार के आहार श्रृंखला एक-दूसरे से जुड़ी होती है।
2.)इसमें ऊर्जा का प्रवाह शाखाविन्त रूप से होता है। 3.)आहार जाल में कई चरण होते हैं जो की जाल की तरह होता है।
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जैव आवर्धन
आहार श्रृंखला में एक जीव दूसरे जीव को खाता है और इस प्रक्रम में कुछ हानिकारक रसायनिक पदार्थ आहार श्रृंखला के माध्यम से एक दूसरे दूसरे जीव में चले जाते हैं, जिसे जैव आवर्धन कहते हैं। यानी आहार श्रृंखला में हानिकारक पदार्थ को एक जीव से द दूसरे जीव में जाना है। जैव आवर्धन कहलाता है।
ओजोन परत
ओजोन परत पृथ्वी के चारों ओर एक ऐसा आवरण है जो सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है जिससे जीवों में स्वास्थ्य संबंधित बीमारियों नहीं हो पाती . यह परत समताप मंडल में पाया जाता है।
अजैव निम्नीकरणीय
वे पदार्थ जो जैविक प्रकरण के द्वारा अपघटित नहीं होते हैं उसे अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ करते हैं।
जैव निम्नीकरणीय
वे पदार्थ जो जैविक प्रकरण के द्वारा अपघटित होते हैं उसे जैव निम्नीकरणीय पदार्थ करते हैं।
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आपने क्या सिखा :-
• परि+ आवरण = पर्यावरण
• परितंत्र के दो घटक होते हैं
• परितंत्र दो प्रकार के होते हैं
• आहार के आधार पर जीवों को तीन भागों मे बंटा गया हैं
• वे जीव जो मृत जीवों के अवशेषों को अपघटित करते हैं, उसे अपमार्जक कहते हैं जैसे जीवाणु, कवक, फफूंद इत्यादि।
• आहार श्रृंखला के तीन या चार चरण हो सकते हैं
• आहार जाल कई आहार श्रृंखला का जाल होता हैं
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