हम बीमार क्यों होते हैं class 9 notes || हम बीमार क्यों होते हैं ||

 किसी भी व्यक्ति का सामान्य शारीरिक और मानसिक अवस्था ही स्वास्थ्य कहलाता हैं |

Hellow, दोस्तों तो अगर आप भी हम बीमार क्यों होते हैं class 9  के बारे में खोज रहे हैं तो आप बिल्कुल सभी पोस्ट पर आ चुके हैं क्योंकि इस पोस्ट पर मैंने हम बीमार क्यों होते हैं के बारे मे पूरी तरह से बताया हैं तो समय को बर्बाद नहीं करते हुए चलिए शुरू करते हैं
 

इस पोस्ट पर के Topics :-
स्वास्थ्य का परिभाषा
• रोग का परिभाषा
• रोग के लक्षण
• रोग के प्रकार
• संक्रामक रोग और असंक्रामक रोग मे अंतर
• उपचार के नियम
• एटीबायोटिक 
• निवारण के विधि 

                स्वास्थ्य का परिभाषा

 किसी भी व्यक्ति का सामान्य शारीरिक और मानसिक अवस्था ही स्वास्थ्य कहलाता हैं

W.H.O के अनुसार कोई भी व्यक्ति स्वस्थ तब रहता है जब वह सामाजिक, मानसिक और शारीरिक रूप से ठीक हो | 
बेहतर स्वस्थ्य के लिए परिस्थितियाँ :-
संतुलित आहार साफ पानी, 
•अच्छा भौतिक एवं सामाजिक पर्यावरण
• अच्छी आर्थिक स्थिति तथा रोजगार के अवसर
हम बीमार क्यों होते हैं class 9 notes || हम बीमार क्यों होते हैं ||




                 रोग का परिभाषा

हमारे शरीर की वैसी अवस्था जिसमें हमारे शरीर के सामान्य कार्यों में बाधा उत्पन्न हो, उसे रोग कहते हैं। 


                   रोग के कई लक्षण

रोग के कई लक्षण हो सकते हैं जिसमें कुछ इस प्रकार है 1.)किसी अंग या अंग तंत्र की संरचना में परिवर्तन होना 2.)रोगों की पहचान के लिए चिकित्सा के क्षेत्र में कुछ टेस्ट भी कराया जाता है
3.)हमारे शरीर मे खराबी का संकेत देते हैं जोकि रोगी के द्वारा महसूस होता हैं

खास आपके लिए 

                     रोग के कारण

रोग के कारण इस प्रकार है 
1.)वायरस कवक, प्रोटोजोआ और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीवों को किसी भी माध्यम द्वारा शरीर में प्रवेश कराना
2.)कुपोषण
3.)आनुवंशिकता विभिन्नता 
4.)पर्यावरण प्रदूषण की समस्या 
5.)टीकाकरण का अभाव 

               रोग के प्रकार

रोग के कई प्रकार होते हैं जिसमें कुछ इस प्रकार है 
1.)तीव्र रोग 
2.)दीर्घकालीन रोग 
3.)संक्रामक रोग 
4.)असंक्रामक रोग 
5.)जन्मजात रोग 
6.)अनुवांशिक रोग

1.)तीव्र रोग :- वैसे लोग जो कम समय के लिए होते हैं उसे तीव्र रोग कहते हैं जैसे सर्दी, जुकाम इत्यादि

2.) दीर्घकालीन रोग -: वैसे लोग जो अधिक समय तक चलते हैं, उसे दीर्घकालीन लोग कहते हैं जैसे टीबी कैंसर, इत्यादि

3.)संक्रमण रोग -: वैसे रोग जो किसी अस्वस्थ व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में किसी माध्यम द्वारा प्रवेश फैलते हैं, उसे संक्रमण रोग करते हैं। 

4.)असंक्रमण रोग -: वैसे लोग जो किसी और स्वस्थ व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में फैलते नहीं करते हैं, उसे असंक्रमण रोग कहते हैं

5.) जन्मजात रोग -: वैसे रोग जो जन्म से ही होते हैं उसे जन्मजात रोग कहते हैं।

6.) आनुंवशिक रोग -: वैसे लोग जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में होते हैं, उसे अनुवांशिक रोग कहते हैं।


       संक्रामक रोग और असंक्रामक रोग मे अंतर

संक्रामक रोग
1.यह संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में फैलता है
2.यह रोगाणुओं के आक्रमण से उत्पन्न होता है।
3.इसके उपचार के लिए एंटीबायोटिक का उपयोग किया जाता है। 
4.जैसे सर्दी, जुकाम, एड्स इत्यादि।

असंक्रामक रोग 
1.यह संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में नहीं फैलता है 2.यह अन्य कारको से उत्पन्न होता है।
3.इसमें एंटीबायोटिक का उपयोग नहीं किया जाता है।  4.जैसे B.P., बुखार इत्यादि।


                  रोगाणु किसे कहते हैं

वैसे जीव जो बीमारी और संक्रमण को पैदा करते हैं, उसे रोगाणु करते हैं।

                   महामारी का परिभाषा

 वैसे बीमारी जो एक जगह पर  फैलकर उस जगह के सभी लोगों को संक्रमित कर देता है, उसे महामारी करते हैं। जैसे कोरोना हैजा इत्यादि

रोग फैलने के कौन कौन कारक हैं

 रोग फैलने के निम्नलिखित कारक है जो इस प्रकार है 1.)जब हम छिकते या खासते हैं तो रोगाणु निकलते हैं और स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। जैसे निमोनिया, सर्दी, जुकाम, इत्यादि
2.)जल तथा भोजन के माध्यम द्वारा भी रोग फैलते हैं। 3.)मादा एनाफिलीज मच्छर भी बीमारी में रोग वाहक का कार्य करती है। 
4.)कुछ रोग लैंगिक संपर्क द्वारा भी एक अस्वस्थ व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति में फैलते हैं।

अंग विशिष्ट तथा उतक

1.)यदि रोगाणु वायु के द्वारा नाक से प्रवेश करते हैं तो फेफड़ा संक्रमित होते हैं जैसे कि क्षयरोग 
2.)यदि रोगाणु मुंह में प्रवेश करता है तो संक्रमण आहार नाल में होता है जैसे कि खसरा का रोगाणु आहार नाल में
3.)विषाणु जनन अंगों से प्रवेश करता है और शरीर के लसीका ग्रंथों में फैल जाता है और हमारे शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को नुकसान पहुंचाता है।
4.)मलेरिया त्वचा के द्वारा शरीर में प्रवेश करता है और लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करता है।

                उपचार के नियम

हम रोगों के उपचार दो तरीको से करते हैं
1.) रोग के लक्षण को कम करने के लिए
2.) रोगाणुओ को मारने के लिए

1.) रोग के लक्षण को कम करने के लिए -: 
इस उपाय में दवाई देखकर रोग के लक्षण को दूर और कम किया जाता है।

2.) रोगाणुओ को मारने के लिए -:
इसमें रोगाणुओ को मारने के लिए एंटीबायोटिक दिया जाता है।

                    एंटीबायोटिक

एंटीबायोटिक वैसे रासायनिक पदार्थ होते हैं जिनका निर्माण सूक्ष्म जीवों के द्वारा किया जाता है जो जीवाणुओं की वृद्धि को रोकने या मारने का कार्य करता है।

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                 निवारण के विधि 

रोगों के निवारण के दो विधि हैं
1.)  सामान्य विधि
2.) रोग विशिष्ट विधि

1.)  सामान्य विधि -:
इस विधि मे हमे रोगियों से दूर रहना चाहिए

2.) रोग विशिष्ट विधि -:
इस विधि में हमें रोगों से बचने के लिए टीकाकरण या प्रतिरक्षीकरण किया जाता है। 

टीकाकरण की विधि में हमारे शरीर में रोगाणुओं को डाल दिया जाता है जिससे हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र धोखे में आ जाता है और उससे लड़ने वाले रोगाणुओं का उत्पादन आरंभ कर देता है। इस प्रकार रोगाणुओं को मारने वाली विशेष कोशिका हमारे शरीर में पहले से ही निर्मित हो जाती है और जब रोग का रोगाणु वास्तव में शरीर में प्रवेश करता है तो रोगाणुओं से यह विशेष कोशिका लड़ती है और उसे मार देती है

 जैसे -: चेचक का टीकाकरण , टीवी का टीकाकरण, कोरोना का टीकाकरण, पोलियो का टीकाकरण इत्यादि

आपने क्या सिखा… 
1.) रोग के कई लक्षण हो सकते हैं
2.) रोग के भी कई प्रकार होते हैं
3.) सर्दी- जुकाम, AIDS जैसे रोग संक्रामक रोग के उदाहरण हैं
4.) B. P., बुखार जैसे बीमारी असंक्रामक रोग के उदाहरण हैं


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