वैसी वस्तु जो मुफ्त मे हमे प्रकृति के द्वारा मिली हैं उसे प्राकृतिक संपदा कहते हैं…..
Hellow, दोस्तों तो आज के इस पोस्ट मे हमने प्राकृतिक संपदा class 9 notes in hindi के बारे मे बात किया हैं और मै इस पोस्ट को पूरी तरह से सरल भाषा मे प्रस्तुत किया हूँ ताकि आपको किसी भी प्रकार का कोई परेशानी नहीं हो तो चलिए शुरू करते हैं….
इस पोस्ट पर पढ़े जाने वाले Topics…
•जैवमंडल
•जैवमंडल के घटक
•पवन या वायु की गति
•वायु प्रदूषण
•वायु प्रदूषण का प्रभाव
•वर्षा
•अम्लीय वर्षा जल प्रदूषण
•भूमि प्रदूषण
•मृदा का निर्माण
•मृदा अपरदन
•जैव रासायनिक चक्र
•ग्रीन हाउस प्रभाव
•ओजोन परत
•ओजोन परत के ह्रास होने के कारण
•प्राकृतिक संपदा
•प्राकृतिक संपदा की सूची
जैवमंडल
जीवन को सुचारु रुप से चलाने वाले क्षेत्र जहां वायुमंडल स्थलमंडल जलमंडल विद्यमान हो उसे जैवमंडल कहते हैं।
जैवमंडल के भाग जैवमंडल के तीन भाग होते हैं जो कुछ इस प्रकार है
वायुमंडल
स्थलमंडल
जलमंडल
वायुमंडल :- वह भाग जिसमें वायु विद्यमान होते हैं, जो पृथ्वी को कंबल की तरह ढके रहता है। वायुमंडल कहलाता है।
स्थल मंडल :- पृथ्वी की सबसे बाहरी परत को को वायुमंडल कहते हैं।
जलमंडल :- जैवमंडल का वह भाग जिसमें जल मौजूद होते हैं, उसे जलमंडल कहते हैं और पृथ्वी के 75% हिस्से में जलमंडल मौजूद है।
जैवमंडल के घटक
जैवमंडल के दो घटक हैं
1) जैविक घटक
2) अजैविक घटक
1) जैविक घटक :- इस घटक के अंतर्गत सभी सजीव (जीव-जंतु ,पेड़-पौधे इत्यादि) वस्तुओं आते हैं।
2) अजैविक घटक :- इस घटक के अंतर्गत सभी निर्जिव वस्तु (हवा पानी, मिट्टी इत्यादि) आते हैं।
पृथ्वी पर जीवन के लिए कारक
पृथ्वी पर जीवन को निर्वहन के लिए निम्नलिखित कारक हैं जो इस प्रकार है
1) वायु
2) तापमान
3)पानी
4) भोजन
1) वायु :- वायु कई सारे गैसों का मिश्रण है जिसमें सबसे अधिक मात्रा में 78% में नाइट्रोजन पाया जाता है। 21% में ऑक्सीजन और बाकी के 1% मे अन्य गैस पाए जाते हैं।
2) तापमान :- वायुमंडल पृथ्वी के तापमान को दिन भर और रात पूरे साल तक और स्थान निश्चित रखता है।
वायुमंडल के कारण ही दिन में तापमान को अचानक से बढ़ने से रोकता है तथा उष्मा को पृथ्वी से बाहर दूसरे अंतरिक्ष में जाने से भी रोकता है।
पवन या वायु की गति
दिन के समय हवा की दिशा समुद्र से स्थल की ओर होती है क्योंकि दिन के समय स्थल के ऊपर की हवा जल्दी से गर्म होकर ऊपर उठने लगती है
और ठीक रात के समय हवा की दिशा विपरीत रूप से बदल जाती है। यानी स्थल में स्थल से समुद्र की ओर होती है क्योंकि रात के समय समुद्र तथा दोनों ही ठंडा हो जाते हैं
और यही एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में हवा की गति को पवन कहते हैं।
इन्हे जरूर पढ़े ( खास आपके लिए)
वायु प्रदूषण
जब वायु में मौजूद हानिकारक पदार्थ (CO2, SO3,N2 धूल कण इत्यादि) की मात्रा में वृद्धि हो जाती है तो इस स्थिति को वायु प्रदूषण कहते हैं।
वायु प्रदूषण का प्रभाव
वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव उत्पन्न होते हैं जो कुछ इस प्रकार है
•उच्च रक्तचाप कैंसर
•स्वास्थ संबंधित रोग
•आंखों में जलन
•क्लोरो कील की कमी
•पतियो पर हरे रंग के धब्बे
वर्षा
जब सूर्य का प्रकाश जलाशय नदियों पर पड़ता है तो यह वाष्पित होकर ऊपर चले जाता है और वहां पर संघनन क्रिया के फलस्वरुप वाष्प में द्रव्य में परिवर्तित हो जाता है और जल की बूंदें में बदल जाता हैं और जब जल की बूंदे का आकार बढ़ जाती है तो ये नीचे गिरने लगता है जिसे वर्षा कहते हैं
अम्लीय वर्षा
जब जीवाश्म ईंधन का दहन किया जाता है तो इसके फलस्वरूप SO2 और NO2 जैसी गैसों का निर्माण होता है। तथा ये गैसे से हमारे वायुमंडल में मिल जाते हैं
और जब वर्षा होती है तो यह गैस से पानी में घोलकर सल्फ्यूरिक अम्ल और नाइट्रिक अम्ल बनाती है जो कि वर्षा के साथ मिलकर गिरती है जिससे अम्लीय वर्षा करते हैं।
जल प्रदूषण
जब जल में अवांछित (हानिकारक ) मिल जाते हैं, जिससे पानी पीने लायक नहीं रह जाता तो इस जल को जल प्रदूषण कहते हैं।
मृदा प्रदूषण
जब मृदा में ऐसे कण या पदार्थ मिल जाते हैं जिससे कि इसकी उर्वरकता क्षमता कम होने लगती है तो इसे भूमि प्रदूषण करते हैं।
भूमि के निर्माण में निम्नलिखित कारक मौजूद होते हैं।
1) सुर्य
2) पानी
3) वायु
4) जीवित जीव
1) सूर्य :- जब दिन के समय सूर्य का प्रकाश चट्टानों पर पड़ता है तो वह चट्टान गर्म हो जाता है और रात के समय वहीं चट्टान ठंडा हो जाता है। इसी ठंडा और गर्म के कारण चट्टानों पर दरारें पड़ने लगती है जिसके कारण बड़ी-बड़ी चट्टानें छोटे-छोटे टुकड़ों में परिवर्तित हो जाता है।
2) पानी :- बहते हुए पानी के तेज बहाव के कारण बड़ी-बड़ी चट्टानें टकराकर छोटे-छोटे टुकड़ों में परिवर्तित हो जाती है जिससे मृदा बनती है।
3) वायु :- तेज हवाएं भी चटाने को काटती है और मृदा बनाने के लिए रेत का एक स्थान से दूसरे स्थान तक लेकर जाती है।
4) :-लाइकेन और बॉस नाम की जीव में चट्टानों पर सतह पर उगती है और उन चट्टानों को महीन बनाकर कणों में बदल देती है।
मृदा अपर्दन
जब मिट्टी किसी माध्यम, वायु, जल इत्यादि द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान। ऊपर पहुंचाई जाती है तो इसे मृदा अपरदन कहते हैं।
जैव रासायनिक चक्रण
हमारे पर्यावरण में मौजूद सभी जैव और अजैव घटक में लगातार अंतर क्रिया होती है जो कि एक स्तर से दूसरे स्तर तक स्थानांतरित होती रहती है तो इस प्रकरण को रासायनिक चक्र कहते हैं जो कुछ इस प्रकार है।
1) जल चक्र
2) नाइट्रोजन चक्र
3) कार्बन चक्र
4) ऑक्सीजन चक्र
जल चक्र
जब पृथ्वी की सतह पर मौजूद जलाशयों, नदियों, तालाबों समुद्रों पर सूर्य का प्रकाश पड़ता है तो जलवाष्प के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं और ऊपर चला जाता है।
फिर ऊपर में संघनन क्रिया के बाद वाष्प में परिवर्तित हो जाता है जो कि जल में बदल जाता है और फिर वर्षा के रूप में पुनः पृथ्वी के सतह पर आ जाती हैं जिसे जल चक्र कहते हैं
नाइट्रोजन चक्र
हमारे वायुमंडल में 78% में नाइट्रोजन पाया जाता है जो प्रोटीन न्यूक्लियस अम्ल आरएनए, डीएनए और विटामिन के घटक के रूप में मौजूद होते हैं।
पौधे तथा जंतु सीधे नाइट्रोजन को ग्रहण नहीं कर सकते। इसलिए दलहन पौधों की जड़ों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु पाए जाते हैं जो वायुमंडल से नाइट्रोजन को ग्रहण करके नाइट्रेट में बदल देते हैं और इस प्रक्रिया को नाइट्रोजन स्थिरीकरण करते हैं
और जब बाकी अन्य पौधे इस प्रकार नाइट्रोजन के यौगिक को ग्रहण करते हैं कि जब बिजली चमकती है तो उस समय वायु में उच्च ताप तथा दाब उत्पन्न होती है जो नाइट्रोजन को नाइट्रेट के ऑक्साइड में बदल देते हैं
और यह ऑक्साइड। जल में घोलकर नाइट्रिक अम्ल बनाते हैं जो वर्षा के पानी के साथ धरती पर पहुंच जाते हैं और पौधों के द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है और उन्हें अमीनो अम्ल में बदल दिया जाता है जिनका उपयोग प्रोटीन बनाने में किया जाता है।
कार्बन चक्र
कार्बन चक्र के कारण ही वायुमंडल में कार्बन तत्व का संतुलन बना रहता है और कार्बन पृथ्वी के सबसे अधिक अवस्थाओं में पाया जाता है।
यौगिक के रूप में यह वायुमंडल में CO2 के रूप में अलग-अलग प्रकार के खनिजों में कार्बोनेट और हाइड्रोजन कार्बोनेट के रूप में पाए जाते हैं।
पौधा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के दौरान कार्बन को ग्रहण करते हैं और उपभोक्ता पौधा से कार्बन प्राप्त करते हैं। जिसमें कुछ भाग स्वसन क्रिया द्वारा CO2 के रूप में वायुमंडल में चला जाता है तथा जीव इसे कार्बन और वायुमंडल में पहुंच जाता है और तो इस पूरी प्रक्रिया को कार्बन चक्र करते हैं।
ऑक्सीजन चक्र
वायुमंडल ही O2 का मुख्य स्रोत है जोकि वायुमंडल में 1% में उपस्थित है यह पानी में घुले हुए रहते हैं जोकि जलीय जीवो को जीवित रहने में सहायता करती है।
वायुमंडल में ऑक्सीजन का उपयोग तीन प्रक्रियाओं के लिए होता है
•श्वसन
•दहन
•नाइट्रोजन के ऑक्साइड निर्माण में
ग्रीन हाउस प्रभाव
वायुमंडल में जलवाष्प इत्यादि पृथ्वी से परिवर्तित होने वाले को अवशोषित कर लेते हैं जिससे कारण वायुमंडल का मान बढ़ जाता है तो इस प्रभाव को ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं
ओजोन परत
ओजोन वायुमंडल का एक अपरूप है और इसमें ऑक्सीजन के 3 परमाणु पाए जाते हैं जोकि वायुमंडल से करीब 16 किलोमीटर से 60 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है
यह पृथ्वी से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेता है जोकि पृथ्वी और इस पर निवास करने वाले जीवो के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है।
ओजोन परत के ह्रास के कारण
•सुपरसोनिक विमान में ईंधन के रूप में उत्पन्न हानिकारक पदार्थ
• cfc गैस
प्राकृतिक संपदा
वैसे संपदा जो हमें प्रकृति के द्वारा मुक्त रूप से प्राप्त हुए हैं, उसे प्राकृतिक संपदा कहते हैं।
प्राकृतिक संपदा की सूची
•जल
•जंगल
•अग्नि
•वायु
Read more..
Note :- तो आज के इस पोस्ट मे हमने प्राकृतिक संपदा class 9 notes in hindi के बारे मे जानकारी हासिल की आशा करता हूँ कि आपको ये पोस्ट पसंद आया होगा इसलिए आप इसे अपने दोस्तों के बीच इसे जरूर share करे
Thank You