विद्युत मोटर एक ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदला जाता है।
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Hello दोस्तों ,तो क्या आप भी विधुत मोटर का सिद्धांत के बारें में google पर पोस्ट को ढूंढ रहे हैं तो आप एकदम सही पोस्ट पर आ चुके हैं मैंने अपने इस पोस्ट पर विद्युत मोटर का सिद्धांत एवं कार्यविधि के बारें में पुरी जानकारी को उपलब्ध कराया हैं तो चलिए शुरू करते हैं….
•इस पोस्ट पर पढ़ें जाने वाले Topics :-
विद्युत मोटर
विद्युत मोटर कि संरचना
विद्युत मोटर का सिद्धांत
विद्युत मोटर की क्रियाविधि
विद्युत मोटर
यह एक ऐसी घूर्णन मशीन है जो विद्युतीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है। यानी जब इसे किसी विद्युत स्रोत से जोड़ा जाता है तो यह घूमने लगता है। साथ में इससे जुड़े अन्य विद्युतीय यंत्र भी घूर्णन करने लगता है
और एक विद्युत मोटर को एक ब्रिटिश वैज्ञानिक माइकल फैराडे ने बनाया था इन्होंने ही विद्युत चुंबकीय प्रेरण और अलेक्ट्रोलिसिस के नियमों को बताया था।
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विद्युत मोटर कि संरचना
विद्युत मोटर के निम्नलिखित भाग होते हैं जो इस प्रकार से हैं।
1.आर्मेचर
2. चुम्बक
3. विभक्त वलय
4. ब्रुश
5. बैटरी
1.आर्मेचर :-
आर्मेचर एक प्रकार का आयताकार कुंडली होता है जोकि तांबे के विद्युत रोधी तार से बने होते हैं और इस कुंडली को चुंबकीय क्षेत्र के दोनों ध्रुवों के बीच इस प्रकार रखा जाता है कि इनके भुजा एक दूसरे के क्षेत्र की दिशा के लंबवत होता है।
2. चुम्बक :-
विद्युत मोटर में दो स्थाई चुंबक लगे होते हैं जिनके बीच में आता कार कुंडली स्थित होता है और एक चुंबक के द्वारा एक प्रबल चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न किया जाता है।
3. विभक्त वलय :-
विभक्त वलय अर्थ गोली चलने के जैसा होता है जो कि विद्युत मोटर में दिक परिवर्तक (वह व्यक्ति जो परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह को उत्क्रमित कर देती है, उसे दिक परिवर्तक कहते हैं) का कार्य करता है।
यह कुंडली के दोनों सिरों पर लगा रहता है जोकि कुंडली के आधे घूर्णन है के बाद विद्युत धारा के प्रवाह को उत्क्रमित करता है।
4. ब्रुश :-
यह ब्रुश अर्धगोले छल्ले से जुड़ा होता हैं जो लचीले धातु के छड़ जैसा होता है और इसका मुख्य कार्य कुंडली को निरंतर विद्युत धारा भेजना होता है।
5. बैटरी :-
विद्युत मोटर में बैटरी के द्वारा ही कुंडली को विद्युत धारा मिल पाता है यानि यह कुंडली के लिए धारा का मुख्य स्रोत होता है जोकि दोनों ब्रुशो के साथ जुड़ा रहता है।
विद्युत मोटर का सिद्धांत
विद्युत मोटर विद्युत धारा के चुंबकीय सिद्धांत पर कार्य करता है जब चुंबकीय क्षेत्र में आयताकार कुंडली को रखा जाता है और उसमें विद्युत धारा को प्रवाहित किया जाता है तो कुंडली पर एक प्रकार का बल कार्य करने लगता है और इसकी दिशा को फ्लेमिंग के वामहस्त नियम के द्वारा प्राप्त कर लिया जाता है और इस प्रकार विद्युत मोटर को प्राप्त विद्युत ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा में बदल जाता है।
विद्युत मोटर की क्रियाविधि
जब आर्मेचर से विद्युत धारा गमन होती है तो आर्मेचर पर चुंबकीय क्षेत्र पर आरोपित होता है।
चुकी आर्मेचर के दोनों सिरों AB तथा CD में विद्युत धारा की दिशा विपरीत होती है। इसलिए दोनों ही भुजाओ पर आरोपित बल बराबर लेकिन विपरीत दिशा में कार्यरत रहता है और इस प्रकार बल युग्म का निर्माण होता है यह बल युग्म में एक निश्चित दिशा में घूर्णन उत्पन्न करता है।
दोनों विभक्त वलय आर्मेचर के साथ गति करते हैं तथा प्रत्येक आधे घूर्णन के पश्चात इनका संपर्क दोनों ब्रुशो से क्रमशः होता रहता है जिसके कारण दोनों भुजाओं ABतथा CD में धारा की दिशा वही बनी रहती है
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