दृष्टि दोष किसे कहते है ? यह कितने प्रकार का होता है ? (पूरी जानकारी)

जब किसी कारण वश नेत्र की समंजन क्षमता में कमी आ जाती है जिसके कारण वस्तु का प्रतिबिंब सुस्पष्ट नही दिखाई पड़ती है तो इस स्थिति को दृष्टि दोष कहते है।

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क्या आप भी दृष्टि दोष किसे कहते है कि परिभाषा को ढूंढ रहे हैं तो ये पोस्ट आपके लिए बहुत ही जरूरी है जिसमे मैंने दृष्टि दोष किसे कहते है यह कितने प्रकार का होता है के बारे में पूरी जानकारी को बताया है।

इस पोस्ट पर पढ़े जाने वाले Topics :- 

●दृष्टि दोष किसे कहते है ?

●दृष्टि दोष कितने प्रकार के होते है ?

●निकट दृष्टि दोष किसे कहते है ?

●दूर दृष्टि दोष किसे कहते है ?

●जरा दृष्टि दोष किसे कहते है ?

●अबिन्दुकता दोष क्या है ?

   दृष्टि दोष किसे कहते है 

मानव नेत्र की समंजन क्षमता 17mm से 22mm तक होता है लेकिन किसी कारण वश नेत्र की समंजन क्षमता में कमी आ जाती है जिसके कारण वस्तु का प्रतिबिंब सुस्पष्ट नही दिखाई पड़ता है तो इस स्थिति को दृष्टि दोष कहते है ।

          दृष्टि दोष के प्रकार

दृष्टि दोष के पाँच प्रकार को हम यँहा जानेगे :-

1.)निकटदृष्टि दोष
2.)दूरदृष्टि दोष
3.)जरादृष्टि दोष
4.)अबिन्दुकता
5.)वर्णिधता

1.)निकटदृष्टि दोष :- 

जब किसी भी व्यक्ति को नजदीक की वस्तु सुस्पष्ट दिखाई पड़ती है किंतु दूर की वस्तु सुस्पष्ट दिखाई पड़ती है तो इसे निकटदृष्टि दोष कहते है ।
इस दोष से पीड़ित नेत्र के पुतली का आकार बढ़ जाता है जिसके कारण वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना से पहले ही बनने लगता है यानी निकटदृष्टि दोष में वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना से पहले बनने लगता है ।
निकटदृष्टि दोष

निकटदृष्टि दोष का कारण :-

निकट दृष्टि दोष उत्पन्न होने के अनेकों कारण हो सकते है जिनमे कुछ इस प्रकार है :- 
i) जब आंख की पुतली लंबी हो जाती है तो कॉर्निया का भी आकार बहुत बड़ा हो जाता है जिसके कारण आंख में प्रवेश करने वाली प्रकाश किरणे सही तरीके से फोकसित नहीं हो पाती है जिसके कारण से वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना से पहले ही फोकसित होता है।
ii)जब हम प्राकृतिक रोशनी में कम समय को व्यतीत करते हैं हम निकट दृष्टि दोष से ग्रसित हो सकते हैं।
iii)अधिक समय टीवी मोबाइल स्क्रीन पर व्यतीत करने से भी उत्पन्न हो सकता है 
iv)यह दोष अनुवांशिक भी हो सकता है।

   निकटदृष्टि दोष का निवारण 

निकट दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति को अवतल लेंस से बने चश्मे का प्रयोग करना चाहिए।

   निकटदृष्टि दोष का लक्षण 

निकट दृष्टि दोष का मुख्य लक्षण है कि दूर की वस्तु सुस्पष्ट नहीं दिखाई पड़ती है लेकिन इसका और कारण इस प्रकार है। 
i)इस दोष से पीड़ित व्यक्ति को दूर की वस्तु को देखने पर थकान महसूस होती है।
ii) इस दोष से पीड़ित नेत्र में पानी आने लगता है।
iii) इस दोष में आंखें बार-बार झपकता है। 
iv)इस दोष से पीड़ित व्यक्ति को सिर दर्द की परेशानी होता है।
 

2.)दूरदृष्टि दोष :- 

जब किसी भी व्यक्ति को दूर की वस्तु सुस्पष्ट दिखाई पड़ते हैं किंतु नजदीक के वस्तु नहीं दिखाई पड़ती हैं उसे दूर दृष्टि कहते है 

       दुरदृष्टि दोष का कारण

इस दोष के उत्पन्न होने का कारण है कि अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी बहुत अधिक बढ़ जाता है जिसके कारण नेत्र गोलक छोटा हो जाता है जिसके कारण पास में रखी हुई वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर न बनकर रेटीना के पीछे बनने लगता है।

      दूरदृष्टि दोष का निवारण

इस दोष के निवारण के लिए पीड़ित व्यक्ति को उत्तल लेंस से बने चश्मे का प्रयोग करना चाहिए।

3.)जरादृष्टि दोष :- 

इस दोष से पीड़ित व्यक्ति को न तो नजदीक की वस्तु दिखती है और न ही दूर की वस्तु दिखाई पड़ती है
                              
                                यानी इस दोष से पीड़ित व्यक्ति निकटदृष्टि दोष और दूरदृष्टि दोष दोनों ही प्रकार के दृष्टि दोष से ग्रसित होता है।

       जरादृष्टि दोष का कारण 

                 जब आयु बढ़ती है तो इसके साथ में नेत्र की समंजन क्षमता घट जाती है। साथ में पक्षमाभी पेशियां भी धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है जिसके कारण क्रिस्टलीय लेंस के लचीले पर में कमी होने लगता है। फिर जरा दृष्टि दोष उत्पन्न हो जाता है।

जरादृष्टि दोष का निवारण 

जरा दृष्टि दोष से ग्रसित व्यक्ति को द्वीफोकसिय लेंस से बने चश्मे का प्रयोग करना चाहिए जिसमें चश्मे के ऊपरी भाग में अवतल लेंस और निचले भाग में उत्तल लेंस लगा रहता है।

4.)अबिन्दुकता :- 

जब कोई व्यक्ति कुछ दूरी पर स्थित क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर रेखाओं को एक साथ सुस्पष्ट रूप से नहीं देख पाता तो इस प्रकार के दोष को अबिन्दुकता कहा जाता है।

      अबिन्दुकता का कारण 

इस दोष से पीड़ित व्यक्ति के नेत्र का कॉर्निया पूरी तरह से गोलाकार नहीं होता है जिसके कारण वह क्षैतिज  तथा ऊर्ध्वाधर वस्तुओं को नहीं देख पाता है।

      अबिन्दुकता का निवारण

अबिन्दुकता दोष से पीड़ित व्यक्ति को बेलनाकार लेंस  से बने चश्मे का प्रयोग करना चाहिए।

5.)वर्णिधता :- 

यह दोष एक प्रकार का आनुवंशिक दोष होता है जिसमें ग्रसित व्यक्ति को रंगों का पहचान नहीं हो पाता है।

             वर्णिधता का कारण

इस दोष का मुख्य कारण शंकु की कमी हो जाना होता है जिसके कारण हम रंगों का पहचान नहीं कर पाते हैं।

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में कमी आ जाती है जिसके कारण वस्तु का प्रतिबिंब सुस्पष्ट नही दिखाई पड़ता है तो इस स्थिति को दृष्टि दोष कहते है ।n1.)निकटदृष्टि दोषn2.)दूरदृष्टि दोषn3.)जरादृष्टि दोषn4.)अबिन्दुकताn5.)वर्णिधता”,”acceptedAnswer”:{“@type”:”Answer”,”text”:”nउत्तर:-मानव नेत्र की समंजन क्षमता 17mm से 22mm तक होता है लेकिन किसी कारण वश नेत्र की समंजन क्षमता में कमी आ जाती है जिसके कारण वस्तु का प्रतिबिंब सुस्पष्ट नही दिखाई पड़ता है तो इस स्थिति को दृष्टि दोष कहते है ।n1.)निकटदृष्टि दोषn2.)दूरदृष्टि दोषn3.)जरादृष्टि दोषn4.)अबिन्दुकताn5.)वर्णिधता”}}]}




href=”https://www.heretotally.com/2022/05/—–.html”>मानव मस्तिष्क की संरचना एवं  कार्य
Note : मैंने अपने इस पोस्ट में बताया की दृष्टि दोष किसे कहते है यह कितने प्रकार का होता है ,अगर आपको इस पोस्ट से इनके बारे में कुछ भी जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे तथा अपनी राय को comment में जरूर बताएं।