पृथ्वी के अंदर पाए जाने वाले अगस्त को शुद्ध धातु प्राप्त करने की प्रक्रिया को तत्वों का निष्कर्षण कहते हैं।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!सारांश : आज के इस पोस्ट में हम पढ़ेंगे की तत्वों का निष्कर्षण कैसे किया जाता है और यह भी जानेगे की धातु निष्कर्षण की विधियां कितनी होती है तब उसके बाद इन सभी विधियों को पूर्ण विस्तार के साथ पढ़ेंगे तो चलिए शुरू करते है ।
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इस पोस्ट पर पढ़े जाने वाले Topics
●धातु की प्राप्ति
●धातुकर्म
●अयस्कों का निष्कर्षण
●अयस्कों का सांद्रण
●सांद्रित अयस्क को धातु के ऑक्साइड में बदलना
●धातु के ऑक्साइड से धातु में परिवर्तन
●धातु का शुद्धिकरण
धातु की प्राप्त
हमारे प्रकृति में धातु की प्राप्ति मुख्यतः दो अवस्थाओ में पाई जाती है ।
1)मुक्तावस्था
2)संयुक्तवस्था
1)मुक्तावस्था :
वैसे धातु जो बहुत कम क्रियाशील होते हैं, वे मुक्त अवस्था में पाए जाते हैं।
जैसे:- Au, Pt, Pd इत्यादि।
2)संयुक्तवस्था :
वैसे धातु जो बहुत अधिक क्रियाशील होते हैं, वे संयुक्तवस्था पाए जाते हैं।
जैसे :- ऑक्सीजन गैस,हाइड्रोजन गैस इत्यादि
●खनिज :
पृथ्वी के अंदर प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पदार्थ को खनिज कहते हैं।
●अयस्क :
वैसे खनिज जिसकी प्राप्ति कम खर्च तथा आसानी से होता है, उसे अयस्क कहते हैं।
●गैंग :
जब धातुओं के निष्कर्षण कर दी जाती है तो उसके फलस्वरूप शुद्ध, धातु या अशुद्ध धातु प्राप्त होती है और इस शुद्ध या अशुद्ध धातु प्राप्त करने में जो अशुद्धियां पाई जाती है, उसे गैंग करते हैं।
●धातुकर्म :
अयस्को से शुद्ध धातु प्राप्त करने के लिए जो विधियां अपनाई जाती है, उसे धातुकर्म करते हैं।
अयस्कों का निष्कर्षण
सामान्यत भूमि के अंदर सभी धातुएं संयुक्त अवस्था में पाई जाती है।
जैसे :- गैलेना, डोलोमाइट, सिनेबार इत्यादि
●अयस्कों से शुद्ध धातु प्राप्त करने के चरण
1)चूर्णीकरण
2)अयस्क का सान्द्रण
3) सांद्रित अयस्क को धातु ऑक्साइड में बदलना
4)धातु ऑक्साइड को धातु में बदलना
5)प्राप्त धातु का शुद्धिकरण करना
1.) चूर्णीकरण :
इस प्रकम में प्राप्त अयस्क के बड़े-बड़े कणों को महीन चूर्ण के रूप में परिवर्तित किया जाता है।
2.)अयस्कों का सान्द्रण :
अयस्कों को सन्द्रित करने के लिए निम्न विधियों को अपनाया जाता है जो कुछ इस प्रकार से है।
क)गुरुत्व पृथक्करण विधि
ख) चुंबकीय पृथक्करण विधि
ग) झाग प्लवन विधि।
क)गुरुत्व पृथक्करण विधि :
इस विधि के द्वारा सभी अयस्कों को सन्द्रित किया जाता है।
जैसे :- टिन स्टोन ,लोहा स्टोन इत्यदि।
जब चूर्णित अयस्क को बहते हुए जल में डाला जाता है तो हल्के अशुद्ध कण का जल के बहाव के साथ आगे चले जाते हैं तथा भारी कण तली में बैठ जाते हैं।
3.) सन्द्रित सांद्रित अयस्क को धातु ऑक्साइड में बदलना :-
जब अयस्क सल्फाइड या कार्बोनेट अयस्क के रूप में पाए जाते हैं तो उनको आसानी से निष्कर्षण नहीं किया जा सकता है। इसलिए सन्द्रित अयस्क को धातु के ऑक्साइड में बदला जाता है।
◆अयस्क को धात्विक ऑक्साइड में बदलने की दो विधियां हैं :
1.)भर्जन
2.)निस्तापन
1.)भर्जन :
जब अयस्कों को वायु की उपस्थिति में गर्म किया जाता है तो इस विधि को भर्जन कहते हैं।
2.)निस्तापन :
जब अयस्कों को वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है तो इस विधि को निस्तापन कहते हैं।
4)धातु ऑक्साइड को धातु में बदलना
धातु के ऑक्साइड धातु प्राप्त करने के लिए इसे वात्य भट्टी में डाला जाता है और कार्बन के मिश्रण के साथ घोला जाता है
जिसके कारण कार्बन द्वारा ऑक्साइड का अपचयन हो जाता है और इस प्रक्रिया को प्रगलन विधि कहते हैं।
5)प्राप्त धातु का शुद्धिकरण करना
ऊपर की विधि अपनाने के बाद भी धातु में शुद्ध रूप में प्राप्त नहीं होते हैं। इसमें कुछ अशुद्धियां पाई जाती है।
उसे दूर करने के लिए कुछ विधियों को अपनाया जाता है
जैसे :- द्रवीकरण विधि, आसवन विधि, विधुत अपघटनी विधि ,मंडल परिष्करण विधि।
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